स्वास्थ्य

सावधान! बच्चों को इंफेक्शन होने पर ये दवाएं देने से पहले रखें ध्यान

Dayanidhi

हम सामान्य संक्रमण के इलाज के लिए भी रोगाणुरोधी (ऐन्टीमाइक्रोबीअल, एएम) दवाओं का उपयोग करते हैं। ये दवाईयां हमारे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

एंटीबायोटिक और रोगाणुरोधी (ऐन्टीमाइक्रोबीअल) के बीच अंतर

डब्ल्यूएचओ के अनुसार एंटीबायोटिक्स जीवाणु संक्रमण को रोकने और उपचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं। रोगाणुरोधी (ऐन्टीमाइक्रोबीअल) जिसमें अन्य रोगाणुओं जैसे कि परजीवी (जैसे मलेरिया), वायरस (जैसे एचआईवी) और कवक (जैसे कैंडिडा) के कारण होने वाले संक्रमणों के इलाज की दवाएं शामिल है।

किशोर स्वास्थ्य को लेकर फ़िनलैंड में 11,000 से अधिक किशोरों पर एक अध्ययन किया गया है, जिसे फिन-हिट नाम दिया गया। हाल ही में फिन-हिट अध्ययन में शोधकर्ताओं ने आजीवन रोगाणुरोधी (एएम) दवाओं से जुड़ी लार में माइक्रोबायोटा की विभिन्नता और रचना के साथ उपयोग करने की कोशिश की। माइक्रोबायोटा एक विशिष्ट वातावरण में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव हैं। उन्होंने फिन-हिट समूह के 808 रैन्डम्ली चुने गए बच्चों के आंकड़ों को फ़िनलैंड के सामाजिक बीमा संस्थान (केएलए) से रोगाणुरोधी (एएम) दवाएं खरीदे गए रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों के साथ मिलाया।

इससे पता चला कि 12 वर्ष तक के बच्चों के जीवनकाल में रोगाणुरोधी दवाओं की खरीद का औसत 7.4 की थी। चार सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले रोगाणुरोधी दवाएं एमोक्सिसिलिन (43.7 फीसदी), एज़िथ्रोमाइसिन (24.9 फीसदी), एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट (18.7 फीसदी) और फेनोक्सिमिथाइलपेनिसिलिन (6.8 फीसदी) थी। यह शोध माइक्रोबायोम नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

फिनलैंड की स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को अच्छा माना जाता है। यूरोपियन कमीशन  द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण के अनुसार, फिनलैंड की स्वास्थ्य सेवा संतुष्टि के मामले में शीर्ष पांच देशों में शामिल है। यदि यहां पर 12 साल तक के बच्चों को ओसतन 7.4 बार रोगाणुरोधी दवाएं दी गई हैं। तो भारत जैसे विकासशील देश में बच्चों को रोगाणुरोधी दवाएं देने के बारे में कल्पना की जा सकती है कि यहां का हाल क्या होगा।

भारत में कुछ साल पहले एक अध्ययन किया गया था जिसकी अवधि 1 वर्ष  की थी। यह इंडियन जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। यह अध्ययन 332 अस्पताल में भर्ती बच्चों के साथ किया गया था। यहां रोगाणुरोधी उपयोग की व्यापकता 79.82 फीसदी थी। रोगाणुरोधी प्राप्त करने वाले 265 बच्चों में से अधिकांश पुरुष (61.10 फीसदी) थे और ग्रामीण और निम्न सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि से थे। जहां छह बच्चों की मौत होने की बात बताई गई, 43 का तबादला कर दिया गया और बाकी को छुट्टी दे दी गई थी।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के माध्यम से दिखाया कि रोगाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) दवाओं के लगातार उपयोग से लार में बैक्टीरिया का एक खाका (प्रोफाइल) बन जाता है। किसी भी रोगाणुरोधी दवा (एएम) के लगातार उपयोग से लार के सूक्ष्मजीव (माइक्रोबायोटा) प्रभावित होते है।

हेलसिंकी विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता साजन राजू कहते हैं माइक्रोबियल संरचना रोगाणुरोधी दवा के उच्च, मध्यम और निम्न उपयोगकर्ताओं के बीच अलग-अलग होती है। प्रभाव महिला और पुरुष में अलग-अलग हो सकते हैं, यह रोगाणुरोधी दवा पर निर्भर करता है।

एजिथ्रोमाइसिन के गहन प्रभाव पड़ते है, विशेष रूप से लड़कियों में

एज़िथ्रोमाइसिन का उपयोग कान के संक्रमण, स्ट्रेप गले और निमोनिया के लिए किया जाता है। अध्ययन के अनुसार, एज़िथ्रोमाइसिन में बैक्टीरिया प्रोफाइल में बदलाव के लिए सबसे मजबूत तरीके से जुड़ा हुआ था। प्रत्येक कोर्स में माइक्रोबायोटा विविधता में कमी आई थी। इसका लड़कों की तुलना में लड़कियों में अधिक प्रभाव देखा गया।

राजू कहते हैं हमारे निष्कर्ष बताते है कि बहुत अधिक एजिथ्रोमाइसिन का उपयोग चिंता का विषय हैं, जो बैक्टीरिया की विविधता और प्रभावित रचना को काफी प्रभावित करता है।

लड़कों में, एमोक्सिसिलिन ने लड़कियों की तुलना में अधिक प्रभावित किया। साथ ही साथ एज़िथ्रोमाइसिन, एमोक्सिसिलिन व्यापक रूप से कान के संक्रमण और स्ट्रेप गले के लिए उपयोग किया जाता है। एमोक्सिसिलिन और एमोक्सिसिलिन-क्लेवुलैनेट का उपयोग रिकेनेलेसी परिवार की बहुतायत में सबसे बड़ी कमी से जुड़ा था।

आम तौर पर रोगाणुरोधी दवा (एएम) का उपयोग पलुडीबैक्टर की कमी और अमीनो एसिड की गिरावट से जुड़ा था। पलुडीबैक्टर एक जीन है जो पालुडीबैक्टीरिया के परिवार से संबंध रखता है।

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव?

लार माइक्रोबायोटा पर आजीवन रोगाणुरोधी दवा (एएम) के उपयोग से होने वाले फायदे के बारे में बहुत कम जानकारी है। रोगाणुरोधी दवाओं का अधिक उपयोग से भविष्य में अप्रत्याशित स्वास्थ्य प्रभाव पड़ सकता है। राजू कहते हैं मोटापे या एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया जैसे स्वास्थ्य प्रभाव पड़ सकते हैं। अध्ययन में अधिकांश बच्चों (85 फीसदी) को जीवन के पहले तीन वर्षों के दौरान रोगाणुरोधी दवाएं (एएम) दी गई थीं।