शोधकर्ताओं ने डेलगाडा में हाथी सील की प्रजनन कॉलोनी का सर्वेक्षण किया, जहां उन्होंने एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण सामूहिक मृत्यु देखी, लगभग 17,000 हाथी सील मर गए थे।  फोटो: आईस्टॉक
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पहली बार हाथी सील में पाया गया खतरनाक एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस: अध्ययन

शोध में कहा गया है कि इस बात की चिंता बढ़ रही है कि स्तनपायी में फैलने के लिए अपने आपको ढ़ालने वाला एच5एन1 वायरस मनुष्यों सहित अन्य प्रजातियों में भी फैल सकता है।

Dayanidhi

एक नए अध्ययन में अर्जेंटीना में हाथी सील में बड़े पैमाने पर एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का प्रकोप पाया गया। अध्ययन में कहा गया है कि खतरनाक रोग फैलाने वाला एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस तेजी से आम होते जा रहे हैं। वायरस स्तनधारियों में नए तरीकों से अपने आपको ढाल रहे हैं, जिसके दुनिया भर में मनुष्य, वन्यजीव और पशुधन के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।

यह अध्ययन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के पशु चिकित्सा विद्यालय और अर्जेंटीना में राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान की अगुवाई में किया गया है। अध्ययन से स्पष्ट पता चलता है कि एक स्तनधारी से दूसरे स्तनधारी में वायरस फैल रहा है। इसमें कहा गया है कि यह प्रकोप स्तनधारियों में वायरस का पहला ज्ञात मामला है, जिसे दुनिया भर में देखा गया है, जिसमें एक ही वायरस थोड़े समय बाद अलग-अलग देशों में कई नई प्रजातियों में दिखाई देता है।

अध्ययन के मुताबिक, जीनोमिक विश्लेषण से पता चला है कि वायरस अब दक्षिण अमेरिका में अलग-अलग पक्षियों और समुद्री स्तनपायी में विकसित हो रहा है। इस बात की चिंता बढ़ रही है कि स्तनपायी में फैलने के लिए अपने आपको ढ़ालने वाला एच5एन1 वायरस मनुष्यों सहित अन्य प्रजातियों में भी फैल सकता है।

शोधकर्ता ने अध्ययन  के हवाले से कहा, यह इस बात का सबूत है कि हमें सतर्क रहना चाहिए, खासकर समुद्री स्तनधारियों के लिए। जितना अधिक यह स्तनधारियों में अपने आपको अनुकूल बनाएगा, उतना ही यह मनुष्यों के लिए बड़े खतरे के रूप में उभरेगा।

प्रकोप कब-कब सामने आया

अध्ययन के मुताबिक, एच5एन1 क्लेड 2.3.4.4बी के वर्तमान वैरिएंट ने 2020 में दुनिया भर में समस्याएं पैदा करना शुरू किया। जबकि उस दौरान लोग कोविड-19 महामारी का सामना कर रहे थे। एच5एन1, या "एवियन इन्फ्लूएंजा" ने दक्षिण अफ़्रीका में जाने से पहले यूरोप में दसियों हजार समुद्री पक्षियों को मारना शुरू कर दिया था। 2022 में, यह अमेरिका और कनाडा में प्रवेश कर गया, इसने मुर्गी और जंगली पक्षियों को खतरा पैदा किया और फिर 2022 के अंत में दक्षिण अमेरिका में फैल गया।

फरवरी 2023 तक, अर्जेंटीना में पहली बार अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (एचपीएआई) का पता चला, जिसने पांच महीनों तक मुख्य रूप से मध्य अर्जेंटीना में मुर्गी पालन को प्रभावित किया। अगस्त 2023 तक, मुर्गी पालन में दो महीने तक कोई प्रकोप न होने के बाद, टिएरा डेल फ़्यूगो द्वीप के अटलांटिक तट से दूर दक्षिण अमेरिका के सिरे पर समुद्री शेरों में वायरस पाया गया। वहां से, यह तेजी से उत्तर की ओर बढ़ा, जिसके घातक परिणाम हुए, पहले समुद्री स्तनधारियों के लिए और बाद में समुद्री पक्षियों के लिए।

अक्टूबर 2023 में, समुद्री शेरों में प्रकोप के बाद, अध्ययनकर्ताओं ने अर्जेंटीना के प्रायद्वीप वाल्देस के तट पर पुंटा डेलगाडा में हाथी सील की प्रजनन कॉलोनी का सर्वेक्षण किया। जहां उन्होंने सामूहिक मृत्यु देखी, लगभग 17,000 हाथी सील मर गए। नवंबर तक, उस मौसम में पैदा हुए 96 फीसदी बच्चे भी मर गए थे। परीक्षण के परिणामों ने पुष्टि की कि एचपीएआई एच5एन1 सील के साथ-साथ कई जीवों में भी मौजूद था जो एक ही समय में मर गए।

बायोरेक्सिव में प्रीप्रिंट के रूप में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वायरस का पक्षियों और समुद्री स्तनपायी क्लैड में विभाजन तब सामने आया जब एच5एन1 क्लैड 2.3.4.4बी - विशेष रूप से जीनोटाइप बी3.2 - स्तनधारियों में फैलने से पहले प्रवासी पक्षियों के माध्यम से महाद्वीप पर पहुंचा। फिर यह एवियन क्लैड वायरस से अलग हो गया और अपना खुद का, समुद्री स्तनपायी में फैलने वाला वायरस बन गया।

चिंताजनक बात यह है कि जबकि वायरस पिन्नीपेड्स में फैलता है, यह अभी भी पक्षियों को संक्रमित कर सकता है। अध्ययन में यह स्पष्ट पाया गया कि वायरस हाथी सील से मिलने वाले वायरस के समान था।

अध्ययन में शोधकर्ता ने बताया कि समय के साथ इस समुद्री स्तनपायी में वायरस का विकास हो रहा है। यह वायरस स्तनधारियों के अनुकूल होने में सक्षम है, जैसा कि हम स्तनधारी क्लेड से संबंधित वायरस में लगातार पाए जाने वाले म्युटेशन देख सकते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस आमतौर पर जीन के हिस्सों में म्युटेशन करते हैं, जिससे वे नए-नए जीवों के अनुकूल होने में सक्षम होते हैं।

शोधकर्ता ने अध्ययन के हवाले से कहा यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि मानव स्वास्थ्य, वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिकी पर वायरस से होने वाले खतरों को बेहतर ढंग से समझने के लिए निगरानी और जांच जारी रहनी चाहिए।