मध्य प्रदेश में पहली कतार में शामिल होकर नोवेल कोविड-19 से लड़ाई लड़ने वाली आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। प्रदेश भर में क्वरंटीन केंद्रों और मरीजों की जमीनी जानकारी जुटाने वाली आशा ऊषा और आशा सहयोगियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें गुजारे के लिए भी सही से वेतन नहीं दिया जा रहा है, जबकि वे अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों की तरह जिदंगी दांव पर लगाकर लगातार काम कर रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तो वे काम करना बंद कर देंगी।
मंदसौर जिले में आशा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली माधुरी सोलंकी ने डाउन टू अर्थ से कहा कि आशा कार्यकर्ता और आशा सहयोगियों को कोविड-19 के दौरान भी सेवाओं के लिए सिर्फ 2000 रुपये का भुगतान किया जा रहा है जबकि स्वास्थ्य कर्मियो को 10 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जमीन पर सबसे पहले और जोखिम भरा काम आशा कार्यकर्ता ही कर रही हैं। उनकी जानकारी के आधार पर ही आगे रिपोर्ट तैयार होती है या फिर कार्रवाई होती है। जबकि संभावित संक्रमित लोगों का सामना करने के लिए उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए बुनियादी व्यवस्थाओं की काफी कमी है।
सरकार के भुगतान से नाराज आशा कार्यकर्ताओं ने 28 अप्रैल को समूचे प्रदेश के कई जिलों में एकता यूनियन मध्य प्रदेश (सीटू) के आह्वान पर 10 मिनट का सांकेतिक प्रदर्शन भी किया गया। हालांकि इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन भी किया। प्रदर्शन के दौरान आशा कार्यकर्ता और आशा सहयोगियों ने उनका शोषण बंद करने, स्वास्थ्य कर्मियों की तरह 10,000 रुपये का भुगतान करने व अन्य राज्यों की तरह आशाओं को राज्य सरकार से अतिरिक्त वेतन दिये जाने की मांग की है।
आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि जोखिम को जानते हुए और अपने साथियों को खोने के बाद भी सरकारी अस्पतालों के डाक्टर, नर्स, लेबोरेटरी टैक्नीश्यन्स, सफाई मजदूर, और अन्य स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के खिलाफ जंग में लगे हुए हैं, वे निश्चित ही सम्मान के पात्र हैं और सभी आशा कार्यकर्ता उनका सम्मान करती हैं। हालांकि प्रदेश में आशा कार्यकर्ताओं के भी संक्रमित होने की खबरें आने लगी है। ऐसे में काम के बाद घर पहुंचने पर अब परिवार के लोग भी उनसे डरने लगे हैं।
माधुरी सोलंकी ने कहा कि आशाओं से बंधुआ मजदूर जैसे व्यवहार हो रहा है। अन्य राज्य सरकारें वर्षो से आशाओं को अतिरिक्त वेतन दे रही है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार आशाओं को अपनी ओर से कुछ भी नहीं दे रही है। इसके बावजूद प्रदेश भर में आशा कार्यकर्ता चुपचाप बिना शिकायतों के काम कर रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं के संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनके वेतन में सुधार नहीं किया जाता है तो वे न सिर्फ प्रदर्शन करेंगी बल्कि अपना काम भी ठप कर देंगी।