स्वास्थ्य

प्रोसेस्ड फूड खाने से 30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है कैंसर होने का खतरा

अति-प्रसंस्कृत भोजन की खपत में हर 10 प्रतिशत की वृद्धि से कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में छह प्रतिशत की वृद्धि होती है

Dayanidhi

इंपीरियल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड या अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन करने और कैंसर के बढ़ते खतरे का सबसे बड़ा आकलन किया है। अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें उनके उत्पादन के दौरान अति-प्रसंस्कृत किया जाता है, जैसे मीठे पेय, बड़े पैमाने पर उत्पादित पैकेज्ड ब्रेड कई तैयार भोजन और अधिकांश नाश्ते में खाई जाने वाले अनाज आदि हैं।

अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ अक्सर अपेक्षाकृत सस्ते, सुविधाजनक और इनका प्रचार-प्रसार किया जाता है। लेकिन इन खाद्य पदार्थों में आम तौर पर नमक, वसा, चीनी की मात्रा अधिक होती है और इनमें कृत्रिम योजक या ऐडिटिव होते हैं। इस तरह के खाद्य पदार्थ मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग सहित कई स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों से जुड़े हैं

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 2 लाख मध्यम आयु वर्ग के वयस्क प्रतिभागियों के आहार पर जानकारी एकत्र करने के लिए यूके बायोबैंक रिकॉर्ड का उपयोग किया। शोधकर्ताओं ने 10 साल की अवधि तक प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की निगरानी की। समग्र रूप से किसी भी तरह के कैंसर होने के खतरे के साथ-साथ 34 प्रकार के कैंसर के विकास के विशेष खतरों को भी देखा। उन्होंने कैंसर से मरने वाले लोगों के खतरे का भी पता लगाया।

अध्ययन में पाया गया कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की अधिक खपत समग्र रूप से और विशेष रूप से डिम्बग्रंथि और मस्तिष्क के कैंसर के विकास के अधिक खतरे से जुड़ी थी। यह कैंसर से मरने के बढ़ते खतरे से भी जुड़ा था, विशेष रूप से डिम्बग्रंथि और स्तन कैंसर में ऐसा देखा गया है।

किसी व्यक्ति के आहार में अति-प्रसंस्कृत भोजन के हर 10 प्रतिशत की वृद्धि के लिए, समग्र रूप से कैंसर की 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि डिम्बग्रंथि के कैंसर के लिए इसमें 19 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई।

अति-प्रसंस्कृत भोजन की खपत में हर 10 प्रतिशत की वृद्धि, कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में 6 प्रतिशत की वृद्धि होती है, साथ ही स्तन कैंसर के लिए 16 प्रतिशत की वृद्धि और डिम्बग्रंथि के कैंसर के लिए 30 प्रतिशत की वृद्धि का पता चला है।

धूम्रपान की स्थिति, शारीरिक गतिविधि और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जैसे सामाजिक-आर्थिक, व्यवहारिक और आहार संबंधी कारकों की एक श्रृंखला के समायोजन के बाद ये कड़िया जुड़ रही हैं।

टीम के पिछले शोध ने यूके में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत के स्तर की जानकारी दी, जो वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए यूरोप में सबसे अधिक है। टीम ने यह भी पाया कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की अधिक खपत ब्रिटेन के वयस्कों में मोटापा और टाइप 2 मधुमेह के अधिक खतरे से जुड़ी थी और ब्रिटेन के बच्चों में बचपन से युवावस्था तक वजन बढ़ने का अधिक खतरा देखा गया

इंपीरियल कॉलेज लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ एस्ज़्टर वामोस ने कहा, यह अध्ययन बढ़ते सबूतों को जोड़ता है कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ कैंसर के खतरे सहित हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। यूके के वयस्कों और बच्चों में खपत के अधिक स्तर को देखते हुए, भविष्य के स्वास्थ्य परिणामों के लिए इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि, अन्य उपलब्ध सबूत बताते हैं कि हमारे आहार में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को कम करने से स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण लाभ हो सकते हैं। इन निष्कर्षों की पुष्टि करने और हमारे आहार में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की व्यापक उपस्थिति और नुकसान को कम करने के लिए सर्वोत्तम सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों को समझने के लिए और शोध की आवश्यकता है।

इंपीरियल कॉलेज लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अध्ययनकर्ता डॉ कियारा चांग ने कहा, हमारा शरीर इन अति-प्रसंस्कृत अवयवों और योजकों के लिए उसी तरह प्रतिक्रिया नहीं कर सकते हैं जैसे वे ताजा और पौष्टिक कम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के लिए करते हैं।

हालांकि, अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ हर जगह हैं और खपत को बढ़ावा देने के लिए सस्ते मूल्य और आकर्षक पैकेजिंग के साथ इनका अत्यधिक प्रचार प्रसार किया जाता है। इससे पता चलता है कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से आबादी को बचाने के लिए हमारे खाद्य पर्यावरण में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने पहले स्वस्थ टिकाऊ आहार के हिस्से के रूप में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है।

दुनिया भर में अति-प्रसंस्कृत खाद्य खपत को कम करने के प्रयास चल रहे हैं, ब्राजील, फ्रांस और कनाडा जैसे देशों ने ऐसे खाद्य पदार्थों को सीमित करने की सिफारिशों के साथ अपने राष्ट्रीय आहार दिशानिर्देशों को अपडेट किया है। ब्राजील ने स्कूलों में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के प्रचार, प्रसार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि यूके में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से निपटने के लिए वर्तमान में कोई समान उपाय नहीं हैं।

डॉ चांग ने कहा उपभोक्ताओं की पसंद की सहायता के लिए हमें अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के पैक पर चेतावनी लेबल लगाने की आवश्यकता है। हमारे चीनी  से बनने वाले अति-प्रसंस्कृत पेय, फल-आधारित और दूध-आधारित पेय के साथ साथ अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कर बढ़ाया जाना चाहिए। 

कम आय वाले परिवार इन सस्ते और अस्वास्थ्यकर अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को लेने के लिए मजबूर हैं। कम से कम प्रसंस्कृत और ताजा तैयार भोजन को सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी के पास स्वस्थ, पौष्टिक और किफायती विकल्प उपलब्ध हों। यह अध्ययन लांसेट के ‘ईक्लिनिकल मेडिसिन’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।