क्या आप जानते हैं कि शराब का सेवन हर साल 26 लाख से ज्यादा लोगों की मौत का कारण बन रहा है। यह दुनिया भर में हो रही कुल मौतों का 4.7 फीसदी है। मतलब कि हर 20 में से एक मौत के लिए शराब जिम्मेवार है।
वहीं नशीली दवाओं और ड्रग्स से होने वाली मौतों को भी इसमें जोड़ दें तो यह आंकड़ा बढ़कर 30 लाख से ज्यादा है। मरने वालों में पुरुषों का आंकड़ा कहीं ज्यादा रहा। आंकड़ों के मुताबिक जहां 20 लाख पुरुषों की मौत के लिए शराब जिम्मेवार रही, वहीं नशीली दवाएं सालाना चार लाख पुरुषों को जिंदगियां लील रही हैं।
देखा जाए तो दुनिया भर में ऐल्कॉहॉल की कुल खपत के तीन-चौथाई हिस्से के लिए पुरुष जिम्मेवार हैं। वहीं दूसरी ओर महिलाओं में शराब को बढ़ावा देने के लिए इसे सशक्तिकरण व समानता के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट “ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन ऐल्कॉहॉल एंड हेल्थ एंड ट्रीटमेंट ऑफ सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर” में सामने आई है।
शराब के सेवन से कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिनमें लीवर से जुडी बीमारियों से लेकर कैंसर तक शामिल हैं। रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि 2019 में शराब की वजह से होने वाली 26 लाख मौतों में से 16 लाख गैर-संचारी रोगों जैसे कैंसर (401,000) और दिल की बीमारियों (474,000) की वजह से हुई। वहीं 724,000 मौतों के लिए दुर्घटनाएं, जबकि तीन लाख मौतों की वजह संक्रामक बीमारियां रही।
रिपोर्ट के मुताबिक शराब और नशीली दवाओं का सबसे ज्यादा शिकार 20 से 39 साल के युवा बन रहे हैं। शराब के 13 फीसदी शिकार इसी आयु वर्ग के लोग थे। इनमें से अधिकांश मौतें पुरुषों में दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि यूरोप और अफ्रीकी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं।
शराब और नशीली दवाओं से होने वाले विकारों से पीड़ित हैं 40 करोड़ लोग
गौरतलब है कि जहां यूरोप में प्रति लाख लोगों पर शराब की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा 52.9 दर्ज किया गया। वहीं अफ्रीका में भी प्रति लाख में से 52.2 लोगों की मौत की वजह शराब रही। स्वास्थ्य संगठन ने इस बात की भी पुष्टि की है कि कमजोर देशों में इससे जुड़ी मृत्यु दर सबसे अधिक है, वहीं उच्च आय वाले देशों में यह दर सबसे कम रही।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि दुनिया में करीब 40 करोड़ लोग यानी सात फीसदी आबादी शराब और नशीली दवाओं के सेवन से होने वाले विकारों से पीड़ित हैं।
हालांकि इनमें से आधे से ज्यादा (20.9 करोड़) लोग शराब के कारण इन विकारों से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि शराब का सेवन करने से लोग टीबी, एचआईवी और निमोनिया जैसी संक्रामक बीमारियों के प्रति कहीं ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने इस बात की भी पुष्टि की है कि हाल के वर्षों में मृत्यु दर में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन यह अभी भी 'अस्वीकार्य रूप से उच्च' बनी हुई है। यदि 2010 से 2019 के आंकड़ों पर गौर करें तो इस दौरान दुनिया भर में प्रति लाख लोगों पर शराब से होने वाली मौतों में 20.2 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि प्रति व्यक्ति शराब की खपत को देखें तो यह यूरोप और अमेरिकी देशों में सबसे ज्यादा है।
वैश्विक स्तर पर देखें तो शराब का सेवन करने वाले औसतन दिन में दो बार शराब पीते हैं। यह मात्रा कई बीमारियों और मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकती है। वहीं, 38 फीसदी शराब पीने वालों ने एक महीने में एक या अधिक मौकों पर चार से पांच बार शराब का सेवन किया।
वैश्विक आबादी के लिहाज से देखें तो प्रति व्यक्ति शराब की कुल खपत 2010 में 5.7 लीटर थी जो 2019 में मामूली गिरावट के साथ घटकर 5.5 लीटर रह गई। यदि 2019 में प्रति व्यक्ति खपत के लिहाज से देखें तो यूरोप में इसकी प्रति व्यक्ति खपत 9.2 लीटर रही वहीं अमेरिकी देशों में यह आंकड़ा 7.5 लीटर दर्ज किया गया।
