स्वास्थ्य

देश मांगे ऑक्सजीन : सरकार का दावा ऑक्सीजन पर्याप्त, अस्पतालों के बाहर बोर्ड लगा 'नहीं है ऑक्सीजन'

Kaleem Siddiqui

गुजरात सरकार लगातार दावा कर रही है कि उसके पास ऑक्सीजन और सारी व्यवस्थाएं हैं। लेकिन दावों से उलट अब भी मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अहमदाबाद में 24 मार्च, 2021 का दिन कोरोना की दूसरी लहर का सबसे घातक दिन रहा।  

अहमदाबाद नगर निगम के अनुसार 24 मार्च (शनिवार) को एक दिन में 5617 पॉजिटिव केस दर्ज किए गए। कोविड की पहली लहर में एक दिन में सबसे अधिक 354 केस दर्ज हुए थे। यह आंकड़ा पहली लहर के सर्वाधिक केस की तुलना में 16 गुना था। निगम के अनुसार शनिवार को अहमदाबाद में 25 लोगों की मृत्यु कोरोना के चलते हुई। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई अस्थाई अस्पताल खोले जा रहे हैं। 

यूनिवर्सिटी कन्वेंशन हॉल में 900 बेड की धनवंतरी कोविड हॉस्पिटल खोला गया जिसका निरीक्षण गृह मंत्री अमित शाह ने भी किया परन्तु ऑक्सीजन की कमी के कारण हॉस्पिटल शुरू नहीं हो पाई। हॉस्पिटल की ओएसडी अंजू शर्मा ने बताया। " गृह मंत्री के निरीक्षण के बाद कम से कम 100 बेड के साथ अस्पताल शुरू कर देना था परन्तु मॉकड्रिल दरमियान पाया गया ऑक्सीजन का प्रेशर कम है। जिस कारण अस्पताल शुरू नहीं हो पाया।

राज्य में ऑक्सीजन की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। ऑक्सीजन सप्लाई और फिलिंग करने वाले प्लांटों ने कंपनी के गेट पर " ऑक्सीजन गैस का स्टॉक उपलब्ध नहीं है " का बोर्ड लगा दिया है। निधि हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ सुनिल पोपट बताते हैं। "वर्तमान में 70 प्रतिशत मरीज़ ऑक्सीजन की ज़रूरत वाले है। ऑक्सीजन की आवश्यक सप्लाई न होने के कारण हॉस्पिटल के स्टाफ 8-8 घंटे वटवा और चंगोदर जीआईडीसी में लाइन में खड़े होकर ऑक्सीजन ला रहे हैं।"
ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने गांधी नगर में पीएम केयर फंड से 11 PSA ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने की अनुमति दी है। जो जल्द ही शुरू हो जाएगा।
ऑक्सीजन की कमी से न केवल प्राइवेट अस्पताल जूझ रहे हैं। बल्कि सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की कमी है। शुक्रवार को इंडिया टुडे के फोटो जर्नलिस्ट शैलेश रावल का यू. एन मेहता हॉस्पिटल में ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण कोरोना से निधन हो गया।
वहीं, इससे पहले अहमदाबाद के वटवा की 30 वर्षीय को 23 मार्च, दोपहर सांस लेने में तकलीफ हुई तो उसके पति ने एम्बुलेंस के 108 पर फोन किया। वटवा ज़ोन में एक भी एम्बुलेंस उपलब्ध न होने पर पति महिला को रिक्शे से श्रीजी हॉस्पिटल ले गया।
अस्पताल में ऑक्सीजन न होने के कारण स्टाफ ने किसी बड़े अस्पताल ले जाने को कहा। पति रिक्शे में ही अपनी पत्नी को लेकर अहमदाबाद नगर निगम संचालित एल.जी. हॉस्पिटल पहंचा लेकिन अस्पताल ने यह कहते हुए दाखिल करने से मना कर दिया कि नियमानुसार एम्बुलेंस से आए मरीज़ को ही दाखिल किया जाएगा।
वहां से पत्नी को लेकर सरदार पटेल और फिर वहां से सरकारी अस्पताल सिविल हॉस्पिटल। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में साढ़े चार घंटे बिगाड़ गए। साढ़े चार घंटे बाद जब सिविल अस्पताल पहुंचा तो सामने 20000 लीटर ऑक्सीजन टैंक और तीन एम्बुलेंस खड़ी थी। लेकिन तब तक मरीज़ ऑक्सीजन और एम्बुलेंस की कमी के चलते दम तोड़ चुका था।
वहीं, गुजरात सरकार ने प्रेस नोट जारी कर दावा किया है कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है। सरकारी प्रेस नोट के अनुसार मार्च महीने में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत 13 टन प्रति दिन थी जो अप्रैल में बढ़ कर 55 टन प्रति दिन हो गई। पिछले 15 दिन में 764 टन ऑक्सीजन की खपत हुई है। 12000 लीटर के तीन नए ऑक्सीजन टैंक इंस्टॉल किए गए है। जहां से कोविड स्पेशल 1200 बेड हॉस्पिटल , मंजुश्री हॉस्पिटल और सिविल हॉस्पिटल बिल्डिंग को सप्लाई जाती है। एक दिन में दो से तीन बार रिफिलिंग होती है। 
सरकारी दावों के उलट प्राइवेट अहमदाबाद और सूरत जैसे बड़े शहरों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की दिक्कत अधिक है। पिछले महीने तक 7 क्यूएम ऑक्सीजन की जो फिलिंग 150 रू. में होती थी। रिफिलिंग का भाव तीन गुना होकर 450 रू. हो गया है। ये कीमत आने वाले दिनों और बढ़ सकती है।
इस बढ़ोतरी को सूरत के कलेक्टर धवल पटेल सामान्य मानते हैं। धवल पटेल कहते हैं "ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने और सप्लाई कम होने से कीमत बढ़ रही है। 
गुजरात के सबसे बड़े सरकारी सिविल अस्पताल सहित कई बड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली अजय इलेक्ट्रो मेडिकल कंपनी के मालिक गफ्फार अल्लाह बख्श शेख कहते हैं कि पिछले वर्ष जब कोविड लहर में अचानक ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ी थी। लेकिन कोविड की दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में ऑक्सीजन की डिमांड 500 गुना बढ़ गई। प्राइवेट अस्पताल कोविड मरीज़ को दो से तीन दिन भर्ती कर डिसचार्ज कर रहे हैं। डॉ. सलाह देते हैं घर पर आक्सीजन लगाकर मरीज़ को रखो। ऑक्सीजन की सप्लाई अस्पतालों तक सीमित नहीं है। लोग कोविड मरीज़ का इलाज डॉक्टर की सलाह पर घर पर भी कर रहे हैं।" 
शेख आगे बताते हैं। " वर्ष 2019-20 में उनकी कंपनी का टर्न ओवर 7-8 लाख के बीच था। वर्ष 2020 में केवल कोविड अस्पतालों को की गई ऑक्सीजन सप्लाई का टर्नओवर लगभग 14 करोड़ था। ऑक्सीजन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए लगता है वर्ष 2021- 22 में संभवतः 45-50 करोड़ पहुंच जाएगा।