स्वास्थ्य

आंत की प्रतिरक्षा प्रणाली में गड़बड़ी के कारण एंटीबायोटिक से हो सकता है फंगल संक्रमण

एंटीबायोटिक आंतों में प्रतिरक्षा प्रणाली को रोक देते हैं, जिसका अर्थ है कि उस जगह पर फंगल संक्रमण होने के पूरे-पूरे आसार होते हैं।

Dayanidhi

एक नए अध्ययन के मुताबिक अस्पताल में एंटीबायोटिक से उपचार किए जाने वाले कुछ मरीजों को आंत के प्रतिरक्षा प्रणाली में व्यवधान के कारण फंगल संक्रमण होने के अधिक आसार होते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं के साथ-साथ प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग इन जटिल संक्रमणों से स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को कम कर सकता है। यह अध्ययन बर्मिंघम विश्वविद्यालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है।

जानलेवा फंगल संक्रमण 'इनवेसिव कैंडिडिआसिस' अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए एक बड़ी समस्या है, खासकर उन्हें जिन्हें सेप्सिस और अन्य जीवाणु संक्रमणों को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दिए जाते हैं। जो अस्पतालों के आसपास तेजी से फैलते हैं। जीवाणु संक्रमण की तुलना में फंगल संक्रमण का इलाज करना अधिक कठिन हो सकता है, लेकिन ये संक्रमण क्यों हो रहे हैं इस बारे में ये सही से समझ में नहीं आते हैं।

यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी एंड इम्यूनोथेरेपी में एक टीम ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पता लगाया कि एंटीबायोटिक आंतों में प्रतिरक्षा प्रणाली को रोक देते हैं। जिसका अर्थ है कि उस जगह पर फंगल संक्रमण होने के पूरे-पूरे आसार होते हैं। टीम ने यह भी पाया कि जहां फंगल संक्रमण हुआ, वहां आंत के बैक्टीरिया भी बचने में सक्षम थे, जिससे जीवाणु संक्रमण का अतिरिक्त खतरा बढ़ गया था।

यह अध्ययन प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाली दवाओं की क्षमता की जांच-पड़ताल करता है, लेकिन शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि एंटीबायोटिक्स हमारे शरीर पर अतिरिक्त प्रभाव कैसे डाल सकते हैं। जो इस चीज को प्रभावित करते हैं कि हम संक्रमण और बीमारी से कैसे लड़ते हैं। यह बदले में उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाओं के सावधानीपूर्वक प्रबंधन के महत्व को उजागर करता है।

मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ रेबेका ड्रमंड ने कहा हम जानते थे कि एंटीबायोटिक फंगल संक्रमण को और भी बुरे दौर में पहुंचा देते हैं। लेकिन यह खोज आश्चर्यजनक थी कि आंत में इन आपसी प्रभावों के माध्यम से जीवाणु संक्रमण भी विकसित हो सकते हैं। ये कारक जटिल नैदानिक ​​स्थिति में जुड़ सकते हैं और इन आंतरिक कारणों को समझकर, डॉक्टर इन रोगियों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में सफल हो सकते हैं।

अध्ययन में टीम ने एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक कॉकटेल के साथ इलाज किए जा रहे चूहों का इस्तेमाल किया। फिर इन जानवरों को ‘कैंडिडा अल्बिकन्स’ से संक्रमित किया, जो सबसे आम कवक है जिससे  मनुष्यों में आक्रामक कैंडिडिआसिस की बीमारी होती है। उन्होंने पाया संक्रमित चूहों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई, यह गुर्दे या अन्य अंगों के बजाय आंत में संक्रमण के कारण होता है।

एक और कदम आगे बढ़कर टीम ने पता लगाया कि एंटीबायोटिक उपचार के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली के कौन से हिस्से आंत से गायब थे और फिर इन्हें मनुष्यों में उपयोग की जाने वाली प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग करके चूहों में देखा गया। उन्होंने पाया कि इस दृष्टिकोण ने फंगल संक्रमण की गंभीरता को कम करने में मदद की।

शोधकर्ताओं ने अस्पताल के रिकॉर्ड का अध्ययन में उपयोग  किया, जहां वे यह दिखाने में सफल रहे कि मनुष्यों में एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज के बाद इसी तरह संक्रमण हो सकते हैं।

ड्रमंड ने कहा ये निष्कर्ष उन रोगियों में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के संभावित परिणामों को दिखाते हैं जिन्हें फंगल संक्रमण होने का खतरा होता है। अगर हम एंटीबायोटिक दवाओं को सीमित करते हैं या बदलते हैं तो हम इन अतिरिक्त संक्रमण से बहुत बीमार होने वाले लोगों की संख्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही एंटीबायोटिक प्रतिरोध की विशाल और बढ़ती समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं। यह अध्ययन सेल होस्ट और माइक्रोब नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।