स्वास्थ्य

इन्फ्लूएंजा ए वायरस में बदलाव पर नजर रखने के लिए बनाया उपकरण

इस उपकरण से कोशिकाओं में विषाणु के बारे में पता करने के पश्चात उसके तेजी से फैलने वाले संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी

Dayanidhi

रटगर्स यूनिवर्सिटी की अगुवाई वाली टीम ने इन्फ्लूएंजा ए वायरस में बदलाव पर नजर रखने के लिए एक उपकरण विकसित किया है। यह वायरोलॉजिस्टों को यह जानने में मदद कर सकता है कि वायरस को फैलने से कैसे रोका जाए।

द जर्नल ऑफ फिजिकल एचटी सी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार सोने के नैनोपार्टिकल-आधारित जांच में इन्फ्लूएंजा ए कोशिकाओं में संक्रामक आरएनए को मापते हैं। वायरोलॉजी में यह पहली बार है जब विशेषज्ञों ने इन्फ्लूएंजा में होने वाले बदलाव पर नजर रखने के लिए सोने के नैनोकणों के साथ इमेजिंग उपकरणों का उपयोग किया है।

अमेरिका स्थित डिपार्टमेंट ऑफ़ मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग इन द स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग ऐट रटगर्स यूनिवर्सिटी-न्यू ब्रंसविक के एसोसिएट प्रोफेसर लौरा फैब्रिस ने कहा कि, हमारी जांच सेलुलर विशेषताओं पर महत्वपूर्ण जानकारी देगी। यह कोशिकाओं में विषाणु के बारे में पता करने के पश्चात उसके तेजी से फैलने वाले संक्रमण को रोकने में मदद करेगी।

विषाणुओं से फैलने वाले संक्रमण की वजह से कई तरह की बीमारियां फैलती हैं और मौतें हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार नए कोरोनोवायरस के संक्रमण से दुनिया भर में 28276 से अधिक मामले सामने आए है, जिनमें से 3859 से अधिक लोग गंभीर रुप से प्रभावित है और 6 फरवरी तक इसकी वजह से लगभग 565 लोगों की मौत हो चुकी थी।

इन्फ्लुएंजा ए, एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जो हर साल उत्पन्न होता है। बड़ी संख्या में लोग इस संक्रामक वायरस के शिकार हो जाते है। इसके लिए बने टीकों का प्रभाव इस वायरस पर कम हो रहा है। इन्फ्लुएंजा ए तेजी से बदलता है, इसके लिए दवाएं और टीके प्रतिरोधी होते हैं, क्योंकि यह संक्रमण को दोहराता रहता है।

इस नए अध्ययन में किसी मनुष्य की कोशिकाओं में इन्फ्लूएंजा ए के व्यवहार के अध्ययन के साथ-साथ किसी अन्य आरएनए वायरस का अध्ययन भी शामिल है। कोशिकाओं को प्रभावित करने वाली बाहरी स्थितियां या कोशिका गुणों की पहचान करने के लिए एक नया उपकरण तैयार किया गया है।

नया उपकरण कोशिकाओं को मारे बिना विश्लेषण कर सकता है, जिससे शोधकर्ताओं को विषाणु किस तरह का है, इसका स्नैपशॉट प्राप्त करने में मदद मिलती है। अगले चरणों में विषाणु आरएनए के कई खंडों का अध्ययन करना और जानवरों में इन्फ्लूएंजा ए वायरस की निगरानी करना शामिल है।