स्वास्थ्य

कैसे जरूरतमंदों को सस्ते में उपलब्ध हो सकेंगी स्तन कैंसर जैसी जरूरी दवाएं: केरल उच्च न्यायालय

Susan Chacko, Lalit Maurya

केरल उच्च न्यायालय, भारत सरकार से पूछा है कि किस तरह से समाज के पिछड़े तबके को स्तन कैंसर या ऐसी अन्य दवाएं सस्ते में उपलब्ध कराई जा सकती है। वहीं केंद्र सरकार के वकील ने उच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि इनमें से अधिकांश दवाएं पहले ही ऐसी किसी न किसी योजना का हिस्सा हैं, जिनके तहत उन्हें जरूरतमंद लोग रियायती दरों पर प्राप्त कर सकेंगें।

अदालत ने इस मामले को 22 नवंबर, 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया है। इस समय सीमा के भीतर केंद्र सरकार के सक्षम प्राधिकारी अदालत को स्तन कैंसर के इलाज की दवाओं को उपलब्ध कराने के सर्वोत्तम विकल्प के बारे में सूचित करेंगे। साथ ही वो इस बारे में भी जानकारी देंगें कि क्या यह दवाएं पहले ही विशिष्ट योजनाओं का हिस्सा हैं।

स्कूली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए क्या कुछ बनाई गई है नीति, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा ड्राफ्ट

सुप्रीम कोर्ट ने छह नवंबर 2023 को केंद्र सरकार से कहा है कि वो अगली सुनवाई से पहले पूरे देश में जरूरतमंद स्कूली छात्राओं को वितरित किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन के संबंध में ड्राफ्ट पॉलिसी सबमिट करे। इस मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर 2023 को होगी।

इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में सभी सरकारी और आवासीय स्कूलों में छात्राओं की आबादी के अनुपात में महिला शौचालयों के अनुपात के लिए एक राष्ट्रीय मानक स्थापित करने का भी आदेश दिया है। अदालत ने केंद्र से सैनिटरी नैपकिन के वितरण के लिए अपनाई जाने वाले तौर-तरीकों में एकरूपता लाने को भी कहा है।

इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र से एक इष्टतम नीति विकसित करने के लिए विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाए जाने वाले तरीकों पर भी विचार करने को कहा है जो स्कूली छात्राओं के लिए पर्याप्त सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति की गारंटी देते हैं।

गौरतलब है कि अदालत जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्यों और केंद्र सरकार को कक्षा छह से 12वीं की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। साथ ही इस याचिका में उन्होंने सभी सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में अलग महिला शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने का निर्देश देने भी बात कही है।

एनजीटी ने कानपुर देहात के जिला मजिस्ट्रेट से जियोटैग किए गए तालाबों पर मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह नवंबर 2023 को कानपुर देहात के जिला मजिस्ट्रेट के लिए निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में उन्हें कानपुर देहात क्षेत्र में तालाबों की गांव-वार जानकारी देने का निर्देश दिया है। इस चार्ट में उन तालाबों से जुड़े आंकड़े शामिल होने चाहिए जिन्हें चिह्नित, मैप और जियोटैग किया गया है, साथ ही उनका कुल क्षेत्रफल और यदि उनपर कोई अतिक्रमण हुआ है तो उसकी भी जानकारी होनी चाहिए।

जिलाधिकारी को यह भी कहा गया कि वे कानपुर देहात के राजस्व अभिलेखों में आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त तालाबों के बारे में ग्रामवार जानकारी एक अलग सारणी में उपलब्ध कराएं। एनजीटी के निर्देशानुसार इन तालाबों की पहचान और चिह्नांकन का काम दो महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। इस बारे में जिला मजिस्ट्रेट को 15 जनवरी, 2024 तक एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें पहले बताए गए दो चार्ट भी शामिल होंगे।

गौरतलब है कि कोर्ट के सामने आई याचिका में कानपुर देहात में तालाबों पर होते अतिक्रमण और उनके गायब होने का मामला उठाया गया था। इस बारे में जो याचिका कोर्ट में सबमिट की गई है उसमें जानकारी दी गई है कि कानपुर देहात में कुल 1,975 तालाब थे, जो घटकर केवल 880 रह गए हैं। मतलब की 1,095 तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं। इतना ही नहीं जो बचे हैं उनका पानी भी प्रदूषित हो चुका है। यह जानकारी 2011-12 में मत्स्य पालन के लिए किए सर्वेक्षण पर आधारित हैं।

इस मामले में कानपुर देहात के जिलाधिकारी द्वारा छह नवंबर 2023 को दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है कि 6612 तालाबों की पहचान की गई है, जिसमें से कुल 6516 तालाबों को चिन्हित किया जा चुका है। वहीं भारी बारिश के चलते सभी तालाबों को चिन्हित करने का काम पूरी नहीं हो सका है। ऐसे में उन्होंने इसके लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, तालाबों में मौजूद ऑक्सीजन (डीओ) और पीएच के स्तर को मापने के लिए 1,665 तालाबों का मूल्यांकन किया गया है। हालांकि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और अधिक समय की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और तालाबों में मछली पालन को बहाल करने के लिए कार्रवाई की योजना की भी रूपरेखा दी गई है।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कानपुर देहात क्षेत्र में तालाबों के सीमांकन का काम पूरा हो चुका है। साथ ही तालाबों की मैपिंग और जियोटैगिंग भी पूरी हो चुकी है।