तीन माह में बदल गई भारत की तस्वीर। फोटो: विकास चौधरी 
स्वास्थ्य

कोरोनावायरस: 30 जनवरी से 30 अप्रैल तक का सफर, कैसे 1 से 33 हजार तक पहुंच गए मामले

भारत में कोरोना वायरस का आज 92 वां दिन है| इन 92 दिन में सब कुछ बदल गया

Lalit Maurya

पिछले 92 दिनों में बहुत कुछ बदल गया है| जहां लोगों से भरी सड़कें होती थी वहां अब सुनसान रास्ते हैं| कभी गुलजार रहने वाले बाजार अब खाली हो चुके हैं| न गलियों में लोगों का जमावड़ा है| न लोगों के मेले न वो हंसते चेहरे हैं| जिधर देखिये सब कुछ थम सा गया है|  अपने ही घरों में बंद, लोग एक खौफ के साये में जी रहे हैं| आइये जानते हैं कि कैसे बदले यह दिन, कैसे फैली यह बीमारी जो शहर-शहर, हर गांव तक पहुंच गयी है|  

भारत में कोरोना वायरस का आज 92 वां दिन है| 30 जनवरी को जब इसका पहला मामला सामने आया था|  तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह वायरस इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जद में ले लेगा | गौरतलब है कि 30 जनवरी को देश के केरल राज्य में इस बीमारी का पहला मामला सामने आया था| जब  चीन के वुहान से लौटी एक छात्र में इस संक्रमण के लक्षण देखे गए थे| तब से लेकर आज तक इस बीमारी ने 33,050 लोगों को अपनी जद में ले लिया है| देश में इस बीमारी ने मार्च में अपने पैर ज़माने शुरू किये थे| जहां 2 मार्च को इसके 5 मामले सामने आये थे| वो 15 मार्च तक 107 पर पहुंच गए थे| जबकि 31 मार्च आते-आते मामलों की संख्या 1,397 पर पहुंच चुकी थी|

अधिक जानकारी के लिए ग्राफ पर जाएं

स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

अप्रैल में तो यह बीमारी पूरी तरह हावी हो गयी थी| 1 अप्रैल को जहां मामलों की संख्या 1,834 थी, वो 7 अप्रैल को 4789 पर पहुंच गयी| 14 अप्रैल को संक्रमण ने 10,000 का आंकड़ा पार कर लिया था| 15 अप्रैल तक देश में करीब 11,933 मामले सामने आ चुके थे| वहीँ 21 अप्रैल तक मामलों की संख्या बढ़कर 18,985 हो चुकी थी| जोकि आज यानी 30 अप्रैल को बढ़कर 33,050 पर पहुंच चुकी है| गौरतलब है कि देश में सबसे ज्यादा नए मामले 26 अप्रैल को सामने आये थे| जब एक ही दिन में 1,975 नए मामले देखे गए थे|

थम नहीं रहा मौतों का सिलसिला

यूरोप और अमेरिका की तुलना में देखें तो भारत की स्थिति कहीं ज्यादा अच्छी है| पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर जीवन अनमोल है| इस बीमारी ने अब तक 1074 लोगों को लील लिया है| देश में इस बीमारी से पहली जीवन क्षति 12 मार्च को दर्ज की गयी थी| जोकि 31 मार्च तक बढ़कर 35 पर पहुंच गयी थी| अप्रैल में 41 से शुरू हुआ मरने वालों का आंकड़ा 7 अप्रैल तक 124 पर पहुंच गया था| 15 अप्रैल को जहां 392 लोग इस बीमारी की भेंट चढ़ चुके थे वो 21 अप्रैल तक बढ़कर 603 पर पहुंच गए थे| आज इस बीमारी से 1,074 लोगों की मौत हो चुकी है| यह एक ऐसी क्षति है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता|

अधिक जानकारी के लिए ग्राफ पर जाएं

स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली का है सबसे बुरा हाल

देश में महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली का सबसे बुरा हाल है| अब तक जहां महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 9,915 मामले सामने आये हैं वहीँ 432 लोगों की मौत हो चुकी है| गुजरात में 4,082 मामले सामने आ चुके हैं वहीँ मरने वालों का आंकड़ा 197 पर पहुंच गया है| दिल्ली में भी 3,439 मामले सामने आ चुके हैं| वहीँ 56 लोगों की मौत हो चुकी है| इनके अलावा मध्य प्रदेश (2,561), राजस्थान (2,438), तमिलनाडु (2,162), उत्तर प्रदेश (2,134), आंध्रप्रदेश (1,332), तेलंगाना (1,012) की स्थिति भी काफी ख़राब है|

अधिक जानकारी के लिए ग्राफ पर जाएं

स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

अभी भी कायम हैं उम्मीद

हालांकि इन सबके बावजूद उमीदें अभी भी बाकि है| देश में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर जिस तरह इस बीमारी से निपटने के लिए काम कर रही हैं| उससे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही हम इस बीमारी के खिलाफ जंग को जीत जाएंगे| इसी का नतीजा है कि देश भर में 8324 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं| और जल्द ही हमारी दृंढ इच्छाशक्ति के बल पर अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौट आएगी| देश और दुनिया में जिस तरह से इस बीमारी के लिए दवा खोजी जा रहा है| उससे पूरी उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में इस बीमारी की दवा भी बन जाएगी|

हालांकि इन सबके बावजूद यह एक ऐसी त्रासदी है जिसके निशान शायद कभी नहीं मिटेंगे| पर इन सबसे हमें यह भी सीखने को मिला की हम सब इस प्रकृति का हिस्सा हैं| और एक दूसरे से इस तरह जुड़े हैं कि यदि यह संतुलन डगमगाया तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी| जो हम चुका भी रहे हैं| प्रकृति ने हमें सोचने का एक मौका दिया है| हम फिर से सोंचे कि क्या हम जिस रास्ते पर जा रहे हैं वो सही है| अभी भी समय है प्रकृति का विनाश बंद कर दीजिये| हम उसका एक हिस्सा हैं, स्वामी नहीं| पानी, हवा, धरती, यह जीव, पेड़ पौधे प्रकृति का एक वरदान हैं| इन्हें अपनी लालसा में अभिशाप मत बनने दीजिये|