स्वास्थ्य

'टी कोशिकाओं' को ओमिक्रॉन से मुकाबला करना सिखाती है कोरोना वैक्सीन अध्ययन

Dayanidhi

कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया भर के अधिकतर देशों में टीकाकरण अभियान चल रहा है। सार्स-सीओवी-2 के अलग-अलग रूपों या वेरिएंट पर टीके कितने असरदार हैं इस बात का पता एक अध्ययन के द्वारा लगाया गया है। इस क्रम में ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्यूनोलॉजी (एलजेआई) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के टीकों को सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ असरदार पाया है। टीके लंबे समय तक चलने वाली टी कोशिकाओं को बनाने में मदद करते हैं। ये टी कोशिकाएं डेल्टा और ओमिक्रॉन सहित सार्स-सीओवी-2 वेरिएंट के अलग-अलग रूपों को पहचान सकती हैं।

एलजेआई के प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता डॉ. बायोल साई कहते हैं कि टी कोशिकाओं की प्रतिक्रियाओं की विशाल संख्या अभी भी ओमिक्रॉन के खिलाफ असरदार है।

एलजेआई प्रोफेसर शेन क्रॉट्टी ने कहा ये कोशिकाएं आपको संक्रमित होने से नहीं रोकेंगी, लेकिन कई मामलों में वे आपको बहुत बीमार होने से बचा सकती हैं।  

ये आंकड़े उन वयस्कों से हासिल किए गए हैं जिन्हें पुरे टीके लगाए गए थे लेकिन बूस्टर डोज नहीं दी गई थी। शोधकर्ता अब उन लोगों में टी सेल प्रतिक्रियाओं की जांच कर रहे हैं जिन्हें बूस्टर डोज दी गई उसके बाद भी उन्हें कोविड-19 हुआ।

नई कोशिकाओं के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि पूरी तरह से टीकाकरण किए गए लोगों में कम मेमोरी वाली बी कोशिकाएं होती हैं और ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी को निष्क्रिय कर देती हैं। यह खोज दुनिया भर की प्रयोगशालाओं से प्रतिरोधक क्षमता कम होने की शुरुआती रिपोर्टों के अनुरूप है।

पर्याप्त न्यूट्रलाइजिंग या निष्प्रभाव एंटीबॉडी के बिना, ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की अधिक आशंका होती है। कम स्मृति या मेमोरी वाली बी कोशिकाओं का मतलब है कि वायरस से लड़ने के लिए शरीर के अतिरिक्त न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का घुलना धीमा कर देंगी।

एलजेआई इंस्ट्रक्टर के कैमिला कोएल्हो कहते हैं कि अधिकांश न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी, यानी एंटीबॉडी जो सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ अच्छी तरह से काम करते हैं, रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन या आरबीडी नामक क्षेत्र से जुड़ जाते हैं। हमारे अध्ययन से पता चला है कि ओमिक्रॉन आरबीडी में मौजूद 15 म्युटेशन या उत्परिवर्तन अल्फा, बीटा और डेल्टा जैसे अन्य सार्स-सीओवी-2 के रूपों की तुलना में मेमोरी बी कोशिकाओं को बांधने की क्षमता को काफी कम कर सकते हैं।

टी कोशिकाएं ओमिक्रॉन से कैसे लड़ती हैं?

अच्छी खबर यह है कि एंटीबॉडी और मेमोरी बी कोशिकाओं को निष्क्रिय करना शरीर की अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की सिर्फ दो भुजाएं होती हैं। सार्स-सीओवी-2 के संपर्क में आने वाले व्यक्ति में, टी कोशिकाएं संक्रमण को नहीं रोकती हैं। इसके बजाय, टी कोशिकाएं शरीर में घूमती रहती हैं और पहले से संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं, जो एक वायरस को गुणा करने और गंभीर बीमारी पैदा करने से रोकता है।

एलजेआई टीम का मानना ​​है कि टी कोशिकाओं से "रक्षा की दूसरी पंक्ति" यह समझाने में मदद करती है कि ओमिक्रॉन संक्रमण से पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों में गंभीर बीमारी होने की संभावना कम क्यों है।

