स्वास्थ्य

50 से कम उम्र के लोगों को तेजी से निशाना बना रहा कैंसर, तीन दशकों में 79 फीसदी बढ़े मामले

इस दौरान 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर से होने वाली मौतों में भी 27.7 फीसदी की वृद्धि हुई है

Lalit Maurya

कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो यूं तो किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है इसके मामले भी नाटकीय रूप से बढ़ जाते हैं। लेकिन एक नई हैरान कर देने वाली रिसर्च से पता चला है कि केवल बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रह हैं।

रिसर्च में जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक पिछले तीन दशकों के दौरान वैश्विक स्तर पर 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर के नए मामलों में 79.1 फीसदी की वृद्धि हुई है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि कैंसर केवल बढ़ती उम्र के लोगों में होने वाला मर्ज नहीं रह गया है। यह युवाओं और बच्चों को भी तेजी से निशाना बना रहा है।

गौरतलब है कि जहां 1990 में 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कैंसर के 18.2 लाख नए मामले सामने आए थे, वहीं 2019 में 79.1 फीसदी की वृद्धि के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 32.6 लाख पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित इस रिसर्च के नतीजों से पता चला है कि इस दौरान 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर से होने वाली मौतों में भी 27.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2019 में कैंसर ने 50 से कम उम्र की 10.6 लाख जिंदगियों को लील लिया था।

क्या है कैंसर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कैंसर एक न होकर बीमारियों का एक समूह है, जो शरीर के करीब-करीब किसी भी अंग या ऊतक में शुरू हो सकती है। इस बीमारी के दौरान असामान्य कोशिकाएं शरीर के विभिन्न हिस्सों में अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं।

जब यह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती कोशिकाएं अपनी सामान्य सीमाओं से परे चली जाती हैं और अन्य अंगों में फैल जाती हैं, तो इस फैलाव को मेटास्टेसिस कहा जाता है। जो कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। कैंसर के अन्य नामों में नियोप्लाज्म और घातक ट्यूमर शामिल हैं।

रिसर्च से पता चला है कि जहां 2019 में स्तन कैंसर के सबसे ज्यादा प्रारंभिक मामले आए थे। जिनकी दर प्रति लाख लोगों पर 13.7 दर्ज की गई थी। इसी तरह उनसे होने वाली मृत्युदर भी प्रति लाख लोगों पर 3.5 थी।

हालांकि 1990 के बाद से श्वासनली और प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। इस दौरान जहां श्वासनली के कैंसर के मामलों में हर वर्ष 2.28 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई हैं। वहीं प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में भी साल दर साल 2.23 फीसदी की वृद्धि हो रही है।

वहीं प्रति वर्ष 2.88 फीसदी की गिरावट के साथ, 14 से 49 वर्ष की आयु के लोगों में लीवर कैंसर के मामलों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। 2019 में, वयस्कों में सबसे ज्यादा मौतों और स्वास्थ्य को गंभीर तौर पर नुकसान पहुंचाने वाले कैंसरों में स्तन, फेफड़े, श्वासनली, आंत और पेट के कैंसर सबसे ऊपर थे।

रिसर्च के अनुसार स्तन कैंसर के बाद, सबसे ज्यादा मौतें श्वासनली, फेफड़े, पेट और आंत के कैंसर के चलते हुई थी, जिनमें गुर्दे या डिम्बग्रंथि के कैंसर से पीड़ित लोगों की मृत्यु में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 से मिली जानकारी का उपयोग किया है। उन्होंने 204 देशों में 29 प्रकार के कैंसर से जुड़े आंकड़ों को एकत्र किया है। इसकी मदद से उन्होंने 14 से 49 वर्ष की आयु के लोगों में कैंसर के बढ़ते जोखिमों और उनके कारकों की जांच की है, जिससे यह समझा जा सके कि 1990 के बाद से स्थिति में कैसे बदलाव आया है।

आंकड़ों से पता चला है कि उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी यूरोप जैसे समृद्ध क्षेत्रों में युवाओं और 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कैंसर की दर सबसे ज्यादा रही। हालांकि निम्न और माध्यम आय वाले देश भी इससे प्रभावित थे, नतीजे दर्शाते हैं कि ओशिनिया, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर से होने वाली मृत्यु की दर सबसे ज्यादा थी।

निम्न से मध्यम आय वाले देशों में, यह कैंसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कहीं ज्यादा प्रभावित कर रहा है। महिलाओं पर पड़ता कैंसर का असर मौतों और स्वास्थ्य समस्याओं दोनों के मामले में पुरुषों से ज्यादा था।

खराब खानपान, बढ़ता वजन, शराब, धूम्रपान से बढ़ रहा खतरा

रिसर्च में कैंसर के इन बढ़ते मामलों के लिए गैर पोषण युक्त आहार, शराब, तम्बाकू के साथ बढ़ते वजन और शारीरिक गतिविधियों में आती कमी जैसे कारकों को जिम्मेवार माना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में होने वाली हर छठी मौत के लिए कैंसर जिम्मेवार है। जिसने 2020 में एक करोड़ से ज्यादा जिंदगियां छीन ली थी। इतना ही नहीं हर साल करीब 400,000 बच्चों को कैंसर होता है।

पता चला है कि 2020 में जहां फेफड़ों के कैंसर की वजह से 18 लाख लोगों की मौत हुई थी। वहीं बृहदान्त्र (कोलोन) और मलाशय (रेक्टम) के कैंसर की वजह से 9.16 लाख, जिगर 8.3 लाख, पेट के कैंसर 7.69 लाख और स्तन कैंसर 685,000 मौतों के लिए जिम्मेवार था।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक स्तन, फेफड़े, बृहदान्त्र, मलाशय और प्रोस्टेट सबसे आम कैंसर हैं। स्वास्थ्य एजेंसी ने भी कैंसर से होने वाली करीब एक-तिहाई मौतों के लिए धूम्रपान, तंबाकू के सेवन, बढ़ता वजन, शराब, पर्याप्त फल और सब्जियां न खाना के साथ शारीरिक गतिविधियों में आती कमी जैसे कारणों को जिम्मेवार माना है।

रिसर्च से जुड़े शोधकर्ताओं का भी मानना है कि आनुवंशिक कारक, 50 से कम आयु के लोगों में होने वाले कैंसर का कारण हो सकते हैं। लेकिन इसका सबसे प्रमुख कारण लोगों की जीवनशैली से जुड़ा है। इनमें लाल मांस, नमक, शराब, धूम्रपान, पर्याप्त फल और सब्जियों के साथ डेयरी उत्पाद न खाना जैसे कारण प्रमुख वजहें हैं। इनके साथ-साथ शारीरिक गतिविधियों में गिरावट, बढ़ता वजन और हाई ब्लड शुगर जैसे कारण भी कैंसर के खतरों को बढ़ा सकते हैं।