लोकल सर्कल्स द्वारा किए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में, डेंगू और अन्य वैक्टर जनित बीमारियों ने 25 फीसदी भारतीय परिवारों को प्रभावित किया है। इन घरों में एक या एक से ज्यादा सदस्य इन बीमारियों की चपेट में आए हैं। विभिन्न राज्यों में हाल के कुछ हफ्तों में इन बीमारियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
सर्वेक्षण से पता चला है कि 20 से अधिक राज्यों में डेंगू के 1,000 से 10,000 के बीच मामले सामने आए हैं, जबकि 15 राज्यों में इस साल 1,000 से कम मामले दर्ज किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर-बॉर्न डिजीज कंट्रोल के अनुसार 17 सितंबर तक देश में डेंगू के 94,198 मामले सामने आए हैं।
एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर के दौरान पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक मामले दर्ज किए हैं। जहां उत्तर 24 परगना जिले में डेंगू के 8,535 मामले सामने आए थे वहीं कोलकाता में डेंगू के 4,427 मरीज मिले हैं। अकेले पिछले सप्ताह में, कई राज्यों ने डेंगू के मामलों में वृद्धि दर्ज की है। ऐसा अक्सर मानसून और मानसून के बाद के मौसम में देखा जाता है जब मच्छर जनित बीमारियां बढ़ जाती हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो हफ्तों में तमिलनाडु में हर दिन डेंगू के पचास नए मामले सामने आए हैं। इसके कारण साल में डेंगू के कुल मामलों की संख्या 5,356 पर पहुंच गई है, जबकि अब तक पांच लोगों की मौत डेंगू की वजह से हो चुकी है। इसी तरह बुधवार को, बिहार में डेंगू के 373 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ों पर गौर करें तो अकेले अक्टूबर के महीन में बिहार में डेंगू के कुल 4,940 मामले दर्ज किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसी ही स्थिति हैं जहां अब तक 13,000 से अधिक डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 20 अक्टूबर, 2023 को पिछले 24 घंटों में इसके 600 नए मामले दर्ज किए गए थे। इंडिया टुडे के अनुसार लखनऊ, मोरादाबाद, मेरठ, कानपुर और नोएडा इसके प्रमुख हॉटस्पॉट बने हुए हैं।
इस सर्वेक्षण में 327 जिलों से 58,000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थी। इन उत्तरदाताओं में, 47 फीसदी टियर 1 शहरों से, 34 फीसदी टियर 2 शहरों से, और 19 फीसदी टियर 3, 4 के साथ ग्रामीण जिलों से जुड़े लोग थे।
73 फीसदी ने माना सरकार ने मच्छरों को रोकने के लिए नहीं उठाए पर्याप्त कदम
हालांकि मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों में उछाल के बावजूद सर्वेक्षण में शामिल करीब 73 फीसदी प्रतिभागियों का कहना है कि नगर निगम या स्थानीय प्रशासन ने सर्वेक्षण से पहले 45 दिनों तक उनके क्षेत्रों में मच्छरों को रोकने के लिए धुंआ नहीं किया था। देखा जाए तो लोगों की सुरक्षा के लिए अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई न करने का मतलब है कि इससे परिवारों द्वारा मच्छरों को नियंत्रित करने होने वाला घरेलु खर्च बढ़ जाता है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, 43 फीसदी परिवार मच्छर नियंत्रण पर हर महीने 200 रुपए या उससे ज्यादा खर्च करते हैं। इनमें से अधिकांश लोग लिक्विड रेपेलेट्स, स्प्रे या बैटरी से चलने वाले रैकेट पर निर्भर हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जो आंकड़े साझा किए गए हैं उनके अनुसार 17 सितंबर, 2023 तक निम्नलिखित राज्यों में डेंगू से अब तक 91 मौतें दर्ज हो चुकी हैं: