स्वास्थ्य

एशियन टाइगर मच्छर से कम है जीका वायरस के प्रकोप का खतरा

एक नए अध्ययन के अनुसार एशियन टाइगर मच्छर, जीका वायरस की महामारी के लिए एक बड़ा खतरा नहीं है।

Dayanidhi

एक अध्ययन में पाया गया है कि एशियन टाइगर मच्छर जीका वायरस महामारी के लिए बड़ा खतरा पैदा नहीं करता है। यह अध्ययन फ्रांस के अल्बिन फॉन्टेन ऑफ द इंस्टीट्यूट डे रेकर्चे बायोमेडिकल के सहयोगियों ने मिलकर किया है।

जीका वायरस एक मच्छर से फैलने वाला रोग है जिसे पहली बार युगांडा में सन 1947 में बंदरों में पहचाना गया था। इसे बाद में 1952 में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया में मनुष्यों में पहचाना गया। जीका वायरस की बीमारी का प्रकोप अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में दर्ज की गई है।

जीका वायरस ने मानव आबादी में बड़े प्रकोपों को जन्म दिया है, कुछ मामलों में देखा गया है कि इसने वयस्कों में जन्मजात विकृति, भ्रूण की हानि, या तंत्रिका संबंधी समस्याएं पैदा की हैं। जबकि पीले (येलो) बुखार के मच्छर एडीज एजिप्टी को जीका वायरस फैलाने के लिए जाना जाता है।

एशियाई टाइगर मच्छर एडीज एल्बोपिक्टस को प्रयोगात्मक रूप से वायरस को फैलाने के रूप में दर्शाया गया है और यह 2019 में फ्रांस में हुए वायरस के कई संक्रमणों में इसे शामिल बताया गया था। दक्षिण पूर्व एशिया से उत्पन्न, एई. एजिप्टी एक आक्रामक काटने वाला मच्छर है जिसने दुनिया भर रोग फैलाया और अब तो यह ठंडे यूरोप सहित सभी महाद्वीपों पर मौजूद है, जो कठोर सर्दियों की परिस्थितियों को सहने की क्षमता रखता है। एई. एल्बोपिक्टस लोगों में वायरस फैलाने वाला दूसरा सबसे बड़ा मच्छर है। एई. एल्बोपिक्टस अब दूसरे स्थानों तक पहुंच रहा है। लेकिन इस बारे में जानकारी नहीं है कि एई. एल्बोपिक्टस बड़े पैमाने में जीका वायरस महामारी को फैला सकता है या नहीं।

इस सवाल का समाधान करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एई. एल्बोपिक्टस पर प्रकाश डाला। जिसमें अध्ययनकर्ताओं द्वारा जिका वायरस के लिए प्रयोगों में संक्रमण की दर का आकलन करना शामिल था, हर मनुष्य में जीका वायरस के संक्रमण की गतिशीलता का मॉडल तैयार किया गया और महामारी विज्ञान सिमुलेशन का उपयोग किया गया। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि रोग के पूर्व-लक्षण के चरण के दौरान इसके फैलने का सबसे अधिक खतरा होता है। यह अध्ययन प्लोस पैथोजन्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इस मच्छर के संक्रमण की आशंका 20 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया था और संक्रमण के औसत दर्जे की दर तक पहुंचने के लिए 21 दिन लगते हैं। रोग फैलने के लिए इन प्रतिकूल लक्षणों के बावजूद, एई. एल्बोपिक्टस अभी भी यह एक प्रयोगात्मक वातावरण में काटने की दर और प्रकोप को बढ़ाने में सक्षम था। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, जिन क्षेत्रों में एई. एल्बोपिक्टस की उपस्थिति है वहां सक्रिय निगरानी और उन्मूलन कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए। ताकि वहां जिका वायरस के प्रकोप के खतरों को कम किया जा सके।