स्वास्थ्य

आपके वाशबेसिन में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया आपको बीमार कर सकते हैं: अध्ययन

Dayanidhi

कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिए बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही हैं, अधिकतर लोग इसका पालन कर भी रहे हैं। लेकिन अब एक नई समस्या सामने खड़ी हो गई है, अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि बैक्टीरिया वाशबेसिन (सिंक) में रह जाते हैं, जो बाद में आपको बीमार कर सकते हैं। इसलिए वाशबेसिन को भी समय-समय पर अच्छी तरह से साफ करने की जरूरत है।

एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि हाथ धोने के दौरान घर के वाशबेसिन (सिंक) में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ रही हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के वैज्ञानिकों ने अस्पतालों के बाहर अथवा घर में किए गए एक बड़े अध्ययन में, इसी तरह की खोज की जिसमें हाथ धोने के बाद वाशबेसिन (सिंक) और नालियों में बड़े पैमाने पर बैक्टीरिया पाए गए हैं।  

शोधकर्ताओं ने पाया कि वाशबेसिन और नालियों में जगह और परिवार के आधार पर बैक्टीरिया के बीच महत्वपूर्ण अंतर होता है। पाइपलाइन और टोटियों में नलों की मुड़ी हुई जगहों पर बैक्टीरिया के बढ़ने के लिए बहुत अच्छा वातावरण होता है।

रीडिंग विश्वविद्यालय में जेनोमिक्स के लिए जैव सूचना विज्ञान में प्रवक्ता डॉ. ह्यून सून गेवन ने कहा कि कोरोनवायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए अपने हाथों को धोने का मंत्र न केवल हाथ की स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालता है, बल्कि अच्छी तरह से डिजाइन और नियमित रूप से वाशबेसिन को भी साफ रखने की आवश्यकता है। 

विभिन्न इमारतों में बैक्टीरिया में पाए जाने वाले अंतर से पता चलता है कि इमारत में कितने लोग रहते हैं, उसका डिजाइन सहित कई कारकों का उन बैक्टीरिया पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है जिनके संपर्क में हम आते हैं।

रीडिंग विश्वविद्यालय के द्वारा अस्पताल के बाहर और आसपास के वाशबेसिन से 123 नमूने लिए गए थे जिनमें शिक्षण, अनुसंधान और सामाजिक खाली स्थानों,  शौचालय और बाथरूम शामिल थे। इन सभी वाशबेसिन (सिंक) में से कुछ में अलग तरह के बैक्टीरिया पाए गए हैं।

वाशबेसिन (सिंक) के नीचे पाए जाने वाले पाइपलाइन वाली जगहों में माइक्रोबियल का पता चलता है जो कि प्रोटोबैक्टीरिया नामक बैक्टीरिया के समूह से संबंध रखते हैं। इस प्रजाती में साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे  बैक्टीरिया शामिल हैं, जिनसे गंभीर बीमारी हो सकती है। हालांकि उस समूह से बैक्टीरिया का अनुपात कम था। सबसे अधिक, सामान्य मोरासेलेसी और बुर्केनियासी बैक्टीरिया के पाए गए, जो संक्रमण पैदा कर सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मनुष्यों को हानि नहीं पहुंचाते हैं।   

पाइपलाइन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रभाव था जहां ये प्रचुर मात्रा में पाए गए थे। वाशबेसिन (सिंक) के नीचे स्ट्रेनर्स में मोरैक्सेलैसी बैक्टीरिया पाया गया था, जबकि पी-ट्रैप सिंक, जिसमें जल निकासी होती है उसमें बर्कन्टेआसी की अधिक मात्रा थी।

रीडिंग विश्वविद्यालय में शोधकर्ता और प्रमुख अध्ययनकर्ता झो विथे ने कहा की बैक्टीरिया जो हमारे वाशबेसिन (सिंक), नालियों में रहते हैं उनका आकार उतना ही होता है, जितना कि हाथ धोने के दौरान होता है। जबकि हमें आशंका थी कि आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का अधिक प्रभाव हो सकता है, यह अधिकतर बाथरूम के वातावरण के कारण होता है, ऐसा लगता है कि हमारे हाथों की त्वचा पर रहने वाले बैक्टीरिया का विकास वाशबेसिन (सिंक) के नीचे नालियों में होता है।

इसका मतलब यह है कि हमें इस बारे में बहुत जागरूक होने की आवश्यकता है कि हम अपने वाशबेसिन (सिंक) बैक्टीरिया से बीमार हो सकते हैं। बहुत सी ऐसी जगहें होती हैं जहां नियमित सफाई के दौरान पहुंचा नहीं जा सकता है, जो खतरनाक, प्रतिरोधी रोगाणुओं वाले बैक्टीरिया को जन्म दे सकता है।

वैज्ञानिक बताते हैं कि सभी वाशबेसिन (सिंक) जहां से नमूने लिए गए थे, उन्हें जबकि नियमित रूप से साफ किया जाता था।

डॉ. गेवन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष लोगों को याद दिलाएंगे कि आपके हाथों पर बैक्टीरिया अक्सर जीवित रहते हैं और वे धोने के बाद भी बढ़ने में सक्षम होते हैं, यहां तक कि साबुन और गर्म पानी से धोने पर भी। बैक्टीरिया को आपके वाशबेसिन (सिंक) के आसपास के क्षेत्रों में फैलाना संभव है, जहां वे बढ़ सकते हैं और लंबे समय तक बने रह सकते हैं।

बैक्टीरिया के फैलने को कम करने के लिए वाशबेसिन (सिंक) और आसपास के क्षेत्रों की पूरी तरह से कीटाणु रहित बनाने की आवश्यकता होती है नकि केवल आपके हाथों को गीला करने की।