कुछ धनी देशों ने कोरोनावायरस वैक्सीन का 50 फीसदी से ज्यादा खुराक खरीद ली हैं। इन धनी देशों में दुनिया की 13 फीसदी आबादी रहती है। यह दावा ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। ऑक्सफैम का कहना है कि यदि ये पांचों कंपनियां वैक्सीन बनाने में सफल् रहती है, तब भी दुनिया की दो तिहाई आबादी लगभग 61 फीसदी तक यह वैक्सीन की खुराक 2022 तक के अंत तक भी नहीं पहुंच पाएगी।
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ऑक्सफैम ने एनालिटिक्स कंपनी एयरफिनिटी द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के आधार पर किया है।
वर्तमान में वैक्सीन बना रही पांच कंपनियों और विभिन्न देशों के बीच हुए सौदों की समीक्षा के बाद ऑक्सफैम ने यह जानकारी दी है। जिन पांच वैक्सीन का विश्लेषण किया गया है, उनमें एस्ट्राजेनेका, गामालेया/स्पुतनिक, मॉडर्न, फाइजर और सिनोवैक शामिल हैं। इन पांचों कंपनियों के वैक्सीन ट्रायल के अंतिम दौर पर चल रही है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि इन पांचों कंपनियों की वैक्सीन उत्पादन क्षमता लगभग 5.9 बिलियन (अरब) खुराक की है। यह 3 बिलियन (अरब) लोगों के लिए काफी है, क्योंकि एक व्यक्ति को वैक्सीन की दो खुराक दिए जाने की संभावना है। इनमें से 5.3 बिलियन खुराक की डील हो चुकी है और इसमें से 2.7 बिलियन खुराक की डील कुछ अमीर देशों ने की है, जहां दुनिया की मात्र 13 फीसदी आबादी ही रहती है।