स्वास्थ्य

सीएसई लैब रिपोर्ट: आपके चिप्स और नमकीन में है ज्यादा नमक और वसा

Amit Khurana, Sonal Dhingra

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जंक फूड और पैकेटबंद भोजन खाकर हम जाने-अनजाने खुद को बीमारियों के भंवरजाल में धकेल रहे हैं। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जंक फूड में नमक, वसा, ट्रांस फैट की अत्यधिक मात्रा है जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। ताकतवर प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री और सरकार की मिलीभगत से जंक फूड 6 साल से चल रहे तमाम प्रयासों के बावजूद कानूनी दायरे में नहीं आ पाया है। जंक फूड बनाने वाली कंपनियां उपभोक्ताओं को गलत जानकारी देकर भ्रमित कर रही हैं और खाद्य नियामक मूकदर्शक बनकर बैठा हुआ है अध्ययन : मृणाल मलिक, अरविंद सिंह सेंगर और राकेश कुमार सोंधिया विश्लेषण : अमित खुराना और सोनल ढींगरा

भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली के जरिए “स्मार्ट ऑप्शन फॉर स्मार्ट स्नैकर” का प्रचार ही गलत है। संबंधित स्नैकर में नमक की मात्रा सेहत खराब करने वाली है। सभी जांचे गए चिप्स पैकेट्स में टू यम मल्टीग्रेन चिप्स के 30 ग्राम चिप्स में एक ग्राम नमक ज्यादा पाया गया। दूसरे शब्दों में दिन भर में स्नैकर के तहत 30 ग्राम का यह चिप्स मानकों से दोगुना ज्यादा नमक आपके शरीर में पहुंचाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्यवर्धक हरी सब्जी और सलाद की पत्तियां भी अत्यधिक नमक का स्रोत हैं। इसलिए यदि आपने टू यम मल्टीग्रेन चिप्स एक बार दिन में खा लिया है तो दिन में दोबारा स्नैक लेने से पहले जरूर सोचें। यहां तक कि सभी जांचे गए चिप्स में या तो अधिक नमक मिला या फिर वसा की मात्रा अधिक मिली। किसी-किसी चिप्स में दोनों मात्राएं ज्यादा मिलीं। लेज इंडिया मैजिक मसाला, अंकल चिप्स स्पाइसी ट्रीट और हल्दीराम चिप्स पुदीना ट्रीट में नमक और वसा की मात्रा आरडीए से 10 फीसदी से ज्यादा है। यदि आपने 30 ग्राम हल्दीराम का चिप्स पुदीना ट्रीट खा लिया है तो आरडीए के हिसाब से दिन का एक-पांचवा हिस्सा वसा आप ले चुके हैं।

30 ग्राम सर्विंग साइज (खाने के लिए अनुमति योग्य मात्रा) का दावा करने वाले चिप्स पैकेट का आकार सचमुच दावे के अनुरूप नहीं होता। उदाहरण के तौर पर लेज के 20 रुपए वाले “अमेरिकन स्टाइल क्रीम एंड ओनियन फ्लेवर” का वजन 52 ग्राम है, जबकि उस पर सर्विंग साइज 30 ग्राम लिखा है। ज्यादा ऑफर वाले चिप्स आप ज्यादा खा सकते हैं इसलिए सोफे पर चिप्स का पैकेट लेकर आराम करने से पहले उसकी छपाई पर ध्यान दें और यह दिमाग लगाएं कि बिना स्वास्थ्य पर प्रभाव डाले कितना खाया जा सकता है।

हल्दीराम चिप्स पुदीना ट्रीट तो अपने पैकेट की छपाई पर सर्विंग साइज ही नहीं लिखता। यहां तक कि वह अपने ग्राहकों को अतिरिक्त चिप्स देने के बहाने आकर्षित करता है। टू यम मल्टीग्रेन चिप्स के पैकेट पर सर्विंग साइज की सूचना ही बेकार है। पैक पर बनाई गई छवि ही सर्विंग साइज को प्रदर्शित करती है। जबकि पैकेट पर दिखाई गई छवि में 4 से 5 चिप्स ही दिखाए गए हैं। यह निश्चित तौर पर वह मात्रा नहीं है जिससे बच्चे रुक जाएं।

लगातार चिप्स खाने वालों को दांतों की समस्या भी होती है। यह एक साधारण बीमारी समझी जाती है या फिर इसकी अनदेखी की जाती है। उत्तर प्रदेश, नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में दंत रोग विभाग के विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ चिकित्सक प्रवीण चौधरी बताते हैं कि चिप्स चिपकने वाले होते हैं और घंटों यह मुंह में बने रहते हैं। जल्द ही यह दांतों-मसूढ़ों को कमजोर बनाते हैं।

सीएसई लैब ने चार प्रकार के नमकीनों को जांचा है। एक में उच्च मात्रा में नमक और वसा पाया गया है। हल्दीराम क्लासिक नट क्रैकर में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है। यह आरडीए मानकों से 35 फीसदी ज्यादा है। यह एक बार का समुचित खाना खाने में अनुमति योग्य नमक से भी ज्यादा है। वहीं, सिर्फ वेबसाइट पर ही 35 ग्राम इसकी सर्विंग साइज के बारे में लिखा गया है। यानी पैक खोलने से पहले ऑनलाइन जांचना एक बहुत ही दुश्वारी भरा काम है।

हल्दीराम की आलू भुजिया खाते ही आप आरडीए मानकों द्वारा तय 21 फीसदी नमक खा लेते हैं, लेकिन ग्राहक किसी भी तरीके से यह नहीं जान सकता है कि इस नमकीन और चिप्स को खाते हुए वह कितनी मात्रा में नमक खा चुका है। सीएसई के जरिए जांचे गए 14 पैकेटबंद भोजन में 10 ने अपने उत्पादों में सोडियम के बारे में बताया है लेकिन नमक के बारे में नहीं। इससे ग्राहकों को भ्रामक सूचना मिलती है। तीन उत्पादों में न ही सोडियम और न ही नमक की मात्रा दर्शायी गई। सिर्फ एक उत्पाद में नमक अथवा सोडियम की मात्रा लिखी गई। मिसाल के तौर पर मंजीत बड़ी सावधानी से चिप्स में मिलाई गई सामग्री के बारे में पढ़ती हैं लेकिन वह अपने बच्चे को नहीं बता सकती कि वह रोजाना कितना नमक खा रहा है।

यह स्पष्ट है कि फूड कंपनियां जटिल तथ्य देती हैं। एक व्यक्ति को दो ग्राम से ज्यादा सोडियम नहीं खाना चाहिए लेकिन कंपनियां यह सूचना मिलीग्राम में देती हैं। इसलिए हर उत्पाद के बारे में दिमागी गणित लगाना एक और अतिरिक्त काम है।