स्वास्थ्य

गांव में कोरोना : गुजरात के गांवों में तेजी से फैल रहा कोविड, ग्रामीणों में बना हुआ है टीके से मृत्यु का भ्रम

15 हजार वाली आबादी वाले गांव में 3-4 मृत्यु हो ही रही है। अप्रैल महीने में गांव में संक्रमण में काफी तेजी आई।

Kaleem Siddiqui

राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड आंकड़ों के अनुसार गुजरात के सभी जिले कोरोना संक्रमण की चपेट में है। राज्य का ऐसा कोई जिला नहीं है जो कोविड संक्रमण की चपेट में न हो। सर्वाधिक परेशानियां गांव में बनी हुई हैं जहां न स्वास्थ्य सुविधाएं हैं और न ही बुनियादी संसाधन। महामारी के वक्त यह मुसीबत और विकराल हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल के अपने जिले में स्थिति बेहद खराब है।  

हाल ही में गुजरात प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने मुख्यमंत्री विजय रूपानी को पत्र लिख दावा किया है कि " राज्य के सभी 18000 गांव कोरोना से संक्रमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही डॉक्टर , नर्स , पैरामेडिकल स्टाफ कमी है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की जो भर्ती होनी थी वह समय से नहीं हुई और जगह अब भी खाली है। ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहे संक्रमण को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो परिस्थिति और गंभीर हो सकती है।"

खेरवा गांव के निवासी चंद्रकांटभाई परमार डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि स्वस्थ मंत्री नितिन पटेल का जिला मेहसाना जो अहमदाबाद और सूरत के बाद कोविड से सबसे अधिक प्रभावित जिला है। इस गांव गांव में मार्च - अप्रैल के दरमियान 80 अधिक लोगों की कोरोना महामारी से मृत्यु हो चुकी है।
15000 की आबादी वाले इस गांव में रोज़ाना 3-4 मृत्यु हो ही रही है। अप्रैल महीने में गांव में संक्रमण में काफी तेजी आई। सिर्फ संक्रमण तक ही नहीं बल्कि गांव के लोग टीके लगवाने से भी डर रहे हैं। 
 
