स्वास्थ्य

उत्तराखंड में 30 किमी दूर जाकर भी नहीं मिल रही कोरोना वैक्सीन

उत्तराखंड में टीकाकरण की स्थिति का आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सभी स्वास्थ्य कार्यकताओं को भी अभी वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लग पाई है

Trilochan Bhatt


लक्ष्मी नारायण शुक्ला उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ  ब्लाॅक के देवली गांव में रहते हैं। उनकी उम्र 30 वर्ष है। उन्हें अक्सर घर से बाहर निकलना होता है। 18 से 45 वर्ष के लोगों के लिए कोविड वैक्सीन की शुरुआत हुई तो वे भी अपने गांव में करीब 10 किमी दूर गुप्तकाशी में वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचे। वहां बताया कि पहले उन्हें पोर्टल पर अपने लिए स्लाॅट बुक करवाना होगा। यह भी बताया गया कि पोर्टल शाम 4 बजे खुलता है।

लक्ष्मी नारायण शुक्ला को बिना वैक्सीन लगवाये लौटना पड़ा। इसके बाद लगातार एक हफ्ते तक स्लाॅट बुक करने का प्रयास करते रहे। कभी गांव में नेटवर्क नहीं होता तो कभी रजिस्ट्रेशन के आॅप्शन तक पहुंचने से पहले ही सभी स्लाॅट बुक हो जाते। आखिरकार 16 मई को स्लाॅट बुक हुआ। कर्फ्यू के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं मिल पाया तो प्राइवेट कार बुक करवाकर गुप्तकाशी पहुंचे। दिये गये समय से करीब डेढ़ घंटे देरी से उन्हें टीका लग पाया।

रुद्रप्रयाग जिले के ही अगस्त्यमुनि ब्लाॅक के कान्दी गांव के राजेन्द्र सिंह इतने भाग्यशाली नहीं हैं। वे भी 18 से 45 आयु वर्ग में आते हैं। राजेन्द्र सिंह 13 मई को अपने गांव से 12 किमी दूर चंद्रनगर वैक्सीन सेंटर पहुंचे। वहां बताया गया कि यहां सिर्फ 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। उन्हें वैक्सीन लगवाने अगत्यमुनि जाना पड़ेगा, जो कान्दी गांव में करीब 25 किमी दूर है। राजेन्द्र को यह भी बताया गया कि पोर्टल पर स्लाॅट बुक करके ही वैक्सीन लगवाने जाना है।

राजेन्द्र बताते हैं कि 13 मई के बाद से लगातार वे स्लाॅट बुक करवाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन नेटवर्क न होने के कारण स्लाॅट बुक करना संभव नहीं है। राजेन्द्र सिंह की दूसरी परेशानी यह है कि यदि स्लाॅट बुक हो भी जाता है तो वे अगस्त्यमुनि जाएंगे कैसे? आने-जाने के सभी साधन इन दिनों बंद हैं। गांव के कुछ और युवक प्रयास कर रहे हैं कि एक साथ सभी का स्लाॅट बुक हो जाये तो कोई प्राइवेट कार या ट्रैकर बुक करके टीका लगावाने जाएंगे, लेकिन अब तक ऐसा हो नहीं पाया है।

उत्तराखंड के 9 पर्वतीय जिलों में लक्ष्मी नारायण शुक्ला और राजेन्द्र सिंह जैसे लाखों युवक और युवतियां हैं, जिन्हें टीका लगावाना है। लेकिन, एक तो उन्हें टीका लगवाने के लिए दूर जाना पड़ रहा है और दूसरी समस्या स्लाॅट बुक करवाने की है। युवाओं का कहना है कि पोर्टल बताये गये समय पर रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं खुलता। इसके अलावा इस आयु वर्ग के लिए इतने कम स्लाॅट दिये जा रहे हैं कि खुलते ही सभी सेंटर्स के सभी स्लाॅट बुक हो जाते हैं।

रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार निवासी राजीवलोचन कहते हैं कि 18 से 45 वर्ष के लोगों को वैक्सीन लगवाना बड़ी मुश्किल साबित हो रहा है। 45 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए रुद्रप्रयाग जिले में कई वैक्सीनेशन सेंटर हैं। इस आयु वर्ग के लोग सेंटर पर जाकर आसानी से वैक्सीनेशन करवा रहे हैं। लेकिन, 18 से 45 आयु वर्ग वालों का वैक्सीनेशन सिर्फ 5 सेंटर्स पर किया जा रहा है। इनमें रुद्रप्रयाग, जखोली, अगस्त्यमुनि, गुप्तकाशी और ऊखीमठ शामिल हैं।