अध्ययनकर्ताओं ने यह जानने के लिए कि क्या टीके से उत्पन्न टी कोशिकाएं वास्तव में डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाई गई, वैज्ञानिकों ने इस बात पर बारीकी से विचार किया कि टी कोशिकाओं ने विभिन्न संक्रमित "एपिटोप्स" पर कैसे प्रतिक्रिया दी।

प्रत्येक वायरस प्रोटीन से बना होता है जो एक निश्चित आकार या संरचना बनाता है। एक वायरल एपिटोप इस वास्तुकला पर एक विशिष्ट मील का पत्थर है जिसे पहचानने के लिए टी कोशिकाओं को प्रशिक्षित किया गया है।

वर्तमान कोविड-19 टीकों को सार्स-सीओवी-2 के शुरुआती "अल्फा" वेरिएंट पर विशिष्ट एपिटोप्स को पहचानने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सिखाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। जैसे-जैसे वायरस म्यूटेट या उत्परिवर्तित हुआ है, इसकी संरचना बदल गई है और चिंता की बात यह है कि प्रतिरक्षा कोशिकाएं अब अपने लक्ष्यों को नहीं पहचान पाएंगी।

नए अध्ययन से पता चलता है कि ओमिक्रॉन की बनावट कुछ तटस्थ एंटीबॉडी और मेमोरी बी कोशिकाओं से बचने के लिए काफी अलग है, फिर भी मेमोरी टी कोशिकाएं अत्यधिक बदलते ओमिक्रॉन वेरिएंट पर भी अपने लक्ष्यों को पहचानने का अच्छा काम करती हैं।

कुल मिलाकर, सीडी4+ (मदद करने वाली) टी सेल प्रतिक्रियाओं का कम से कम 83 फीसदी और सीडी8+ टी सेल प्रतिक्रियाओं का 85 प्रतिशत वही रहा, चाहे टीका या प्रकार कोई भी क्यों न हो।

क्रॉटी ने बताया कि स्मृति या मेमोरी बी कोशिकाएं जो ओमिक्रॉन को बांधती हैं, वे भी गंभीर बीमारी से सुरक्षा में योगदान करने की संभावना रखते हैं। टीका लगाए गए लोगों के पास मेमोरी सीडी 4+ टी कोशिकाएं, सीडी 8 + टी कोशिकाएं और मेमोरी बी कोशिकाएं हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। 

ओमिक्रॉन अभी भी एक खतरा है

शोधकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि किसी को भी अकेले टी सेल सुरक्षा पर भरोसा नहीं करना चाहिए। एलजेआई द्वारा किया गया अध्ययन जनसंख्या के स्तर पर प्रतिरक्षा पर प्रकाश डालता है। लेकिन व्यक्तिगत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं अलग-अलग होती हैं। कोविड से लड़ने के लिए किसी की प्रतिरक्षा प्रणाली पर भरोसा करना एक पासे की तरह है।

सेट्टे लैब के सदस्य एलिसन टार्के कहते हैं कि मैं लोगों से अभी भी सतर्क रहने और मास्क पहनने का आग्रह करता हूं। आप कम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वाले कुछ लोगों में से एक हो सकते हैं। सेट्टे कहते हैं कि यह अध्ययन बूस्टर डोज लगाने के महत्व पर भी जोर देता है।

सेट्टे और क्रॉट्टी लैब्स ने बताया कि उन्होंने 2020 की शुरुआत से ही कोविड-19 के शोध पर काम शुरू कर दिया था। टी कोशिकाओं में सेट्टे लैब की विशेषज्ञता और वैक्सीन डिजाइन और बी सेल प्रतिक्रियाओं में क्रॉट्टी लैब की विशेषज्ञता के साथ, सहयोग ने पहले से मौजूद सार्स में महत्वपूर्ण नेतृत्व किया है। 

ग्रिफोनी का कहना है कि शोधकर्ता अब दो गंभीर सवालों पर गौर कर रहे हैं। सबसे पहले, वे यह देखना चाहेंगे कि टी सेल, बी सेल और एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं कोविड-19 बूस्टर डोज के बाद कैसी दिखती हैं। दूसरा, वे यह जांच कर रहे हैं कि एक संक्रमित होने के बाद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कैसी दिखती है। यह अध्ययन ‘सेल’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है