स्वास्थ्य

स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमले, केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस को लगाई फटकार

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

केरल उच्च न्यायालय ने 10 मई, 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि यह प्रभारी, विशेष रूप से पुलिस और सुरक्षा कर्मियों का कर्तव्य है कि वे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।

गौरतलब है कि लम्बे समय से केरल सरकार वादा करती रही है कि वो केरल हेल्थकेयर सर्विस पर्सन एंड हेल्थकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा की रोकथाम और संपत्ति को नुकसान अधिनियम, 2012) में संशोधन पर विचार करेगी।

हालांकि, इस मामले में अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं देखा गया है। अदालत ने यह भी आदेश पारित किया है कि किसी भी डॉक्टर, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, नर्स या अन्य स्वास्थ्य कर्मी पर हमले का पुलिस द्वारा एक घंटे के भीतर संज्ञान लिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट का कहना है कि मीडिया सहित अन्य सभी तरीकों से नागरिकों को स्वास्थ्य कर्मियों पर बढ़ते हमले के परिणामों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

ऐसे में केरल उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि अदालत द्वारा पारित सभी आदेशों के साथ-साथ हेल्थकेयर सर्विस पर्सन्स एंड हेल्थकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस एक्ट, 2012 के प्रावधानों के तहत हर इंटर्न, हाउस सर्जन, पोस्ट ग्रेजुएट छात्र और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह मामला केरल के कोट्टारक्करा तालुक अस्पताल में 23 वर्षीय हाउस सर्जन, वंदना दास की हत्या से जुड़ा है, जिसपर मरीज द्वारा चाकू से कई हमले किए गए थे, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी।

मामले में वकील पी श्रीकुमार का कहना है कि उन्हें अंतरिम आवेदन दायर करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि इस तरह के हमले के बाद छात्र समुदाय सरकारी अस्पतालों में इंटर्न और हाउस सर्जन के रूप में काम करने से अपने आप को असुरक्षित महसूस करेंगें।

नैनीताल में पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा अवैध खनन, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

नैनीताल के सैमलचोर और पट्टापानी में होता अवैध खनन पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मामले की जांच के लिए संयुक्त समिति को निर्देश दिए हैं। मामला उत्तराखंड के नैनीताल में अवैध खनन से जुड़ा है।

10 मई 2023 को दिए इस निर्देश के मुताबिक समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नैनीताल के जिलाधिकारी शामिल होंगे।

इस मामले में स्टोन क्रशर और खनन इकाइयों द्वारा पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के खिलाफ एनजीटी में शिकायत दर्ज की गई थी। पता चला है कि इसके चलते वहां गहरी खाई बन गई है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। इस मामले में नैनीताल के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 10 अप्रैल, 2023 को दायर एक रिपोर्ट में यह बात स्वीकार की गई है कि पांच खनन मालिकों द्वारा अवैध खनन किया गया था।

अदालत ने कहा कि खान अधिनियम के प्रावधानों के तहत अतिरिक्त खनन के लिए रॉयल्टी और जुर्माने की वसूली के लिए सिफारिशें की गई थीं, लेकिन इस तरह के अतिरिक्त खनन से पर्यावरण को जो नुकसान हुआ है उसके लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के लिए किया गया पर्यावरण नियमों का उल्लंघन, कोर्ट ने जांच के दिए आदेश

याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास और उसके आस-पास किए गए विकास कार्यों में पर्यावरण नियमों की अनदेखी की गई है

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आए दिन विवादों में घिरे रहते हैं। हाल ही में उनके आवास के विकास पर किया गया बेतहाशा खर्च चर्चा का विषय बन गया था। वो मुद्दा अभी तक तरह खत्म भी नहीं हुआ है कि उसमें एक कड़ी और जुड़ गई है, इस मामले में एक आरोप यह भी सामने आया है कि उनके आवास में विकास कार्यों के लिए पर्यावरण सम्बन्धी नियमों की अनदेखी की गई है।

इस सम्बन्ध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 9 मई 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इसकी जांच के लिए समिति गठित करने के आदेश दिए हैं। अपनी याचिका में आरोप लगाते हुए नरेश चौधरी ने दावा किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास 6, फ्लैग स्टाफ रोड और उसके आस-पास की संपत्ति 45-47 राजपुर रोड पर विकास कार्यों के दौरान स्थाई और अर्ध-स्थाई निर्माण किए गए हैं, जिसके लिए 20 से ज्यादा पेड़ काटे गए हैं। साथ ही इन निर्माण कार्यों के लिए दिल्ली शहरी कला आयोग की मंजूरी नहीं ली गई।