स्वास्थ्य

बच्चों को अपना निशाना बना रहा है एक नया खतरनाक हेपेटाइटिस वायरस, डब्ल्यूएचओ ने किया आगाह

विश्व स्वास्थ्य संगठन इस संक्रमण के कारण को समझने का प्रयास कर रहा है, जो हेपेटाइटिस के अब तक ज्ञात 5 प्रकार के वायरस से संबंधित नहीं है

Lalit Maurya

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर चेतावनी देते हुए कहा है कि दुनिया इस समय हेपेटाइटिस के एक नए प्रकोप का सामना कर रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हेपेटाइटिस के इस नए संक्रमण के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि यह संक्रमण कहीं ज्यादा तीव्र है और बच्चों को अपना निशाना बना रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रभावित देशों के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर इस संक्रमण के कारण को समझने का प्रयास कर रहा है, जो हेपेटाइटिस के अब तक ज्ञात 5 प्रकार के वायरस: ए, बी, सी, डी, और ई में से किसी से संबंधित नहीं है।

देखा जाए तो यह नया प्रकोप हर साल सामने आने वाले हजारों तीव्र वायरल हेपेटाइटिस संक्रमणों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो बच्चों, किशोरों और वयस्कों को अपना शिकार बना रहे हैं। हालांकि अधिकांश तीव्र संक्रमण गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में वो जटिलताएं पैदा कर सकते हैं और जीवन के लिए घातक हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार अकेले 2019 में तीव्र हेपेटाइटिस ए से ई वायरस संक्रमण की जटिलताओं की वजह से दुनिया भर में 78 हजार के करीब मौतें हुई थी। 

वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस बी, सी और डी के उन्मूलन को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस के विपरीत वायरस बी, सी और डी लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी का कारण बनते हैं, जिनका प्रभाव कई दशकों तक रहता है। इन वायरसों की वजह से सिरोसिस और लिवर कैंसर की वजह से हर साल 10 लाख लोगों की जान जा रही है। इसके साथ-साथ इन वायरस से होने वाला संक्रमण हेपेटाइटिस से होने वाली 95 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेवार है।

हेपेटाइटिस से पीड़ित 80 फीसदी मरीजों को नहीं मिल रही पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल

इस बीमारी के बारे में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का कहना है कि हर 30 सेकंड में किसी ना किसी की मौत, हेपेटाइटिस सम्बन्धित बीमारियों से हो रही है, जिसमें लिवर फेलियर सिरोसिस और कैंसर शामिल हैं। इतना ही नहीं इस बीमारी से पीड़ित 80 फीसदी लोग स्वास्थ्य देखभाल पाने में असमर्थ हैं।

देखा जाए तो दुनिया में क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस की पहचान, उपचार और रोकथाम के लिए पर्याप्त जानकारी और उपकरण मौजूद हैं, लेकिन अक्सर ये सेवाएं लोगों की पहुंच से बाहर हैं और कभी-कभी केवल कुछ गिने चुने विशेष अस्पतालों में ही उपलब्ध होती हैं। 

ऐसे में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने 2030 तक हेपेटाइटिस को जड़ से मुक्त करने के साथ, देशों से चार खास लक्ष्यों की हासिल करने का आहवान किया है। इसमें हेपेटाइटिस बी और सी के नए संक्रमण मामलों को 90 फीसदी तक कम करना, हेपेटाइटिस सम्बन्धित सिरोसिस और लिवर कैंसर से होने वाली मौतों में 65 फीसदी की कटौती करना शामिल है।

साथ ही हेपेटाइटिस बी और सी वायरस से ग्रस्त कम से कम 90 फीसदी लोगों का उपचार करने के साथ यह सुनिश्चित करना है कि इस बीमारी से ग्रस्त 80 फीसदी मरीजों के लिए उचित उपचार मुहैया हो सके। डब्ल्यूएचओ ने सभी सरकारों और भागीदारों से इस सम्भावित घातक बीमारी के खिलाफ प्रभावशाली उपकरणों के उपयोग में बढ़ोतरी का आहवान किया है, जिससे इस बीमारी को जड़ से मुक्त किया जा सके।