स्वास्थ्य

स्वास्थ्य में मौजूद विषमताओं के कारण, सामान्य लोगों से 20 वर्ष तक कम जीते हैं विकलांग

विकलांगता का जीवन गुजार रहे इन 130 करोड़ लोगों में से करीब 80 फीसदी लोग गरीब और मध्यम आय वाले देशों में हैं

Lalit Maurya

दुनिया भर में करीब 130 करोड़ लोग यानी हर छह में से एक इंसान किसी न किसी रूप में विकलांगता से ग्रस्त है। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि विकलांगता से जूझ रहे इन लोगों में समाज के अन्य वर्गों की तुलना में मृत्यु या बीमार पड़ने का जोखिम कहीं ज्यादा होता है।

इस बारे में “ग्लोबल रिपोर्ट ऑन हेल्थ इक्विटी फॉर पर्सन विद डिसैबिलिटीज” नामक रिपोर्ट से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूद विषमताओं के चलते विकलांगता के बीच जीवन गुजार रहे इन लोगों की उम्र सामान्य जनों की तुलना में 20 वर्ष तक कम होती है।

वहीं विडम्बना देखिए की विकलांगता का जीवन गुजार रहे इन 130 करोड़ लोगों में से करीब 80 फीसदी लोग गरीब और मध्यम आय वाले देशों में जीवन गुजार रहे हैं जहां उनके लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच दुर्गम है। वहीं अन्य सुविधाओं के नाम पर बस छलावा है। पता चला है कि हर पांच में से तीन विकलांग, महिलाऐं हैं। वहीं निर्धनता में रह रहे लोगों के इससे पीड़ित होने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है।

देखा जाए तो विकलांग लोगों का यह विशाल आंकड़ा, उन लोगों के लिए केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में बल्कि समाज के सभी हिस्से में पूर्ण व कारगर भागीदारी की अहमियत को रेखांकित करता है। पता चला है कि 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के करीब 60 फीसदी लोग, किसी न किसी रूप में विकलांगता के साथ जीवन गुजर कर रहे हैं। वहीं हर पांच में एक महिला को अपने जीवन में विकलांगता का अनुभव करने की सम्भावना होती है, जबकि बच्चों के लिये यह आंकड़ा हर 10 में से एक है। 

आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें से 80 करोड़ विकलांग की उम्र काम करने की है। मगर अपनी विकलांगता के कारण अक्सर उन्हें रोजगार पाने में अनेक अवरोधों का सामना करना पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में विकलांग बच्चों का यह आंकड़ा 24 करोड़ के करीब है।

इतना ही नहीं स्वास्थ्य की खराब परिस्थितियों के चलते विकलांगों में दमा, मधुमेह, स्ट्रोक या अवसाद जैसे विकारों के विकसित होने का जोखिम सामान्य लोगों से दोगुना ज्यादा होता है। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके लिए भी समावेशन, सुलभता और बिना किसी भेदभाव के सुविधाओं की उपलब्धता को ध्यान में रखना होगा।

देखा जाए तो इन देशों में जो मौजूदा स्वास्थ्य प्रणालियों हैं उनमें विकलांग लोगों कई बार नकारात्मक रवैयों व बर्ताव का सामना करना पड़ता है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने वालों का बर्ताव सदैव अच्छा नहीं होता। शिक्षा का आभाव व पूर्ण जानकारी न मिलना या फिर स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी इस तरह दिया जाना जो इन लोगों की समझ में न आए वो भी एक बड़ी समस्या है। इतना ही नहीं परिवहन, धन आभाव व पहुंच के कारण होने वाली दिक्कतों के चलते यह लोग स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने में अनगिनत कठिनाइयों का सामना करते हैं।

देखा जाए तो विकलांगता के चलते बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा पर असर होता है, और उनके शोषण व हिंसा का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। पता चला है कि विकासशील देशों में 90 फीसदी विकलांग बच्चे, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं।

स्वास्थ्य पर हर एक डॉलर के निवेश से होगा 10 डॉलर का फायदा

ऐसे में रिपोर्ट में अनुचित, अन्यायपूर्ण और विषमता को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने भी क्षोभ प्रकट करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य प्रणालियां, विकलांगता से जूझ रहे इन लोगों की चुनौतियों को दूर करने के लिये होनी चाहिए, न की उन्हें बढ़ाने देने के लिए”

यह इतना मुश्किल भी नहीं है बस इसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत है। हमें स्वीकार करना होगा कि इस वर्ग को हमारे साथ की सबसे ज्यादा जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि विकलांग लोगों को ध्यान में रखते हुए गैर-संचारी रोगों की रोकथाम व देखभाल के प्रयासों में हर एक डॉलर के निवेश वापस 10 डॉलर का फायदा समाज को पहुंचा सकता है।

ऐसे में रिपोर्ट में सरकारों के लिए ऐसे 40 उपाय सुझाए गए हैं, जिन्हें स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए लागू किया जा सकता है। इसमें सभी के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में समानता, व सबके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं देना अहम है। साथ ही विकलांगों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और क्षमता में बढ़ावा किया जाना चाहिए।

देखा जाए तो यह स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थिति जैसे कोरोना आदि में भी हर एक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों में भी एक अहम और महत्वपूर्ण है। साथ ही समाज के अन्य क्षेत्रों में भी विकलांगों को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है जिससे वो भी आगे आकर समाज में अपना योगदान दे सके और एक बेहतर जीवन व्यतीत कर सकें।