स्वास्थ्य

कोविड-19 महामारी: जलवायु परिवर्तन से प्रभावित नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा नहीं कर पा रहे कई देश

कई देशों के पास स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय योजनाएं होने के बावजूद उनका कार्यान्वयन कई वजहों से बाधित है

Madhumita Paul

कोविड-19 महामारी के चलते कई देश जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा में असमर्थ हो गए हैं। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ग्लासगो में चल रहे ‘यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज’ की 26वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (CoP26) में एक रिपोर्ट के हवाले से ऐसा कहा है।

रिपोर्ट को तैयार करने हेतु सर्वे किये गए कुल देशों में से आधे देशों (52 प्रतिशत) का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से स्वास्थ्य को बचाने की दिशा में उनके काम पर महामारी का काफी प्रभाव पड़ा है, क्योंकि स्वास्थ्य कर्मियों तथा संसाधनों को महामारी से निपटने में लगाना पड़ा।

सर्वे में शामिल 95 देशों में से 49 (52 प्रतिशत) के पास स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी एक राष्ट्रीय योजना या रणनीति है। हालाँकि अन्य 25 प्रतिशत देशों (95 में से 24) के पास भी एक विकासाधीन योजना या रणनीति है।

हालाँकि सर्वे में कहा गया है कि अपर्याप्त वित्तपोषण, मानव संसाधन की कमी तथा सीमित अनुसंधान, साक्ष्य, प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के चलते इनका कार्यान्वयन बाधित है।

‘2021 डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट’ सभी 194 डब्ल्यूएचओ सदस्य देशों तथा कुछ गैर-सदस्य देशों को भेजे गए एक त्रैवार्षिक, स्वैच्छिक सर्वेक्षण पर आधारित है।

इसे स्वास्थ्य मंत्रालयों द्वारा अन्य स्वास्थ्य संबंधी हितधारकों, मंत्रालयों और संस्थानों के परामर्श से संकलित किया गया है। वर्ष 2021 के सर्वेक्षण में शामिल 95 देशों में से 23 ‘डब्ल्यूएचओ अफ्रीका क्षेत्र’ से थे।

‘2021 डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट वर्ष 2017/2018 के सर्वेक्षण का एक अपडेट है जिसे 8 नवंबर, 2021 को प्रकाशित किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 85 प्रतिशत देशों ने अपने स्वास्थ्य मंत्रालयों में स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया है।

सर्वेक्षण में पाया गया कि 54 प्रतिशत देशों में स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन पर एक हितधारक तंत्र (जैसे- टास्क फोर्स या समिति) स्थापित किया है।

देशों ने अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (एनडीसी) में भी स्वास्थ्य संबंधी महत्वों में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

'स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की पहचान करने’, 'स्वास्थ्य अनुकूलन' और 'लचीलेपन' संबंधी प्राथमिकताओं की रूपरेखा तैयार करने हेतु एनडीसी में स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वों को शामिल किया जाना महत्त्वपूर्ण है।

43 प्रतिशत देशों (90 में से 39) के स्वास्थ्य मंत्रालयों ने संबंधित देश के एनडीसी के विकास में योगदान दिया है।

इस वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि:

स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के केंद्र बिंदु स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन से संबंधित नीतियों, कार्यक्रमों तथा प्रथाओं पर समन्वय और विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के भीतर एवं विभिन्न क्षेत्रों के बीच काम कर सकते हैं।

वर्ष 2011 में लगभग 47 अफ्रीकी देशों ने जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों को चिह्नित किया था और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य में शामिल करने के लिए एक फ्रेमवर्क अपनाया था।