कोरोनावायरस एक ऐसी महामारी के रूप में उभरा है जिसके असर से दुनिया में शायद ही कोई बच पाया होगा। किसी देश में लोग सीधे तौर पर इसका शिकार बन रहें हैं, तो कहीं यह लोगों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में अफ्रीका महाद्वीप भी इसके असर का दंश झेल रहा है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के इकनोमिक कमीशन फॉर अफ्रीका ने कोरोनावायरस के खतरे पर एक रिपोर्ट जारी की है। जिसके अनुसार इस महामारी के चलते अफ्रीका में करीब 300,000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। वहीं दूसरी और यह बीमारी आर्थिक रूप से बड़ी समस्याएं लेकर आएगी। जिसके कारण करीब 2.7 करोड़ अफ्रीकी निवासी अत्यधिक गरीबी का सामना करने को मजबूर हो जायेंगे।
गौरतलब है कि अफ्रीका में कोरोनावायरस के अब तक करीब 18,500 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि 966 लोगों की मौत हो चुकी है। पर सबसे अच्छी बात यह है कि यदि अफ्रीका में अब तक सामने आये कोरोना संक्रमण की वैश्विक मामलों से तुलना करें तो यह उसके 1 फीसदी से भी कम है। लेकिन विश्व स्वस्थ्य संगठन को आशंका है कि अगले 3 से 6 महीनों में यह संख्या बढ़कर 1 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र के इकनोमिक कमीशन फॉर अफ्रीका की कार्यकारी सचिव वीरा सांगवे ने बताया कि "अफ्रीका को इस महामारी से बचने और उसके निर्माण के लिए तत्काल 100 अरब डॉलर की जरुरत है। सभी देशों को अफ्रीकी लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। जिससे उसकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें।"
उन्होंने बताया कि इस महामारी से अफ्रीका को ज्यादा खतरा है। इसकी शहरी आबादी का करीब 56 फीसदी हिस्सा आज भी मलिन बस्तियों में रह रहा है। वहीं केवल 34 फीसदी परिवारों की हाथ धोने जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच है। जबकि अफ्रीका अस्पतालों में प्रति हजार लोगों पर करीब 1.8 बेड की ही सुविधा उपलब्ध है। वहीं अफ्रीका अपनी दवाइयों का 94 फीसदी हिस्सा दूसरे देशों से आयात करता है। रिपोर्ट के अनुसार करीब 71 देशों ने आयात पर पूरी तरह रोक लगा दी है या फिर उसे सीमित कर दिया है।
ऐसे में अफ्रीका की समस्याएं और बढ़ जाएंगी। साथ ही रिपोर्ट ने बताया है कि हालात यदि बदतर ने भी हुए तो भी परिक्षण, सुरक्षा उपकरणों और इलाज के लिए करीब 4,400 करोड़ डॉलर की जरुरत पड़ेगी। ऐसे में पहले से ही आर्थिक संकट झेल रही अफ्रीकी अर्थव्यवस्था 2.6 फीसदी तक घट जाएगी|
रिपोर्ट के अनुसार यदि सही समय पर सही कदम न उठाये गए तो करीब 120 करोड़ अफ्रीकियों के संक्रमित हो जाने का खतरा है। जबकि साल के अंत तक संक्रमण से करीब 33 लाख लोगों की मौत हो जाएगी। गौरतलब है कि अफ्रीका की कुल आबादी करीब 130 करोड़ है। ऐसे में शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जिसका कोई सदस्य संक्रमित न हो।
यदि अफ्रीका इससे निपटने के समुचित उपाय अपनाता है तो अफ्रीका में कुल 12.28 करोड़ मामले सामने आएंगे। वहीं 23 लाख लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा। जबकि 3 लाख लोगों की मौत हो जाएगी। हालांकि अफ्रीका के अधिकांश देशों ने पहले ही इससे निपटने के लिए योजना तैयार कर ली है। जिसके अंतर्गत कुछ देशों ने यात्रा सम्बन्धी दिशा निर्देश जारी किये हैं जबकि कुछ ने आंशिक और कुछ ने पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया है। साथ ही साफ़-सफाई और सोशल डिस्टैन्सिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
आर्थिक क्षेत्र पर भी इस महामारी का असर दिखने लगा है। लॉकडाउन की वजह से काम धंदे और अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार इसका सबसे बुरा असर छोट और मध्यम उद्योगों पर पड़ेगा। जिनको यदि तुरंत राहत न पहुंचाई गई तो इनके पूरी तरह ठप्प हो जाने का खतरा है। रिपोर्ट का मानना है कि इस संक्रमण के चलते करीब 2.7 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जायेंगे। जिनकी दैनिक आय 146 रुपये से भी कम होगी। इसके अलावा तेल जोकि अफ्रीका के कुल निर्यात का 40 फीसदी होता है। वो लगभग आधा हो गया है। जबकि कपडा और फूल जैसे निर्यात पूरी तरह बंद हो गए हैं।
पर्यटन जोकि कई अफ्रीकी देशों की आय का प्रमुख स्रोत है और उनके जीडीपी में करीब 38 फीसदी का योगदान देता है। वो लगभग पूरी तरह रुक गया है। साथ ही एयरलाइन उद्योग भी पूरी तरह थम सा गया है। हाल ही में अफ्रीकन यूनियन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार इस महामारी के चलते अफ्रीका में करीब 2 करोड़ नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। वहीं बढ़ते कर्ज के चलते आर्थिक संकट और गहराता जा रहा है।
इसके कारण सीधे तौर पर हो रहे विदेशी निवेश में 15 फीसदी की कमी आ सकती है। वहीं देशों के वित्तीय राजस्व में 20 से 30 फीसदी की गिरावट आ जाएगी। ऐसे में पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों के पास अंतराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेने के अलावा कोई और चारा नहीं है। गौरतलब है कि पहले से ही अफ्रीका पर करीब 236 बिलियन डॉलर (17,95,193 करोड़ रुपये) का कर्ज है। और ऐसे में नया कर्ज उनकी कमर ही तोड़ देगा।