स्वास्थ्य

आपदा : चमोली समेत गढवाल के चार जिलों में बादल फटने की घटना

मौसम विभाग के पास अब भी पर्वतीय जलों में बारिश की मात्रा के आंकलन के लिए पर्याप्त वेदर स्टेशन या अन्य व्यवस्था नहीं हैं।

Varsha Singh

कोरोना के कहर के बीच उत्तराखंड के पर्वतीय ज़िलों पर मौसम की भी मार पड़ रही है। 3 और 4 मई, 2021 को चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और टिहरी में बादल फटने से कई गांवों में घरों-दुकानों में मलबा घुस गया है।  

गढ़वाल के चार ज़िलों में बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। 04 मई, 2021 की शाम चमोली के घाट ब्लॉक में बादल फटने की सूचना मिली। बिनसर पहाड़ी की तलहटी में चिनाडोल तोक, बैंड बाज़ार और गणेशनगर में बारिश के साथ पहाड़ी से आया मलबा लोगों के घरों और दुकानों में घुस गया। सड़कों पर तेज़ बहाव में पानी आने लगा।

घटना की सूचना मिलते ही चमोली पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर राहत अभियान शुरू किया। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। एक व्यक्ति और दो बच्चों को रेस्क्यू किया गया। लगातार बारिश से अलकनंदा नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है। नदी किनारे रहने वाले सभी लोगों को अलर्ट कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जिलाधिकारी चमोली को फोन कर प्रभावितों तक तुरंत राहत पहुंचाने के निर्देश दिये। घायलों के इलाज और बेघर हुए लोगों के भोजन और रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। साथ ही लोगों को हुए नुकसान का आंकलन कर मुआवज़ा देने को कहा।

उधर रुद्रप्रयाग में लगातार दूसरे दिन बादल फ़टने से भारी नुकसान की सूचना है। मंगलवार शाम ज़िले के जखोली मक्षेत्र के बैनोली गांव में बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है। लोगों के घरों में पानी भर गया। गांववालो के खेत भी बह गए हैं। पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त हुई है। बादल फटने और मलबा आने से तिलवाड़ा- मयाली मार्ग बाधित हो गया है। जिसे खोलने का कार्य जारी है। इससे पहले सोमवार शाम को भी रुद्रप्रयाग में नरकोटा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पहाड़ियों पर बादल फटने से भारी मात्रा में मलबा आया।

सोमवार को ही उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के कुमराड़ा गांव में बादल फटने से काफी नुकसान हुआ। घरों और खेतों पर मलबा आ गया। टिहरी के जौनपुर विकास खंड के थत्यूड़ क्षेत्र के कंडाल गांव में भी इसी समय बादल फटने से अफरातफरी फैल गई।

मौसम विभाग के मुताबिक मध्यम बारिश

जनवरी, फरवरी और मार्च के सूखे के बाद अप्रैल के तीसरे हफ्ते से राज्य में बारिशों का दौर शुरू हुआ है। बेमौसम बारिश किसानों-बागवानों पर तो भारी बीती ही अब गांव में आपदाएं भी शुरू हो गई हैं। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल कहते हैं कि हमें इस दौरान पहाड़ों में मध्यम बारिश मिली है। रुद्रप्रयाग में 24 घंटे में 35 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। जो कि मध्यम श्रेणी में रखी जाती है। 24 घंटे में 64 मिमी. से अधिक बारिश को भारी वर्षा और 100 मिमी. या उससे अधिक बारिश को बादल फटने की श्रेणी में रखा जाता है।

मुश्किल ये है कि मौसम विभाग के पास अब भी पर्वतीय ज़िलों में बारिश की मात्रा के आंकलन के लिए पर्याप्त वेदर स्टेशन या अन्य व्यवस्था नहीं हैं। पहाड़ों में ऊंचाई पर बादल फटता है और वेदर स्टेशन निचले क्षेत्र में होता है तो उसका सही डाटा नहीं मिलता है। ये मुश्किल किसानों को प्राकृतिक आपदा के दौरान हुए नुकसान के आंकलन के समय भी आती है।

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक ये महज मध्यम श्रेणी की बारिश है। जबकि चमोली-रुद्रप्रयाग के गांवों की तस्वीरें ही नुकसान की स्थिति दर्शा रही हैं।

भारी बारिश की चेतावनी

मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल कहते हैं कि 5,6 और 7 मई को राज्य में अधिकांश स्थानों पर हलकी से मध्यम बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ़बारी का अनुमान जताया गया है। 6 मई को कुमाऊं के नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर में कहीं कहीं भारी बारिश का अनुमान है।

डॉप्लर राडार की मदद?

हिमालयी क्षेत्र में तीव्र मौसमी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के मुक्तेश्वर में इस वर्ष 15 जनवरी को अत्याधुनिक डॉप्लर वेदर राडार स्थापित किया गया था। जिससे कि मौसम बिगड़ने की सूचना समय पर मिल सके और लोगों को सुरक्षित रहने के लिए अलर्ट जारी किया जा सके। गढ़वाल क्षेत्र में भी ऐसा ही डॉप्लर राडार लगाया जाना है। लैंसडोन में इसके लिए जगह का चयन भी किया गया है। लेकिन ये राडार अब तक नहीं लग सका है।

गढ़वाल मे बादल फटने की घटनाओं में मुक्तेश्वर के डॉप्लर राडार से कोई सूचना नहीं मिली। मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल कहते हैं कि एक डॉप्लर राडार करीब 100 किलोमीटर के रेडियस में मौसम की ताज़ा स्थिति दर्शाता है। मुक्तेश्वर के राडार से गढ़वाल में मौसम की तीव्रता का अनुमान लगाना संभव नहीं है।

पहाड़ों में भी कोरोना संक्रमण के केस लगातार बढ़ रहे हैं। इस आपदा में जिनके घर टूटे हैं उनके लिए ये दोहरी मुश्किल है।