स्वास्थ्य

आम नागरिकों के इलाज का मुख्य आधार हैं सरकारी अस्पताल, बनाए रखनी होगी प्रतिष्ठा: उच्च न्यायालय

केरल उच्च न्यायालय का कहना है कि सामान्य अस्पताल, आम नागरिकों की चिकित्सा आवश्यकताओं का मुख्य आधार हैं और उन्हें निश्चित रूप से, "उत्कृष्टता के शानदार केंद्र" के रूप में बनाए रखा जाना जरूरी है

Susan Chacko, Lalit Maurya

केरल उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर, 2023 को कहा है कि सामान्य अस्पताल, आम नागरिकों की चिकित्सा आवश्यकताओं का मुख्य आधार हैं और निश्चित रूप से, उन्हें "उत्कृष्टता के शानदार केंद्र" के रूप में बनाए रखा जाना जरूरी है।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, एर्नाकुलम के जनरल हॉस्पिटल जैसे कई अन्य अस्पतालों में हृदय विभाग सहित आंतरिक सर्जरी को अंजाम देने के लिए सभी आवश्यक उपकरण और विशेषज्ञता मौजूद हैं। लेकिन कार्डियक सर्जनों की कमी के चलते ये सर्जरी प्रभावी ढंग से नहीं की जा रही हैं।

इस बारे में सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया है कि एर्नाकुलम के जनरल हॉस्पिटल या स्वास्थ्य सेवा निदेशक की देखरेख वाले ऐसे संस्थानों में कार्डियक सर्जनों के लिए कभी भी कोई पद सृजित नहीं किया गया है। इसके बजाय, मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य संस्थानों के सर्जनों की सहायता से हृदय संबंधी सर्जरी की जा रही है। सरकार ने इस बारे में अधिक जानकारी देने के लिए कोर्ट से कुछ दिनों का समय मांगा है, अदालत ने स्वीकार कर लिया है।

अदालत के संज्ञान में यह भी आया है कि कई कुशल सर्जन बिना किसी मुआवजे के कुछ निश्चित तिथियों पर सामान्य अस्पताल में अपनी सेवाएं देने के इच्छुक हैं। हालांकि, जैसा कि अदालत ने कहा है कि, इसके लिए अस्पताल के अधीक्षक और अन्य अधिकारियों को निर्णय लेने की जरूरत है।

कृष्णा नदी प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामपुर नगर परिषद को दिया रिपोर्ट सब्मिट करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने तीन अक्टूबर, 2023 को दिए अपने निर्देश में इस्लामपुर नगर परिषद से एक रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। कोर्ट ने रिपोर्ट में इस बात की जानकारी मांगी है कि क्या ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन किया जा रहा है। मामला महाराष्ट्र के सांगली जिले का है।

उन्हें यह भी बताना है कि वे दूषित सीवेज को कृष्णा नदी में जाने से रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। परिषद को यह दस्तावेज एक महीने के भीतर जमा करना होगा, और मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर, 2023 को होगी।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 18 अक्टूबर, 2022 को दिए आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें नगरपालिका परिषद को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। गौरतलब है कि पूरा मामला एक खुले नाले के जरिए बहने वाले दूषित कचरे और सीवेज कको कृष्णा नदी में डाले जाने से जुड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे पर लगाई रोक, लेकिन साथ ही भोपाल नगर निगम से मांगी सफाई

भोपाल नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर ठोस कचरे के प्रबंधन में अपनी विफलता के लिए मुआवजा देने के निर्देश को रोकने का अनुरोध किया है।

इस मामले में तीन अक्टूबर 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हालांकि मुआवजा देने के आदेश को अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया गया है, लेकिन साथ ही भोपाल नगर निगम को 2016 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों को पूरा करने के लिए किए गए कार्यों की रूपरेखा बताते हुए एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करना होगा। कोर्ट ने इसके लिए निगम को 28 नवंबर 2023 तक का वक्त दिया है।

वलसाड नगरपालिका द्वारा औरंगा नदी के पास बेतरतीब तरीके से फेंका गया ठोस कचरा

वलसाड नगरपालिका का ठोस कचरा डंपिंग स्थल औरंगा नदी तट के ठीक बगल में स्थित है। इस बारे में एनजीटी के आदेश पर साइट का दौरा करने वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नगरपालिका ने ठोस कचरे (एमएसडब्ल्यू) के उचित निपटान के लिए साइंटिफिक लैंडफिल साइट नहीं बनाई है।

वर्तमान में, नगरपालिका इस ठोस कचरे का निपटान सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के पास एक खुले क्षेत्र में कर रही है, जो औरंगा नदी के तट से सटा हुआ है। इस कचरे को नगरपालिका के अधिकार क्षेत्र के भीतर आवासीय, वाणिज्यिक, होटल और गैर-आवासीय क्षेत्रों से एकत्र किया जाता है और फिर ट्रैक्टर और टेम्पो का उपयोग करके औरंगा नदी के किनारे रेलवे पुल के पास फेंक दिया जाता है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि नगरपालिका ने साइट पर कचरे को बेतरतीब तरीके से इकट्ठा किया है और  वलसाड नगरपालिका ने नए कचरे को प्रोसेस करने की कोई व्यवस्था नहीं की है। इसके अलावा, मौजूदा पुराने कचरे से निपटने की दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हुई है। तीन अक्टूबर 2023 को सबमिट इस रिपोर्ट में कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान, एमएसडब्ल्यू डंपिंग साइट पर जानवर चर रहे थे, और वहां कचरे को प्रोसेस करने का कोई सबूत मौजूद नहीं था।