खेरवा गांव में 60 वर्षीय हीराभाई परमार की कोविड टीके का पहला डोज लेने के बाद मृत्यु हो गई। ऐसे ही टीके का पहला डोज लेने वालों की गांव में मृत्यु हो चुकी है। जिन्होंने टीके का पहला डोज लिया था। अब लोग टीका भी लेने से डर रहे हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि उनके गांव में एक प्राथमिक स्वस्थ केंद्र है जिसमें एक एमबीबीएस डॉक्टर , 10 से 15 नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ सहित 25-30 लोगों का स्टाफ है। लेकिन यहां आईसीयू, सीटीस्कैन, सोनोग्राफी,ऑक्सीजन इत्यादि की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।
गांव में चार आयुर्वेद और एमबीबीएस डॉक्टर की डिस्पेंसरी हैं। लेकिन वहां कोविड मरीज का इलाज संभव नहीं है। मेहसाना के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में नए मरीज को बेड नहीं मिल रहा है। सभी फुल हैं।
गांव के सरकारी स्कूल में सरपंच ने 200 बेड करवाए हैं जहां कोविड मरीज को क्वरांटीन करने की व्यवस्था है। हालांकि, बहुत से लोग घर में ही क्वरंटीन हैं। गांव में सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन न मिल पाना है।
खेरवा गांव में बने स्वस्थ केंद्र से आस पास के 15-16 गांव से मरीज उपचार के लिए आते हैं। आस पास के सभी गांव कोरोना से संक्रमित चल रहे हैं। डॉक्टर , नर्स तथा अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी के अलावा सुविधाओं की भी कमी है, जिस कारण प्रशासन को भी इस समस्या से निपटने में दिक्कत आ रही है।
खेरवा गांव के सरपंच गोविंद भाई पटेल बताते हैं कि  गांव में लगभग 500 लोग कोरोना से संक्रमित है। 
संक्रमण  के बढ़ते मामलों को देखते हुए कल ही गणपत यूनिवर्सिटी और आयुर्वेद कॉलेज में  आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है। ताकि संक्रमित लोगों को गांव और परिवार से हटाकर चेन तोड़ी जाए। गांव में मुफ्त टीका और टेस्टिंग हो रही है। लेकिन बहुत से लोग टीके को लेकर भ्रमित हैं। न खुद टीके ले रहे हैं और दूसरों को भी भ्रमित कर रहे हैं।"
इतना ही नहीं गांव में सामाजिक दूरी और अन्य कोरोना बचाव नियमों के पालन में वहां की परंपराएं बाधक बन रही हैं। 
उत्तर गुजरात के पाटन जिले के खानपुर गांव के देव देसाई कहते हैं " ग्रामीण क्षेत्र विशेष कर उत्तर गुजरात के गावों में लोगों को बुखार आता है और चार दिन बाद मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के बाद गांव के लोग बड़ी संख्या में अंतिम संस्कार में भी जाते हैं। फिर श्रद्धांजलि सभा में भी जाते हैं। गांव में रबारी , देवी पूजक और ठाकोर जाति के लोग रहते हैं। जिनकी श्रद्धा कुलदेवी में है। हिंदी महीने का चैत्य महीना चल रहा है। कुलदेवी का मंडवा चल रहा है। इस महीने में शादियां भी खूब होती हैं।
वहीं, 800 घरों वाले खानपुर गांव में अब तक तीन लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जो अधिक संक्रमित हैं और इलाज के लिए अस्पताल गए हैं। उनका इलाज पाटन में हो रहा है। हमारे गांव से 15 किलो मीटर की दूरी पर पाटन है। जहां कोविड के लिए धारपुर मेडिकल कॉलेज, सिविल अस्पताल के सिवाय प्राइवेट अस्पताल भी हैं।
पाटन में 100 किलो मीटर की दूरी तक के कोविड मरीज आते हैं जिसमें अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र के ही होते हैं। राज्य में बहुत से जिलों में 8 से 10 गांव के बीच एक प्राइमरी हेल्थ केयर या कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं जहां रैपिड एंटीजन टेस्ट तक की सुविधा नहीं है। तो वहां आरटी-पीसीआर टेस्ट की सुविधा के बारे में सोचना भी बेकार है।
शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहे कोरोना संक्रमण रोकने के लिए डॉ. मनीष दोशी ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिए हैं :- 
 
• तात्कालिक प्रभाव से ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर वर्षों से खाली मेडिकल स्टाफ की जगह की पूर्ति की जाए
• विलेज वॉरियर नाम से ग्रामीण कमिटी बनाई जाए जिसमें गांव के प्रतिष्ठित और सेवाभावी युवा को शामिल किया जाए जो लोगों को जागरूक करने तथा संक्रमण से निपटने में प्रशासन की मदद करे
• ग्राम पंचायत में कोरोना कोट्रोल रूम बनाया जाए
• गांव के प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूलों में 15-20 बेड का अस्थाई अस्पताल बनाया जाए
• दैनिक मेडिकल टीम बनाई जाए जो अस्थाई केंद्रों का दौर कर मरीज़ की देख भाल करे
• तहसील स्वास्थ अधिकारी और तहसील विकास अधिकारी के संपर्क न जारी किए जाएं ताकि कोराना संबंधित कोई भी सुविधा आसानी से मिल सके
 
2011 जनगणना के अनुसार राज्य की जन संख्या 6.04 करोड़ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक 5 लाख 39 हजार कोविड से संक्रमित हो चुके हैं। शहरी इलाकों को छोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में मेहसाना जिला सबसे अधिक प्रभावित है।
 
मेहसाना जिले में पिछले 24 घंटों 491 नया केस आया है जबकि 438 लोग ठीक होकर अपने घर गए हैं। 2011 जनगणना के अनुसार मेहसाना जिले की जनसंख्या 20.4 करोड़ हैं। 10 अप्रैल 2021 को प्रति 10000 की आबादी में 3 व्यक्ति कोरोना संक्रमित थे। जबकि 25 अप्रैल को यह दर बढ़ कर 20 प्रति 10000 जन संख्या हो गई। जो छह गुना से भी अधिक है।