वहीं इसका सेवन करने वाले के बीच प्रति व्यक्ति शराब की खपत देखें तो वो औसतन प्रति दिन 27 ग्राम रिकॉर्ड की गई, जो करीब दो गिलास वाइन, दो बोतल बीयर या दो सर्विंग स्पिरिट के बराबर है। देखा जाए तो पीने का यह स्तर स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं को जन्म दे सकता है, साथ ही मृत्यु और विकलांगता के जोखिम को बढ़ा सकता है।
भारत में भी कम नहीं पीने वालों का आंकड़ा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में भारत से जुड़े आंकड़ों को भी साझा किया है। इन आंकड़ों के मुताबिक 15 वर्ष या उससे अधिक आयु का एक औसत भारतीय साल में 4.9 लीटर शराब (ऐल्कॉहॉल) पी जाता है। आशंका है कि 2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 6.7 लीटर पर पहुंच सकता है। देखा जाए तो भारतीय महिलाओं के मुकाबले पुरुष कहीं ज्यादा शराब पीते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक 15 वर्ष या उससे अधिक आयु का एक औसत भारतीय पुरुष हर साल 8.1 लीटर शराब का सेवन कर रहा है। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 1.6 लीटर दर्ज किया गया। मतलब की एक औसत भारतीय हर दिन 10.7 ग्राम शराब का सेवन कर रहा है।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के 31.2 फीसदी लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें से 3.8 फीसदी वो लोग भी हैं जो इसकी लत का बुरी तरह शिकार हैं और आए दिन बड़ी मात्रा में शराब पीते हैं, जबकि 12.3 फीसदी वो हैं जो कभी-कभार काफी ज्यादा शराब पीते हैं।
गौरतलब है कि भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के जहां करीब 41 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 20.8 फीसदी दर्ज किया गया। इनमें से हर व्यक्ति साल में करीब 15.9 लीटर शराब पी जाता है। इन लोगों में भी पुरुषों द्वारा जहां सालाना 19.9 लीटर शराब का सेवन किया जाता है, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 7.6 लीटर दर्ज किया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य को भी उजागर किया है कि शराब का सेवन, चाहे कम मात्रा में ही क्यों न हो, स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। लेकिन शराब से संबंधित अधिकांश नुकसान, अत्यधिक मात्रा में या लगातार शराब पीने की वजह से होता है।
इस बारे में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि शराब, तम्बाकू सहित अन्य नशीले पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इनकी वजह से लम्बे समय तक प्रभावित करने वाली बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।
उनका कहना है कि इससे परिवारों और समुदायों पर भारी बोझ पड़ता है। साथ ही इनके सेवन से दुर्घटनाओं, चोटों और हिंसा का जोखिम बढ़ जाता है। उनके अनुसार इससे होने वाली मौतें किसी त्रासदी से कम नहीं, जिन्हें टाला जा सकता है।
स्वास्थ्य सम्बन्धी इन चिन्ताओं के मद्देनजर, विश्व स्वास्थ्य ने अपनी नई रिपोर्ट में शराब और नशीली दवाओं की खपत को कम करने और इन मादक पदार्थों के सेवन से उपजे विकारों के लिए उपचार मुहैया कराने पर बल दिया है। साथ ही रिपोर्ट में मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मदद से सतत विकास का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में वैश्विक कार्रवाई में तेजी लाने का भी आग्रह किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कई देशों ने शराब की मार्केटिंग पर कुछ हद तक पाबंदियां लागू की हैं मगर वे अपेक्षाकृत रूप से कमजोर हैं। 2018 में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के एक अध्ययन के मुताबिक, अधिकांश देशों के परम्परागत मीडिया में शराब के प्रचार-प्रसार पर किसी ना किसी रूप में नियामन है। हालांकि दूसरी तरफ करीब पचास फीसदी देशों में इंटरनेट या सोशल मीडिया के लिए कोई नियम नहीं है।