स्वास्थ्य

देश मांगे ऑक्सीजन : यूपी समेत कई राज्यों के अस्पतालों में मचा है रूदन

देशभर में अस्पतालों में ऑक्सीजन के बैक-अप को लेकर मारा-मारी मची हुई है। लोग मुंह मांगा पैसा देने को तैयार हैं लेकिन मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा। मौतें और सियासत दोनों जारी है।

Vivek Mishra

देश में कोरोना संक्रमण ने हर किसी की सांसे थाम दी है। वेंटिलेटर पर बिना ऑक्सीजन तड़पते हुए मरीज को देखकर अस्पतालों में रूदन मचा हुआ है। चारो तरफ ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए अफरा-तफरी है। 23 अप्रैल, 2021 को देश की राजधानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अस्पताल सर गंगाराम से ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने पर 25 मरीजों के मरने की खबर ने लोगों को दहला दिया। बाद में मैक्स अस्पताल ने भी इसी तरह की अपील की है। इससे पहले दिल्ली के मुकुंद अस्पताल के चिकित्साअधिकारी सिलेंडर न होने पर मीडिया के सामने रो पड़े थे। ऐसी स्थितियां देश के कोने-कोने में हैं। ऑक्सीजन के बिना मरने वालों की संख्या काफी अधिक है।  मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में गैलेक्सी अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी से पांच लोगों की मौत हो गई। अब यह भी कहा जाने लगा है कि कोरोना से पहले व्यवस्था का अभाव ही लोगों को मौत की नींद सुला दे रहा है। डाउन टू अर्थ ऐसी घड़ी में प्रमुख कोरोना प्रभावित राज्यों से ऑक्सीजन की स्थिति रिपोर्ट इस सीरीज में शुरू कर रहा है। यह पहला सीरीज दिल्ली और यूपी के हाल से : 

देश की राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के चलते मौतें दर्ज हुई हैं। हालांकि 23 अप्रैल, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में अरविंद केजरीवाल ने राज्य की ऑक्सीजन स्थिति को लाइव किया जिसके बाद से विवाद शुरू हो गया। हालांकि बाद में सीएम केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस के जरिए ऑक्सीजन की स्थित को स्पष्ट किया।

दिल्ली सरकार के अनुमान के मुताबिक दिल्ली को प्रतिदिन 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत है। हालांकि केंद्र के कोटे के तहत 378 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति दिल्ली में हो रही थी जो कोटा बढ़ाकर 480 टन कर दिया है।  

सीएम केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस के दौरान कहा कि केंद्र सरकार ही हर राज्यों के लिए ऑक्सीजन का कोटा निर्धारित करती है। इसके अलावा केंद्र सरकार यह भी तय करती है कि कौन सी कंपनी आपको कितना ऑक्सीजन देगी। हालांकि बढ़ाए गए ऑक्सीजन कोटा की आपूर्ति उड़ीसा के राउरकेला से दिल्ली तक पहुंचाई जाएगी। 

केजरीवाल ने केंद्र से इस ऑक्सीजन की आपूर्ति हवाई मार्ग से करने की गुजारिश की है। जबकि यूपी में झारखंड से ऑक्सीजन की आपूर्ति होने वाली है। 

उत्तर प्रदेश में अस्पतालों की कुव्यवस्था का जो चेहरा सामने आया है, वह मन को परेशान कर देने वाला है। यूपी से झारखंड के बोकारो जाने वाली ट्रेन 24 अप्रैल तक लखनऊ पहुंच जाएगी। इसकी विभिन्न जगहों पर सप्लाई के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया है। लेकिन सवाल है कि आखिर प्रदेश को कितना ऑक्सीजन चाहिए और कितनी आपूर्ति राज्य के पास है?

डाउन टू अर्थ ने प्रदेश के अधिकारियों और सूत्रों से संपर्क साधा तो पता चला कि फौरी तौर पर भारत सरकार की तरफ से दिए गए 1500 ऑक्सीजन कंस्ट्रेक्टर को विभिन्न अस्पतालों में भेजे जा रहा है। जबकि कासीपुर, मोदीनगर (आईनॉक्स प्लांट), पानीपत, रुड़की से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है।  लेकिन इसमें एक झोल यह है कि इतना कुछ होने के बाद भी रोजाना करीब 960 मिट्रिक टन की आवश्यकता के वक्त करीब सिर्फ 650 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई, राज्य में करीब 300 मिट्रिक टन की कमी बनी हुई है। 

बोकारो से जो ऑक्सीजन मंगाई गई है वह करीब 400 मिट्रिक होगी। लखनऊ और छोटे जिलों के अस्पतालों के बाहर यह बोर्ड लगा दिए गए हैं कि ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों को बड़े सेंटर्स में लेकर जाएं।

बहराइच जिले के एक निजी चिकित्सक मोहम्मद गयास अहमद ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उनके खुद के 70 ऑक्सीजन सिलेंडर, जिसका वो पहले भुगतान कर चुके थे, नहीं मिल रहे हैं। उनके यहां 11 बच्चे वेंटिलेटर पर हैं, जिनके पास महज कुछ घंटों का बैक-अप ही बचा है। शासन-प्रशासन के पास दौड़ने के बाद वह लाचार हो गए हैं। 

बहरहाल, योगी सरकार ने प्रदेश में कानपुर आईआईटी के सहयोग से ऑक्सीजन ऑडिट करवाने की बात कही है। इसके अलावा ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया गया है। यह अधिकारियों के जरिए चलाया जाएगा। इसमें ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति को लेकर निगरानी होगी।