स्वास्थ्य

जानलेवा पीएम: फरीदाबाद के अस्पतालों में डेढ़ गुणा बढ़ गई बच्चों की संख्या

DTE Staff

दिल्ली एनसीआर सहित देश के लगभग सभी बड़े शहरों में पार्टिकुलेट मेटर यानी पीएम का बढ़ता स्तर बच्चों के लिए जानलेवा बना हुआ है। इस जानलेवा पीएम का असर जानने के लिए डाउन टू अर्थ दिल्ली सहित अन्य शहरों से रिपोर्ट कर रहा है। पहली कड़ी में आपने पढ़ा: जानलेवा पीएम : बच्चों की अटक रहीं सासें, अस्पतालों में लगी हैं लंबी कतारें । दूसरी कड़ी में आपने पढ़ा: सबसे ज्यादा बेहाल हैं राजधानी के पांच साल तक के बच्चे, अस्पतालों में बढ़ी संख्या। आज पढ़ें दिल्ली से सटे फरीदाबाद में किस हाल में बच्चे- 

-अमित भाटिया- 

औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में प्रदूषण बेहद विकट स्थिति में पहुंच गया है। छह नवंबर 2023 को एनआईटी फरीदाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5, 500 दर्ज किया गया। जब बच्चे इस प्रदूषित हवा को सांस के माध्यम से अपने शरीर में ले रहे हैं तो उन्हें उल्टी-दस्त के अलावा सांस लेने में भी परेशानी हो रही है।

चिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जो रोग को और बढ़ा देती है। यहीं कारण है किअस्पताल में ऐसे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जिला नागरिकअस्पताल में पिछले एक सप्ताह से बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार की शिकायत तेजी सेबढ़ी है। बच्चों की ओपीडी में भी अचानक से बढ़ोतरी हुई है।

शहर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की छुट्टियां कर दें। यह आदेश 12 नवंबर तक लागू रहेगा।  

मेवला महाराजपुर की रहने वाली 10 वर्षीय वंदना कुमारी को पिछले करीब दो हफ्ते से खांसी की शिकायत है। वंदना की मां राजवती ने बताया कि वो उसे 27 अक्टूबर को अस्पताल में लेकर आई थी। मगर अभी तक खांसी में कोई ख़ास आराम नहीं है और बलगम भी बहुत ज्यादा है। पिछले दो-तीन दिन से तो परेशानी ज्यादा हो रही है। डॉक्टर ने अंदेशा जताया है कि प्रदूषण के कारण उसकी खांसी ठीक होने में अभी समय लगेगा। साथ ही उन्होंने तपेदिक (टीबी) का टेस्ट करवाने के लिए भी कहा है।

नागरिकअस्पताल की ओपीडी में बाल रोग विशेषज्ञ के कमरे के बाहर लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रही राजकुमारी भी खांसी और बुखार से पीड़ित है। जवाहर कॉलोनी की रहने वाली 11 साल की राजकुमारी के भाई अनुज ने बताया कि तीन चार दिन से उसकी बहन को तेज बुखार के साथ खांसी और सिर में भारीपन की शिकायत है। बुखार में तो आराम है, मगर खांसी और सिर में दर्द व भारीपन के कारण वो उठ भी नहीं पा रही है। दो दिन तो निजी डॉक्टर से इलाज करवाया और आज उसे यहां लेकर आए हैं।

एनआईटी निवासी दीपा अपने 15 साल के बेटे दक्ष और 11 साल की बेटी माही दोनों को लेकर इलाज के लिए आई थी। दीपा ने बताया कि करीब 10 दिन पहले बेटे को खांसी औरबुखार हुआ और दो दिन से बेटी को भी बहुत खांसी हो रही है। बेटे का बुखार तो ठीक है, मगर खांसी के साथ काफी बलगम आ रही है। अब इन दोनों की खांसी का इलाज चल रहा है, मगर कोई खास आराम नहीं है।

दीपा का कहना है कि दोनों बच्चों को पिछले दो वर्षों से दिवाली से पहले प्रदूषण बढ़ने पर खांसी और जुकाम की शिकायत हो रही है।डॉक्टरों भी इन्हें प्रदूषण से बचाने के लिए कहते हैं। इसलिए कोशिश रहती है कि इस मौसम में घर से बाहर निकलते समय दोनों मास्क पहन कर निकलें। 

जिला नागरिक अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल ने बताया कि जब से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार, आंखों में जलन की शिकायत भी बढ़ गई है। पिछले चार-पांच दिन से अचानक ओपीडी में मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। पहले जहां ओपीडी 100 से 110 की रहती थी, वही अब बढ़कर 140 से 150 तक पहुंच गई है। इनमें भी 6 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चों की संख्या ज्यादा है क्योंकि छोटे बच्चों के फेफड़े बड़े बच्चों के मुकाबले में कमजोर होते हैं और जल्दी ही बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। डॉक्टर गोयल ने बच्चों को प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनकर घर से बाहर भेजने की बात कही है ताकि उन्हें प्रदूषण से बचाया जा सके।