स्वास्थ्य

बीमारी से तंग आकर आत्महत्या करने वालों में पंजाब सबसे आगे

2021 में राज्य में कुल 2,600 आत्महत्याएं हुईं, इनमें से 44.8 प्रतिशत यानी 1,164 आत्महत्याओं का कारण बीमारियां थीं, सिक्किम दूसरे स्थान पर

Bhagirath

पंजाब में आत्महत्या की दर भले ही राष्ट्रीय औसत से कम हो, लेकिन यह राज्य बीमारियों के कारण होने वाली आत्महत्या दर के मामले में पहले स्थान पर है। 2021 में राज्य में कुल 2,600 आत्महत्याएं हुईं। इनमें से 44.8 प्रतिशत यानी 1,164 आत्महत्याओं का कारण बीमारियां थीं।  

हाल में जारी हुई राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट “एक्सीडेंटल डेथ एंड स्यूसाइड इन इंडिया 2021” के मुताबिक, पंजाब की यह दर राष्ट्रीय औसत 18.6 प्रतिशत से लगभग 2.5 गुणा अधिक है। पिछले एक दशक से पंजाब में बीमारियों के कारण होने वाली आत्महत्या की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक बनी हुई है। पिछले 10 वर्षों में चार बार पंजाब इस मामले में पहले स्थान पर रहा है।  

साल 2021 में देश में कुल 1,64,033 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जिनमें से 30,446 (18.6 प्रतिशत) आत्महत्याओं की वजह बीमारियां रहीं। पंजाब के बाद बीमारियों के कारण सबसे अधिक आत्महत्या दर वाले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में सिक्किम दूसरे (44.7 प्रतिशत), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तीसरे (33.3 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश चौथे (30.6 प्रतिशत) और  तमिलनाडु पांचवे (28.6 प्रतिशत) स्थान पर है।

साल 2021 में कुल 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बीमारियों के कारण आत्महत्या की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही। भारत में आत्महत्या के सबसे प्रबल कारणों में परिवारिक विवाद (33.2 प्रतिशत) पहले और बीमारियां दूसरे स्थान पर हैं। 

पंजाब में बीमारियों के कारण आत्महत्याओं का चलन

पंजाब को भारत के सबसे समृद्ध राज्यों की सूची में शुमार किया जाता है लेकिन यह पिछले कई वर्षों में उन प्रमुख राज्यों में शामिल है जहां बीमारियों के कारण आत्महत्या कर प्रतिशत सबसे अधिक है। एनसीआरबी के अनुसार, पंजाब में 2016 में हुई कुल आत्महत्याओं में 19.7 प्रतिशत आत्महत्याओं के पीछे बीमारियां रहीं। इस साल राज्य में कुल 1,440 लोगों ने खुदकुशी की और 283 लोगों ने बीमारियों के कारण जान दी। इस साल ऐसे राज्यों की लिस्ट में पंजाब 11वें स्थान पर था। 2017 में पंजाब में बीमारियों के कारण आत्महत्या की दर बढ़कर 31.7 प्रतिशत हो गई और वह सिक्किम (37.9 प्रतिशत) के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया।

साल 2018 में पंजाब बीमारियों के कारण आत्महत्या दर के मामले में पहले स्थान पर पहुंच गया। राज्य में 42.1 प्रतिशत आत्महत्या की वजह बीमारियां बन गईं। इस साल राज्य में हुईं 1,714 आत्महत्याओं में 722 की जड़ में बीमारियां रहीं। 2019 में आत्महत्याओं में बीमारियों का योगदान 27.7 प्रतिशत हो गया और यह छठे स्थान पर पहुंच गया।

2020 में पंजाब में हुई आत्महत्याओं में बीमारियों को योगदान फिर से बढ़कर 36.4 हो गया और लक्षद्वीप के बाद दूसरे स्थान पर आ गया। 2021 में आत्महत्याओं में बीमारियों की योगदान उच्चतम स्तर 44.8 प्रतिशत पर पहुंच गया। राज्य के लुधियाना शहर में बीमारियों के कारण 2021 में कुल 192 आत्महत्याएं दर्ज की गईं। एनसीआरबी के अनुसार, मानसिक रोग और अन्य दीर्घकालीन बीमारियां आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण हैं। साल 2021 में पंजाब में बीमारियों के कारण हुई कुल 1,164 आत्महत्याओं में सबसे अधिक 1,095 आत्महत्याएं पागलपन अथवा मानसिक रोगों के कारण हुईं। इनमें 882 पुरुष और 213 महिलाएं शामिल थीं।

बीमारियों की वजह

कृषि मामलों के जानकार देविंदर शर्मा पंजाब में बीमारियों को कीटनाशकों और उर्वरकों  के व्यापक इस्तेमाल से जोड़ते हुए बताते हैं कि पंजाब में गेहूं का उपयोग बहुत ज्यादा है। इनमें इस्तेमाल होने वाला रसायन बीमार बना रहा है। वह आगे बताते हैं कि पंजाब में बीमारियों का खर्च बहुत है और ज्यादातर लोग इसे वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। आत्महत्या करने वालों में किसान और कृषि श्रमिक सबसे अधिक हैं। कैंसर ट्रेन भी ज्यादातर किसानों को लेकर ही चलती हैं। दूषित जल भी पंजाब में बीमारियों का बड़ा कारण है।

शर्मा मानते हैं कि पंजाब की नदियां नालों में तब्दील हो चुकी हैं। औद्योगिक कचरा भी लोगों को मार रहा है। उनका मानना है कि अगर किसी घर में बीमारी होती है कि आमतौर पर परिवार पर 40 प्रतिशत कर्ज बढ़ जाता है। परिवार के किसी एक सदस्य के बीमार होने पर पूरा परिवार गरीबी रेखा से नीचे पहुंच जाता है। कर्ज और बीमारी की स्थिति में लोग अक्सर आत्महत्या पर मजबूर हो जाते हैं क्योंकि उन्हें इससे बाहर निकलने का रास्ता नजर नहीं आता।