15 सितंबर 2020 की रात 10 बजे भारत में कोविड-19 के मामलों ने 50 लाख का आंकड़ा पार कर लिया। हालांकि यह आंकड़ा महामारी के लिए कोई मील का पत्थर नहीं है, लेकिन इस पड़ाव में यह जानना जरूरी है कि एक देश में कैसे इस आंकड़े तक पहुंचा और इस महामारी के लिए सरकार की रणनीति और तैयारियां कैसे ध्वस्त हो गई।
कोविड-19 इंडिया डॉट ओआरजी के रात 10 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 50 लाख 4 हजार हो चुके हैं। भारत अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा बड़ा देश है, जिसे कोविड-19 महामारी ने बुरी तरह प्रभावित किया है। दुनिया भर में कुल 2.90 करोड़ लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से लगभग 17 फीसदी भारत में हैं। कोरोना से दुनिया भर में 922,252 लोगों की मौत हो चुकी हैं, इनमें से 82 हजार से अधिक लोग भारत से हैं।
30 जुलाई 2020 के बाद कोई ऐसा दिन नहीं गुजरा, जब भारत में रोजाना 50 हजार से अधिक नए मामले न आए हों। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मामले कितने तेजी से बढ़ रहे थे, लेकिन 6 सितंबर 2020 के बाद भारत में रोजाना 80 हजार से अधिक मामले आने लगे और चार दिन से लगातार 90 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
जनवरी के अंत तक भारत में कोविड-19 के केवल पांच मामले थे, तब तक कोविड-19 को महामारी भी घोषित नहीं किया गया था और भारत ने केवल चीन से आने वाले हवाई यात्रियों के आगमन पर पाबंदी लगाने की बात की थी। लेकिन इसके 227 दिन भारत में कोविड-19 मरीजों की संख्या 50 लाख से अधिक पहुंच गई और अमेरिका की तरह भारत भी तेजी से संक्रमण फैलने वाले देश बन गया।
इसी तरह 8 जून से शुरू हुए सप्ताह के बाद भारत में हर सप्ताह 1 लाख से अधिक केस आने लगे और अगस्त के मध्य में देश में पांच लाख से अधिक मामले पहुंच गए।
इस तरह 21वीं सदी के लिए कोविड-19 सबसे घातक महामारी साबित होने वाली है। इससे पहले 2009 में दुनिया में स्वाइन फ्लू महामारी फैली थी। मौसमी फ्लू बनने से पहले स्वाइन फ्लू की वजह से 2,85,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसका मतलब यह है कि इसके बाद बेशक दुनिया ने इस बीमारी के बारे में बात नहीं की, लेकिन इसकी वजह से मौतों का सिलसिला जारी है।
पिछली महामारी की वजह से भारत में 2009-10 में 36,240 लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 1,833 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद भी स्वाइन फ्लू का संक्रमण और मौतों का सिलसिला जारी है। 2012 से लेकर 2019 के बीच स्वाइन फ्लू से 1,38,394 लोग प्रभावित हुए और 9,150 लोगों की मौत हुई। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के तहत चल रहे इंटिग्रेटेड डिजीज सर्वलांस प्रोग्राम के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2020 के पहले दो माह के दौरान 1,100 लोग संक्रमित हुए और 18 लोग मौत हुई। हालांकि बीमारी के केंद्र अलग-अलग रहे। 2009 में दिल्ली, महाराष्ट्र और राजस्थान, जबकि 2017 में गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश और 2019 में फिर से दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में सबसे अधिक मामले सामने आए।
कुल मिलाकर, स्वाइन फ्लू महामारी का प्रकोप 2009 में शुरू हुआ और 10 साल के दौरान लगभग 11,600 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि कोविड-19 केवल 9 माह में पिछली महामारी से लगभग 600 फीसदी अधिक मौतों का कारण बन चुकी है।
यहां तक कि सामान्य बीमारियों या संक्रमण से तुलना की जाए तो कोविड-19 इस मामले में भी रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या पिछले छह साल के मलेरिया मामलों से भी अधिक हो चुकी है।