स्वास्थ्य

देश मांगे ऑक्सीजन : बिहार में भी ऑक्सीजन की किल्लत, मरीजों को छुट्टी दे रहे अस्पताल

Umesh Kumar Ray

दिल्ली, उत्तर प्रदेश की तरह बिहार में भी ऑक्सीजन की कमी विकराल रूप धारण करती जा रही है। अस्पतालों से मरीजों की छुट्टी करने की भी खबरें हैं क्योंकि अस्पताल के पास ऑक्सीजन की कमी है।

26 अप्रैल को पटना के एक निजी अस्पताल ने सूचना जारी कर बताया कि ऑक्सीजन की कमी है इसलिए मरीज अपना इंतजाम कहीं और कर लें। लिखित तौर पर जारी सूचना में कहा गया है, “मरीज के परिजन से अनुरोध किया जा रहा है कि ऑक्सीजन की सप्लाई दिन पर दिन कठिन हो रही है। ऑक्सीजन सप्लायर चाह कर भी ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। अस्पताल में ऑक्सीजन काफी कम बच गया है। समस्या विकराल हो गई है।”

“बहुत दुख के साथ लिखना पड़ रहा है कि अब हम मरीजों को सेवा देने में असमर्थ हैं, अतः आप सभी से अनुरोध है कि समय रहते अपना इंतजाम कहीं और कर लें,” अस्पताल प्रबंधन ने लिखा।

इस अस्पताल में कुल 95 कोविड-19 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 40 कोविड-19 मरीजों को अस्पताल ने सोमवार को छुट्टी दे दी। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पिछले तीन दिनों से अस्पताल को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है और ऑक्सीजन रिफिल कराने की तमाम कोशिशें नाकाम हुई हैं, ऐसे में मरीजों को छोड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। इसी तरह कुछ और निजी अस्पतालों ने भी ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर कोविड-19 मरीजों को छुट्टी दे दी।  

पिछले दिनों पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को पत्र लिखकर आक्सीजन की कमी का हवाला देकर इस्तीफे की पेशकश की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था, “कई बार अपील करने के बावजूद अस्पताल को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं दिया जा रहा है, जिससे दर्जनों मरीजों की जान जोखिम में है।”

उन्होंने पत्र में लिखा था, “मुझे डर है कि ऑक्सीजन की कमी से इन मरीजों की मौत हो जाने पर इसका जिम्मेवार अस्पताल के अधीक्षक को बनाया जाएगा। इसलिए आपसे आग्रह करते हैं कि मुझे तुरंत अपने पद से मुक्त किया जाए।”

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि एक हफ्ते पहले तक बिहार में 70 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत होती थी, लेकिन कोविड-19 का संक्रमण बढ़ने से इसकी मांग बढ़ गई है, क्योंकि कोविड-19 संक्रमित लगभग 90 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन की कमी की शिकायत के साथ अस्पताल आ रहे हैं।

बिहार में कोविड-19 के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रोजाना 300 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है। लेकिन, इस अनुपात में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 194 मेट्रिक टन ऑक्सीजन आवंटत किया है, जो जरूरत से कम है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने पिछले दिनों पत्रकारों को बताया था कि 300 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।

ऑक्सीजन की सप्लाई केवल पटना में ही बाधित नहीं बल्कि जिलों के अस्पताल भी इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच में कुल 172 कोविड-19 मरीज भर्ती हैं। यहां ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट भी है, लेकिन ये नाकाफी है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ एसबी झा ने डाउन टू अर्थ को बताया, “हमारे यहां भर्ती सभी 172 मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन उस हिसाब से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही है। हमें समझौता कर काम चलाना पड़ रहा है।” वैशाली के सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उनके जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई जरूरत से कम की जा रही है।

इसको लेकर बिहार हेल्थ सोसाइटी के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन काट दिया।

आईएमए ने सीएम नीतीश कुमार को लिखा पत्र

इधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के बिहार चैप्टर ने 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर पटना के अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि बहुत सारे निजी अस्पताल ऑक्सीजन के कारण कोविड-19 का इलाज बंद करने पर बाध्य होंगे।

आईएमए के राज्य सचिव डॉ सुनील कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया, “पटना के सिविल सर्जन ने पिछले दिनों हुई बैठक में जिले के 86 अस्पतालों को कोविड-19 के इलाज के लिए अधिसूचित किया गया था और उन्होंने कहा था कि इन अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। बाद में इसमें 4 और अस्पतालों को शामिल किया गया और इस तरह कुल 90 अस्पतालों को कोविड-19 के इलाज के लिए अधिसूचित किया गया।”

सुनील कुमार का आरोप है कि अब सिविल सर्जन इससे मुकर रहे हैं, जिससे इन अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 और नॉन कोविड मरीजों की जान को नुकसान होने का खतरा है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी होने से 90 अस्पतालों के अलावा अन्य निजी अस्पतालों के बंद हो जाने की नौबत है इसलिए खुद सीएम नीतीश कुमार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।