स्वास्थ्य

बर्ड फ्लू कैसे फैलता है, क्या यह इंसानों के लिए खतरनाक है?

अध्ययन के मुताबिक बर्ड फ्लू की यह वंशावली 1996 के आसपास उत्पन्न हुई थी और पहली बार यह चीन में एक घरेलू बत्तख में पाया गया था।

Dayanidhi

जब भी एवियन इन्फ्लूएंजा की बात आती है, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है, तो यह सभी पक्षियों में समान नहीं होता है।

एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू क्या है?

एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो घरेलू और जंगली पक्षियों दोनों को प्रभावित करती है। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमित पक्षियों, स्तनधारी प्रजातियों को अलग कर दिया जाता है ताकि संक्रमण न फैले।

हालांकि स्तनधारी प्रजातियों से, जिनमें चूहे, वीजल, फेरेट्स, सूअर, बिल्लियां, बाघ, कुत्ते और घोड़े शामिल हैं, साथ ही साथ मनुष्यों में भी संक्रमण कम दिखाई दिया है।

प्रोफेसर जोनाथन रनस्टैडलर बताते हैं कि कुछ वैज्ञानिक सभी पक्षियों में इन्फ्लूएंजा वायरस को एक समान समझते हैं। लेकिन हर एक पक्षी का अलग प्राकृतिक इतिहास, शरीर विज्ञान और शरीर रचना होती है। जो इन जीवों को आपस में अलग करता है। प्रोफेसर रनस्टैडलर टफ्ट्स विश्वविद्यालय में कमिंग्स स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन में रोग और वैश्विक स्वास्थ्य संक्रामक विभाग के अध्यक्ष हैं।

यह अध्ययन पक्षियों के विभिन्न समूहों के बीच होने वाले इन्फ्लूएंजा वायरस पर आंकड़ों का विश्लेषण करता है। यह बताता है कि वायरस को फैलाने में किस प्रकार के पक्षी शामिल हैं।

बर्ड फ्लू का पहला मामला कहा पाया गया

बर्ड फ्लू की यह वंशावली 1996 के आसपास उत्पन्न हुई थी और पहली बार यह चीन में एक घरेलू बत्तख में पाया गया था। वायरस अपने आप में लगातार बदलाव करता रहता है और इसका पहला बड़ा जंगली पक्षी प्रकोप 2005 के आसपास मध्य एशिया के एक प्रमुख आर्द्रभूमि में हुआ था।

वायरस में बाद के परिवर्तनों ने प्रशांत नॉर्थवेस्ट के माध्यम से अमेरिका में 2014 में शुरूआत की। इसने अमेरिकी पोल्ट्री उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित किया और नियंत्रण उपाय के रूप में लगभग 4 करोड़ टर्की पक्षियों और मुर्गियों को मारने के लिए मजबूर किया।

प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर निकोला हिल ने कहा कि हमें पैटर्न खोजने और यह निर्धारित करने के लिए लंबे समय के ऐतिहासिक आंकड़ों देखने की जरूरत है। इसमें यह जानना अहम है कि कौन से पक्षी वास्तव में इस वयरस को दुनिया भर में फैला सकते हैं। इसलिए हमने पहले के अध्ययनों जैसे जंगली बत्तख, गूल्स, लैंड बर्ड्स और गीज बनाम घरेलू पोल्ट्री जैसे मुर्गियों की बेहतर तरिके से तुलना की और वास्तव में इसमें कुछ दिलचस्प निष्कर्ष निकले।

ऐतिहासिक रूप से मॉलर्ड जैसे बत्तखों को एवियन इन्फ्लूएंजा का सुपर-स्प्रेडर माना जाता है। जो जंगली पक्षियों और पोल्ट्री को समान रूप से संक्रमित करते हैं। डब्बलिंग डक वायरस फैलाने और जंगली पक्षी जलाशय में वायरस को आगे बढ़ाने के लिए शक्तिशाली वाहन के रूप में काम करते हैं।

वे अत्यधिक रोग फैलाने वाले वेरिएंट को ले जा सकते हैं और पूरी तरह से लक्षण विहीन दिख सकते हैं। साथ ही वे तैरते और उड़ते हैं ताकि वे स्थानीय जल निकायों सहित विभिन्न तरीकों से वायरस को स्थानांतरित कर सकें।

शोधकर्ता हिल बताते हैं कि 2021 में पहली बार वायरस जंगली पक्षी ब्लैक-बैक गुल में पाया गया था। गुल पक्षी मजबूत, लंबी दूरी तय कर सकता हैं जो समुद्र के ऊपर यात्रा करने के लिए अनुकूल हवा का लाभ उठता है और वायरस को बहुत तेजी से फैलता है।