राजीवलोचन कहते हैं कि गांवों में इंटरनेट का नेटवर्क या तो होता ही नहीं है और होता भी है तो बहुत कमजोर होता है। ऐसे में पहली समस्या तो स्लाॅट बुक करवाने की आ रही है। यदि किसी तरह स्लाॅट बुक हो जाता है तो दूसरी समस्या जिले के दूर-दराज गांवों से वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचते की आती है। कोरोना कफ्र्यू के कारण कोई वाहन सड़कों पर नहीं है। ऐसे में जिन लोगों का स्लाॅट बुक होता है, वे 2000 रुपये तक खर्च करके ट्रैकर बुक करवाकर वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचते हैं।

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में वैक्सीनेशन की रफ्तार कितनी कम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के 9 पर्वतीय जिलों में अब तक 18 से 45 वर्ष के केवल 50585 लोगों का ही वैक्सीनेशन संभव हो पाया है। राज्य के चार मैदानी जिलों को भी मिला लिया जाए तो अब तक 18 से 45 आयु वर्ग के 1,22,167 लोग वैक्सीनेशन करवा चुके हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य में अब तक 18 से 45 वर्ष के टीका लगवाने वाले युवाओं में 59 प्रतिशत 4 मैदानी जिलों के हैं, जबकि 9 पर्वतीय जिलों के सिर्फ 41 प्रतिशत युवा ही इनमें शामिल हैं।

9 पर्वतीय जिलों में 18 से 45 वर्ष के टीका लगावाने वाले लोगों की जिलावार कुल संख्या की बात करें तो किसी भी जिले में अब तक यह संख्या 8 हजार का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। अल्मोड़ा जिले में इस आयुवर्ग के 7,405, बागेश्वर में 6,816, चमोली में 6,841, चम्पावत में 6,656, पौड़ी में 7,187, पिथौरागढ़ में 3,919, रुद्रप्रयाग में 2,336, टिहरी में 6,040 और उत्तरकाशी में 3,385 लोगों को ही टीका लगाया जा सका है।

उत्तराखंड टीकाकरण के मामले में हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक उम्र के वर्ग की स्थिति भी संतोषजनक है। देशभर के साथ ही उत्तराखंड में सबसे पहले हेल्थ केयर वर्कर्स का टीकाकरण शुरू किया गया था। दावा किया गया था कि हेल्थ केयर वर्कर्स का पूरी तरह वैक्सीनेशन करने के बाद अन्य लोगों को टीका लगाया जाएगा। लेकिन, राज्य में अब भी 26,374 हेल्थ केयर वर्कर्स हैं।
राज्य में 1,14,431 हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है, लेकिन दूसरी डोज इनमें से केवल 88,057 को ही मिली है। इसी तरह 59,462 फ्रंट लाइन वर्कर्स की वैक्सीन की दूसरी डोज का इंतजार कर रहे हैं। 1,47,201 फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। इनमें से 87,739 को ही दूसरी डोज मिल पाई है।

दूसरी डोज का इंतजार करने वालों में सबसे बड़ी संख्या 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की है। चमोली जिले के घाट निवासी 50 वर्षीय रमेश दत्त बताते हैं कि उन्होंने 12 अप्रैल को पहला टीका लगाया था। उन्हें जो सर्टिफिकेट दिये गया है, उसमें 28 दिन बाद दूसरा टीका लगाने की डेट लिख गई है। 14 अप्रैल का वे दूसरा टीका लगाने के लिए गये, लेकिन अब उन्हें 90 दिन बाद आने के लिए कहा गया है।
राज्य में 45 वर्ष के अधिक उम्र के 15,56 480 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। जबकि दूसरी डोज पाने वालों की संख्या सिर्फ 5,04,270 है। बाकी 10,52,210 लोग दूसरी डोज का इंजजार कर रहे हैं। इसमें से ज्यादातर लोगों की समस्या यह है कि उन्हें साफ तौर पर यह नहीं बताया जा रहा है कि दूसरा टीका कितने दिन बाद लगाया जाना है।

देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तराखंड में टीकाकरण की इस स्थिति का कारण वैक्सीन की कमी बताई जा रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्यभर में न सिर्फ वैक्सीनेशन सेंटर कम कर दिये गये हैं, बल्कि हर सेंटर के आवंटित स्टाॅल में पहले से आधे कर दिये गये हैं। राज्य सरकार अब भी केन्द्र से मिलने वाली वैक्सीन से ही काम चला रही है। लेकिन अब राज्य सरकार ने ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किये। 23 मई तक मिलने वाले टेंडर 24 मई को खोले जाएंगे।