कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में इन दिनों बच्चे और व्यस्क बुखार का शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर जगहों पर डेंगू - चिकनगुनिया की पहचान हो रही है लेकिन कई जगहों पर बुखार को एक मिस्ट्री ही बताया जा रहा। डेंगू से बचाव के लिए स्थानीय स्तर पर जो कवायद की जानी थी वह कमी कई जगह सामने आ रही है। गुजरात के अहमदाबाद में भी कुछ यही हाल है।
अहमदाबाद नगर निगम ने 9 सितंबर को पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मच्छरों से होने वाली बीमारियों के आंकड़े जारी किए, जिसके मुताबिक 2020 की तुलना में इस वर्ष डेंगू के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं। जनवरी - सितंबर, 2020 में नगर निगम ने डेंगू के 255 मामले दर्ज किए थे जबकि इस वर्ष 684 डेंगू के मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, बीते वर्ष कालरा का कोई केस नहीं था जबकि इस वर्ष अब तक 64 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, 2020 में जनवरी - सितंबर के दरमियान चिकनगुनिया के 196 केस निगम ने रजिस्टर किए थे। इस वर्ष यह दोगुनी होकर 412 हो गई है। इसी तरह मलेरिया के मामले भी बढ़े हैं।
गौर करने लायक यह है कि यह आंकड़े केवल सरकारी अस्पताल के हैं। यदि इनमें प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती और इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या जोड़ी जाए तो रुग्ण लोगों की संख्या लगभग दस गुना हो जाएगी। हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने यह दावा किया था कि उनका राज्य पूरी तरह से कारोना की तीसरी लहर से निपटने को तैयार है। लेकिन इस बीच डेंगू के कहर ने नगर निगम और सरकार की पोल खोल दी है।
शहर में इन दिनों मच्छरों और गंदगी से फैलने वाली बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। नगर निगम ने पिछले वर्ष सितंबर तक 2156 लोगों के सीरम सैंपल लिए थे जबकि इस वर्ष अब तक मात्र 441 लोगों के ही सीरम सैंपल लिए गए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में ब्लड सैंपल में भी कमी आई है।
प्राइवेट क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर ऊवेश के अनुसार " डेंगू , मलेरिया के अलावा चिकन गुनिया के केसों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इन केसों को सभी प्राइवेट डॉक्टर देख भी नहीं रहे हैं। गरीब मोहल्लों के डॉक्टर चिकनगुनिया और डेंगू के मरीज़ को सरकारी या बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर रहे हैं ताकि वहां बेहतर इलाज हो सके।"
नगर निगम पार्षद इकबाल शेख बताते है " मच्छर और गंदगी से फैलने वाली बीमारी से पूरा अहमदाबाद प्रभावित है। बेहरामपुर , दानी लीमडा और राणीप अधिक प्रभावित वार्ड हैं। अहमदाबाद का कचरा डंप स्टेशन बेहरापुरा में ही है। जिसका एक पहाड़ एक सप्ताह पहले गिर गया था जिस कारण एक आम रास्ता बंद हो गया है। कचरे के पहाड़ ढह जाने से धोराजी सोसायट और सिटिज़न नगर प्रभावित हैं।
कूड़े के पहाड़ के ढह जाने से बारिश का पानी कई जगह एकत्र है जो बीमारी का कारण बन रहा है। पार्षद इकबाल शेख के अनुसार नगर निगम के पास इन बीमारियों से लड़ने को कोई ठोस योजना नहीं है। जब केस बढ़ते है तो नगर निगम फॉगिंग और पानी में दवा डालते हैं। इसके अलावा अधिकारी कुछ और नहीं करते।
ऐसा नहीं है कि जल जनित रोग से केवल अहमदाबाद प्रभावित है राज्य के दूसरे शहर में भी डेंगू , चिकनगुनिया के केसों में उछाल है। बड़ौदा नगर निगम के अनुसार वर्ष 2020 में 224 डेंगू के कैसे सरकारी अस्पतालों में रजिस्टर किए गए थे।
अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. किरीट गढ़वी का कहना है "जुलाई के मध्य तक डेंगू और चिकनगुनिया के मामले कम आ रहे थे, उसके बाद मामले तेजी से बढ़े हैं। कोविड के चलते लोगों में जागरूकता है बुखार आने पर लोग तुरंत कोविड टेस्ट कराते है लेकिन ज्यादातर मामलों में डेंगू और चिकनगुनिया की पहचान हो रही है।
अहमदाबाद फैमिली फीजिशियन एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉक्टर प्रग्नेश वाच्चा रजनी कहते हैं दस पन्द्रह दिन पहले हम लोग 1- 2 डेंगू , चिकनगुनिया के केस देख रहे थे। अब 10 - 12 केस आ रहे हैं। 2020 की तुलना में मच्छर जनित बीमारी में बड़ा उछाल आया है, इसके लिए वर्तमान मौसम परिस्थिति है।
अधिकतर का मानना है कि रुक-रुक कर बरसात होने से तथा पानी एकत्र होने से डेंगू और चिकनगुनिया के मामले अधिक आ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में वेक्टर जन्य बीमारियों में 110 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।