स्वास्थ्य

कोविड-19 महामारी: देश के 122 वायु प्रदूषित शहरों में पटाखों की बिक्री पर लग सकती है रोक

उड़ीसा और राजस्थान की तर्ज पर एनजीटी चाहता है कि देशभर के प्रदूषित 122 शहरों में भी इस दीपावली पर पटाखों की बिक्री को लेकर राज्य उपाय करें। 09 नवंबर,2020 को इस मामले पर फैसला आएगा।

Vivek Mishra

दीपावली पर्व के दौरान पटाखे जलने से न सिर्फ वायु प्रदूषण में इजाफा हो सकता है बल्कि प्रदूषित शहरों में कोविड-19 महामारी का प्रकोप और भी अधिक बढ़ सकता है। उड़ीसा और राजस्थान ने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने राज्य में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दिया है। वहीं, अंदेशे को भांपते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूर्व में पहचाने जा चुके 122 प्रदूषित शहरों के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या आपने भी कोई ऐसा आदेश जारी किया है। राज्यों की ओर से मिले जवाब के बाद 05 नवंबर, 2020 को एनजीटी ने फिलहाल इस मामले पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। 

एनजीटी ने स्वतः संज्ञान मामले में निर्णय सुरक्षित करते हुए कहा है कि देश भर के 122 प्रदूषित शहरों में पटाखों की बिक्री और वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर आदेश 09 नवंबर, 2020 को सुनाया जाएगा। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि इन सभी याचिकाओं में एक ही सवाल उठाया गया है। कोविड-19 की महामारी के दौरान पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपाय की मांग सभी याचिकाओं में की गई है। ऐसे में यह गौर किया गया है कि 03 नवंबर, 2020 को उड़ीसा और राजस्थान ने पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए आदेश जारी किए हैं। इसलिए जरूरी है कि अन्य राज्य भी ऐसे उपायों के बारे में अदालत को बताएं।  

वहीं, एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इस मामले में पहले ही नोटिस दिया था। 

बुधवार को सुनवाई करते हुए 122 प्रदूषित शहरों को लेकर एनजीटी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि उड़ीसा और राजस्थान की तर्ज पर 122 प्रदूषित शहरों में सीपीसीबी के जरिए रिकॉर्ड की जाने वाली वायु गुणवत्ता सामान्य तौर पर अपने मानकों से अधिक है। ऐसे में जरूरत है कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध का दायरा एनसीआर से बाहर के इन प्रदूषित शहरों पर भी लागू होना चाहिए। ॉ

याचिकाकर्ता चिराग जैन ने कोविड महामारी में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग करते हुए पक्ष में कई ऐसे अध्ययनों का हवाला दिया है जिससे वायु प्रदूषण और कोविड-19 के गठजोड़ से होने वाली मौतों का जिक्र किया गया है। एनजीटी ने इन दलीलों पर भी गौर किया है। मसलन याचिका में कहा गया है :

वायु प्रदूषण के बढ़ने से कोविड-19 और ज्यादा घातक हो सकता है। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने गठित एक्सपर्ट पैनल के आधार पर अपने बयान में यह संकेत दिया था कि दिल्ली में कोविड-19 के मामलों की संख्या 15 हजार प्रतिदिन तक पहुंच सकती है। क्योंकि न सिर्फ दीपावली का पर्व है जिसमें पटाखे दगाए और जलाए जाते हैं बल्कि सर्दियों में यहां का वायु प्रदूषण भी बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। वहीं एम्स ने भी ऐसी ही एक एडवाइजरी जारी की है। इसके अलावा हावर्ड टीेएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ओर से किए गए अध्ययन में भी यह सामने आया है कि ऐसी जगहें जहां ज्यादा वायु प्रदूषण है वहां पर कोविड की मौतें ज्यादा हो सकती हैं।