वर्तमान में उत्तरी अमेरिकी प्रकोप में पक्षियों की लगभग 40 प्रजातियां संक्रमित हो गई हैं, जिनमें कौवे और गौरैया जैसे घरेलू पक्षी, साथ ही उल्लू और बाज जैसे शिकारी पक्षी शामिल हैं। इस प्रकोप की एक बड़ी भौगोलिक सीमा है और यह उत्तरी अमेरिका में 2014 के प्रकोप की तुलना में प्रजातियों की व्यापक विविधता को प्रभावित कर रहा है।

सबसे पहले कहां सामने आया एच5एन1 वेरिएंट

रनस्टैडलर ने बताया कि वे 2005 से एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू पर शोध कर रहे हैं। जब यह वायरस एच5एन1 वेरिएंट पूर्वी एशिया में उभर रहा था। उनकी प्रयोगशाला में वैज्ञानिक पक्षियों सहित जंगली जानवरों में इन्फ्लूएंजा वायरस की पारिस्थितिकी का अध्ययन कर रहे थे, जो इन्फ्लूएंजा फैलाने के लिए जाने जाते हैं। रनस्टैडलर का कहना है कि अधिकांश फ्लू वायरस पक्षियों में उत्पन्न हुए हैं और अन्य में फैल गए।

एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू से इंसानों को कितना खतरा है?

हालांकि एवियन इन्फ्लूएंजा जूनोटिक है, लेकिन लोगों के लिए इसके खतरे बहुत कम है। रनस्टैडलर का कहना है कि औसत व्यक्ति के लिए व्यावहारिक रूप से न के बराबर खतरा है। यह उन लोगों के लिए थोड़ा अधिक खतरनाक है जो नियमित रूप से पक्षियों को संभालते हैं, जैसे कि वन्यजीव पेशेवर, या मुर्गी फार्म में काम करने वाले लोग।

हाल ही में अमेरिका के कोलोराडो में एक व्यक्ति में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का पता चला था, जो इस प्रकोप के दौरान उत्तरी अमेरिका में पहला इंसानी मामला था। वह मुर्गी पालन का काम करता था और एक बीमार पक्षी के चलते संक्रमित हो गया था। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के मुताबिक उस व्यक्ति को हल्के लक्षण थे, उन्हें अलग कर दिया गया था और वह ठीक हो गया था। 

भारत में बर्ड फ्लू की दस्तक

भारत में 2006 और 2015 के बीच 15 राज्यों में पक्षियों में फ्लू का प्रकोप देखा गया था। देश में अब तक कोई भी इंसान इससे संक्रमित नहीं हुआ है। भारत ने सितंबर 2019 में खुद को वायरस मुक्त घोषित कर दिया था। हालांकि कुछ समय पहले भारत के कुछ राज्यों में बर्ड फ्लू के नए वेरिएंट के मामले सामने आए थे।

वहीं कुछ दिन पहले चीन के मध्य हेनान प्रांत में एक चार वर्षीय बच्चा बर्ड फ्लू के एच3एन8 वायरस से संक्रमित पाया गया।

कैसे बचे बर्ड फ्लू से?

इसको फैलने से रोकने के लिए एंटीवायरल उपचार के अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन में व्यक्तिगत सुरक्षा उपाय शामिल हैं जैसे नियमित रूप से हाथ धोने के साथ हाथों को सुखाने आदि का पालन किया जाना चाहिए।

खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना, टिश्यू का उपयोग करना और उनका सही तरीके से निपटान करना।

जब कोई व्यक्ति अस्वस्थ, बुखार और इन्फ्लूएंजा के अन्य लक्षणों से संक्रमित होता है, तो सबसे पहले अपने आपको उससे अलग करना चाहिए।

बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचें। इसके अलावा, किसी की आंख, नाक या मुंह को छूने से बचें।

क्या एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू का प्रकोप खत्म होगा?

रनस्टैडलर कहते हैं कि इसका उत्तर कोई नहीं जानता है, क्योंकि हमारे पास अभी भी इसको लेकर पर्याप्त समझ नहीं है, हालांकि हमें उम्मीद है कि किसी दिन होगी। यह एक बहुत ही जटिल प्रणाली है।

उन्होंने कहा 2014 में बर्ड फ्लू की घुसपैठ धीरे-धीरे खत्म हो गई थी, लेकिन इस बार ऐसा होने के आसार नहीं हैं। क्योंकि 2022 की घुसपैठ पिछले प्रकोप से काफी अलग होगी।

2014 में उत्तरी अमेरिका में पहचाने गए वायरस में अत्यधिक रोगजनक एच5 वायरस के हिस्से शामिल थे, लेकिन इस प्रकोप की तरह पूरा वायरस नहीं। साथ ही यह घुसपैठ पिछली बार की तुलना में तेजी से फैलती दिख रही है। इसके अलावा, हिल का कहना है कि उनके शोध ने समय के साथ बढ़ते हुए बर्ड फ्लू के प्रकोप के पैमाने और परिमाण का एक पैटर्न भी दिखाया है।

रनस्टैडलर कहते हैं कि इस वायरस के यहां रहने की आशंका है और यह गायब होने वाला नहीं है। यह अध्ययन पीएलओएस पैथोजन्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।