स्वास्थ्य

सितंबर 2022 तक खत्म हो सकती है कोविड-19 महामारी, डब्ल्यूएचओ ने बताया तरीका

DTE Staff

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से बचाने वाली वैक्सीन, जांच और उपचार में असमानता का मुकाबला करने के लिए लगभग 2.34 अरब डॉलर की जरूरत है। इस पैसे से ऐसे देशों की मदद की जाएगी, जो अत्यधिक जोखिम का सामना कर रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए बकायदा एक रणनीति बनाई है और सक्षम देशों से गुहार लगाई है कि वे आगे आकर पैसे का इंतजाम करें। यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले दो माह के दौरान एक बार फिर से दुनिया भर में कोविड-19 के केसों में वृद्धि हो रही है। 

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोविड-19 महामारी का खात्मा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से चलाए जा रहे वैश्विक कार्यक्रम – एसीटी (द अक्सेस टू कोविड टूल्स) ऐक्सैलेरेटर काफी महत्व रखता है। इससे दुनिया भर में सम्भावित 50 लाख मौतों और लगभग 5.3 ट्रिलियन डॉलर के बराबर वैश्विक आर्थिक नुकसान को रोका जा सकता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस कार्यक्रम के अत्याधिक जोखिम झेल रहे देशों की मदद की जाएगी। साथ ही, ऐसे उपकरण व संसाधनों का इंतजाम किया जाएगा, ताकि सितंबर 2022 तक कोविड-19 महामारी का मुकाबला कर खत्म किया जा सके। 

ध्यान रहे कि कोरोनावायरस का मुकाबला करने के लिये प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ मिलकर अप्रैल 2020 में एसीटी ऐक्सैलेरेटर कार्यक्रम शुरू किया गया था। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि एसीटी ऐक्सैलेरेटर कार्यक्रम ने वैक्सीन उपलब्ध कराने वाली पहल - ‘कोवैक्स’ के जरिये, अभी तक 144 देशों में, साढ़े 42 करोड़ से अधिक खुराकें उपलब्ध कराई हैं। साथ ही, लगभग 13 करोड़ टैस्ट किटें, ऑक्सीजन, पीपीई और उपचार किटें भी मुहैया कराई गई हैं।

उन्होंने कहा, “मगर एसीटी ऐक्सैलेरेटर कार्यक्रम अभी तक अपनी पूरी सामर्थ्य और क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पाया है। इसकी वजह आपूर्ति में बड़ी रुकावटें और वित्तीय संसाधनों की कमी है।”

उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि जब तक इस महामारी पर सभी स्थानों पर काबू नहीं पाया जाता है, तब तक ये वायरस अपने रूप बदलता रहेगा और हर जगह फैलना जारी रखेगा। 

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि एक बार फिर से कोविड-19 महामारी के मामलों में उछाल आना यह दर्शाता है कि महामारी अभी खत्म होने वाली नहीं है। 

पिछले दो महीनों के दौरान, पहली बार इस महामारी के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है, और ऐसा मुख्य रूप से यूरोप में मामलों में आए उछाल के कारण हो रहा है, जबकि अन्य स्थानों पर कमी देखी गई है।

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी, मुख्य रूप से इसलिये बनी हुई है क्योंकि इससे मुक़ाबला करने वाले उपकरणों व संसाधनों की उपलब्धता में भी विषमता बरक़रार है.

उन्होंने कहा, “अगर अभी तक दिए गए छह अरब 80 करोड़ टीकों का समान वितरण होता तो, हर देश में 40 प्रतिशत लोगों को टीके लगाए जाने का लक्ष्य हासिल हो चुका होता।”

उन्होंने विश्व के अग्रणी औद्योगिक देशों से अपील करते हुए कहा कि इस महामारी को खत्म करने और भविष्य में इस तरह के संकट पहले से ही रोकने के लिये जिस तरह के राजनैतिक और वित्तीय संकल्पों की जरूरत है, उनकी सामर्थ्य इन देशों के पास मौजूद है।

उन्होंने जी20 देशों के नेताओं से, एसीटी ऐक्सैलेरेटर को पूर्ण समर्थन व सहायता देने का आग्रह किया.

उन्होंने साथ ही इन देशों से, महामारी की रोकथाम के लिये पूर्व तैयारी और फैलाव के बाद उसका मुक़ाबला करने के लिये क़ानूनी रूप से बाध्य, एक वैश्विक सन्धि वजूद में लाने के प्रयासों को समर्थन देने का भी आग्रह किया.