स्वास्थ्य

चार राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि, केंद्र ने जारी किए निर्देश

सरकार का कहना है कि ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है कि प्रदूषित पोल्ट्री उत्पादों की खपत के माध्यम से एआई का वायरस मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है

DTE Staff

एवियन इन्फ्लुएंजा (एआई) वायरस (बर्ड फ्लू) के बढ़ते प्रसार को देखते हुए केंद्र सरकार ने 6 जनवरी 2021 को बयान जारी किया। केंद्र सरकार ने कहा है कि अब तक चार प्रदेशों में एआई वायरस की पुष्टि हुई है। 

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राजस्थान के बारां, कोटा, झालावाड़ में कौओं, मध्य प्रदेश के मंदसौर, इंदौर, मालवा में कौओंं, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में प्रवासी पक्षियों और केरल कोट्टायम, अल्लपुझा (4 महामारी केन्‍द्र) में बतख के पोल्ट्री से आईसीएआर-एनआईएचएसएडी  ने संक्रमित नमूनों की पुष्टि की है।  

पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने भी नई दिल्‍ली में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सकें और राज्य अधिकारियों द्वारा किए गए निवारक और नियंत्रण उपायों के आधार पर दैनिक स्थिति का पता लगाया जा सके।

एवियन इन्फ्लुएंजा के बारे में कार्य योजना के अनुसार प्रभावित राज्‍यों को इस बीमारी पर नियंत्रण और इसके प्रसार को रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में सुझाव दिए गए है। इस सुझावों में पोल्ट्री फार्मों की जैव सुरक्षा को मजबूत बनाना, प्रभावित क्षेत्रों का कीटाणुशोधन करना, मृत पक्षियों के शवों का उचित निपटान, बीमारी की पुष्टि और आगे निगरानी के लिए समय पर नमूने लेना और उन्‍हें परीक्षण के लिए भेजना।

संक्रमित पक्षियों से पोल्‍ट्री और मनुष्‍यों में बीमारी के प्रसार की रोकथाम के लिए सामान्य दिशा-निर्देशों के साथ-साथ निगरानी योजनाओं को सघन रूप से लागू करना शामिल है।  राज्‍यों को यह भी सलाह दी गई है कि वे पक्षियों की असामान्य मौत के बारे में रिपोर्ट के लिए वन विभाग के साथ समन्वय स्‍थापित करें। अन्य राज्यों से भी पक्षियों की असामान्य मौत के बारे में सतर्कता बरतने और आवश्यक उपाय करने के लिए तुरंत रिपोर्ट करने की सलाह दी गई है।

प्रेस सूचना ब्यूरो की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि एवियन इन्फ्लुएंजा (एआई) वायरस सदियों से पूरी दुनिया में मौजूद है। पिछली शताब्‍दी में इसके चार बड़े प्रकोप दर्ज हुए हैं। भारत में एवियन इन्फ्लुएंजा का पहला प्रकोप 2006 में अधिसूचित किया गया था। भारत में मनुष्यों में अभी तक इसके संक्रमण का पता नहीं चला है, हालांकि यह बीमारी ज़ूनोटिक है।

इस बात का ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है कि प्रदूषित पोल्ट्री उत्पादों की खपत के माध्यम से एआई का वायरस मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है। जैव सुरक्षा सिद्धांतों, व्यक्तिगत स्वच्छता और साफ-सफाई तथा कीटाणुशोधन प्रोटोकॉल को शामिल करते हुए प्रबंधन प्रक्रियाओं को लागू करने के साथ-साथ खाना पकाने और प्रसंस्‍करण मानकों को अपनाना एआई वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रभावी साधन हैं।

भारत में, यह बीमारी मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों द्वारा फैलती है, जो सर्दियों के महीनों यानी सितंबर-अक्टूबर से फरवरी से मार्च तक भारत में आते हैं। इसके द्वितीयक प्रसार में मानव रखरखाव (फोमाइट्स के माध्यम से) के योगदान को भी खारिज नहीं किया जा सकता है।

एआई के वैश्विक प्रसार की चुनौती को देखते हुए भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने 2005 में एक कार्य योजना तैयार की थी, जिसे देश में एवियन इन्फ्लुएंजा की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्‍य सरकारों के मार्गदर्शन हेतु वर्ष 2006, 2012, 2015 और 2021 में संशोधित (देखें डीएएचडी वेबसाइट) किया गया था।

वर्ष 2020 में एवियन इन्फ्लुएंजा के प्रकोप पर नियंत्रण पूरा होने के बाद पोस्ट ऑपरेशन सर्विलांस प्लान (पीओएसपी) का अनुपालन करते हुए 30 सितम्‍बर, 2020 से देश को एआई से मुक्‍त होने की घोषणा की गई थी।

सर्दियों के मौसम में इस बीमारी की रिपोर्टों के संबंध में पिछले अनुभव को देखते हुए सर्दी शुरू होने से पहले ही सभी राज्‍यों/केन्‍द्रशासित प्रदेशों को समय-समय पर सलाह जारी की गई है, ताकि आवश्यक सतर्कता बरतने, निगरानी बढ़ाने, आपूर्तियों के रणनीतिक भंडार (पीपीई किट, आदि) बनाने, आकस्मिकताओं से निपटने की तैयारी करने तथा जनता को जागरूक करने के लिए आईईसी जैसे आवश्‍यक कदम उठाये जा सकें।