एक नए अध्ययन में कहा गया है कि मानव जीनोम में होने वाले बदलावों की तुलना करने के लिए, बैक्टीरिया में नई विशेषता वाली रक्षा प्रणालियों से मदद ली जा सकती है। इस प्रक्रिया के उपयोग से इंसानों में होने वाली गंभीर बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।
अध्ययन में पाया गया कि बैक्टीरियोफेज नामक वायरस से खुद को बचाने के लिए बैक्टीरिया ने कई रक्षा प्रणालियां विकसित की हैं। इनमें से कई प्रणालियां पहले से ही उपयोगी जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों के रूप में विकसित की जा चुकी हैं, जैसे कि जीन में सुधार करने के लिए संबंधित डीएनए में छोटे बदलाव करना। यहां बताते चले कि बैक्टीरियोफेज एक वायरस है जो एक जीवाणु को संक्रमित करके उसके अंदर प्रजनन करके परजीवी बना देता है।
यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल, नॉर्थंब्रिया यूनिवर्सिटी और न्यू इंग्लैंड बायोलैब्स के सहयोग से यूके की डरहम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम की अगुवाई में किया गया है।
शोधकर्ताओं ने दिखाया कि दो रक्षा प्रणालियों ने बैक्टीरिया को बैक्टीरियोफेज से बचाने के लिए इसमें व्याप्त कमी को पूरा करते हुए एक नए तरीके से काम किया। एक प्रणाली ने बैक्टीरियोफेज से बैक्टीरिया की रक्षा की जिनके डीएनए में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
कुछ बैक्टीरियोफेज इस पहली रक्षा प्रणाली से बचने के लिए अपने डीएनए में बदलाव करते हैं। एक दूसरी रक्षा प्रणाली, जिसे ब्रक्सयू कहा जाता है, इसने बदले हुए डीएनए के साथ उन बैक्टीरियोफेज से बैक्टीरिया की रक्षा की, जिससे रक्षा की दूसरी परत बनी।
शोधकर्ताओं ने ब्रक्सयू को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक विस्तृत 3डी तस्वीर बनाई, जिससे यह समझा जा सके कि डीएनए बैक्टीरियोफेज से कैसे बचता है। ब्रक्सयू में एक और उपयोगी जैव-प्रौद्योगिकी उपकरण होने की क्षमता है, क्योंकि वही डीएनए बदलाव जो ब्रक्सयू को पहचानते हैं और पूरे मानव जीनोम में दिखाई देते हैं जो कैंसर और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में बदलाव करते हैं।
डरहम विश्वविद्यालय के बायोसाइंसेज विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता डॉ. टिम ब्लोअर ने कहा सुधार किए गए डीएनए को पहचानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि मानव जीनोम के डीएनए में समान बदलाव पाए जाते हैं। सूचना की यह अतिरिक्त परत, "एपीजीनोम", जैसे-जैसे हम बढ़ते हैं, बदल जाती है और कैंसर और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के मामलों में भी परिवर्तन होता है।
अगर हम इस एपीजीनोम की मैपिंग के लिए ब्रक्सयू को बायोटेक्नोलॉजिकल टूल के रूप में विकसित कर सकते हैं, तो यह हमारे विकास और रोग के विकास को नियंत्रित करने वाली जानकारी है जिसके चलते रोग नियंत्रण को लेकर हमारी समझ भी बढ़ेगी।
अध्ययन के लिए नए बैक्टीरियोफेज को अलग करने का काम किया गया था। बैक्टीरियोफेज मनुष्यों को सीधे नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन जिस तरह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमणों के प्रति प्रतिक्रिया करती है, उसी तरह बैक्टीरिया को अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए मजबूर किया गया है जो बैक्टीरियोफेज से रक्षा करती है।
बैक्टीरियोफेज नदी, तालाबों और आसपास के अन्य जलमार्गों से इकट्ठा किए गए थे। फिर उनका उपयोग ई. कोलाई बैक्टीरिया में बैक्टीरियोफेज जन्मजात प्रतिरक्षा का परीक्षण करने के लिए किया गया। यह अध्ययन न्यूक्लिक एसिड रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।