स्वास्थ्य

कोविड-19: दिल्ली में सामुदायिक प्रसार पर फंसा तकनीकी पेंच

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन साथ ही राज्य व केंद्र सरकार के बीच विवाद भी बढ़ रहा है

DTE Staff

देश की राजधानी दिल्ली में जहां कोरोनावायरस संक्रमण से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वहीं केंद्र व राज्य सरकार के बीच तनाव भी बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली के लोगों के इलाज के फैसले के बाद अब इस पर विवाद शुरू हो गया है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण का सामुदायिक प्रसार (कम्युनिटी ट्रांसमिशन) को लेकर भी दोनों सरकारें आमने-सामने हैं। 

9 जून को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचडीएमए) की बैठक में यह विवाद खुल कर सामने आया। उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में हुई बैठक में तबियत खराब होने के कारण मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन शामिल हुए। 

बैठक के बाद दिल्ली सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि सिसोदिया और जैन ने बैठक में कहा कि जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से 15 जून तक दिल्ली में 44 हजार केस होंगे और करीब 6600 बेड की जरूरत होगी। 30 जून तक एक लाख केस पहुंच जांएगे और करीब 15 हजार बेड की आवश्यकता होगी। इसी तरह, 15 जुलाई तक 2 लाख केस हों जाएंगे और 33 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी, जबकि 31 जुलाई तक करीब 5.5 लाख केस बढ़ जाएंगे और उसके लिए करीब 80 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी। इसलिए दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली के मरीजों के इलाज के फैसले को लागू किया जाए। क्योंकि केंद्र सरकार के अस्पतालों में तो दूसरे राज्य के मरीजों का इलाज हो रहा है, लेकिन उपराज्यपाल ने सिसोदिया व जैन की बात को मानने से इंकार कर दिया। 

इसके अलावा दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे केस आ रहे हैं, जिनके संपर्क (कंटेक्ट) का पता नहीं लग रहा है। कई स्थानों पर हमने ट्रेस भी कराया, लेकिन संक्रमण का स्रोत नहीं पता चल पाया। इससे पता चलता है कि दिल्ली में सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका है, लेकिन यह टेक्निकल मसला है और इसके बारे में फैसला केंद्र सरकार ही कर सकती है और वही बता सकते हैं कि सामुदायिक प्रसार है या नहीं है। इस शब्द के इस्तेमाल का अधिकारी केंद्र सरकार के पास है। लेकिन बैठक में शामिल केंद्र सरकार के अधिकारियों ने सतेंद्र जैन की बात काटते हुए कहा कि अभी दिल्ली में सामुदायिक प्रसार की स्थिति नहीं है। इसलिए अभी इस पर चर्चा की जरूरत नहीं है।