स्वास्थ्य

कोरोना वैक्सीन अपडेट: रूस से भारत आएंगी 10 करोड़ वैक्सीन

कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक-5 को लेकर रूस की एजेंसी आरडीआईएफ और डॉ रेड्डीज लेबोरेट्रेजी के बीच एक समझौता हुआ है

DTE Staff

रूस सरकार की एजेंसी रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक-5 की 10 करोड़ डोज भारत में भेजेगा। इसके लिए आरडीआईएफ और डॉ रेड्डीज लेबोरेट्रेजी के बीच एक समझौता हुआ है।

डॉ रेड्डीज लेबोरेट्रेजी द्वारा भारत में रूस की कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल, उत्पादन और वितरण करेगा। भारत में यह वैक्सीन कौन बनाएगा, अभी यह फाइनल नहीं हो पाया है। आरडीआईएफ के प्रेस सचिव आर्सेनी पलगिन ने कहा कि इस वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का रजिस्ट्रेशन अभी भारत के क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री में नहीं कराया गया है। लेकिन इसके लिए जल्दी ही अप्लाई कर दिया जाएगा।

वहीं, अभी भारत की नियामक एजेंसी की ओर से कोई अप्रूवल नहीं मिला है।

भारत में 30 वैक्सीन पर काम चालू 

केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस की 30 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से से तीन ट्रायल के अग्रिम चरण में पहुंच चुकी हैं। यह जानकारी 16 सितंबर को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा में दी।

सीरम इंस्टीट्यूट को मिली हरी झंडी

कोरोनावायरस संक्रमित बीमारी (कोविड-19) का वैक्सीन बना रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने हरी झंडी दिखा दी है। सीरम अब ह्यूमन ट्रायल शुरू कर सकती है। इससे पहले ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के ट्रायल में शामिल हुए एक व्यक्ति की तबीयत खराब होने के बाद वैकसीन का परीक्षण रोक दिया गया था। इस खबर के बाद भारत में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का ट्रायल कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट ने भी इसका ट्रायल रोक दिया था।

इससे पहले 11 सितंबर को डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट को निर्देश दिए थे कि कोविड-19 के संभावित वैक्सीन के ट्रायल पर रोक लगाई जाए, लेकिन इस रोक को हटा दिया है। इसके साथ ही दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए किसी भी स्वयंसेवक को चुनने को रोकने के अपने पुराने आदेश को भी डीसीजीआई ने रद्द कर दिया है। हालांकि डीसीजीआई ने कहा है कि जांच के दौरान अतिरिक्त ध्यान रखना होगा।

12 सितंबर को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा था कि ब्रिटेन में कोरोनावायरस के टीके का ह्यूमन ट्रायल फिर से शुरू कर दिया गया है, क्योंकि ब्रिटेन की मेडिसिन हेल्थ रेगुलेटरी अथॉरिटी ने ट्रायल के सुरक्षित बताया है।