यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) ने इस बात की पुष्टि की है कि ईस्ट ससेक्स में खतरनाक क्लेड इब एमपॉक्स का एक नया मामला सामने आया है। फोटो साभार : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)
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इंग्लैंड में एमपॉक्स के खतरनाक वेरिएंट का नया मामला आया सामने, जानें क्या हैं इसके लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी अगस्त 2024 में एमपॉक्स को 'अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी)' घोषित किया।

Dayanidhi

यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) ने इस बात की पुष्टि की है कि ईस्ट ससेक्स में खतरनाक क्लेड इब एमपॉक्स का एक नया मामला सामने आया है।

यह ईस्ट ससेक्स के एक व्यक्ति में पाया गया, जो हाल ही में युगांडा से लौटा बताया जा रहा है, जहां वर्तमान में क्लेड इब एमपॉक्स फैला हुआ है

यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) के मुताबिक, ब्रिटेन की आबादी में संक्रमण का खतरा कम है। अक्टूबर 2024 के बाद से इंग्लैंड में यह छठा मामला दर्ज किया गया है, हालांकि नए मामले का पिछले मामलों से कोई लेना-देना नहीं है। यूकेएचएसए ने कहा कि नए मामले के निकट संपर्क में आए लोगों की निगरानी की जा रही है और उन्हें आगे के फैलने से रोकने के लिए परीक्षण और टीकाकरण किया जाएगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एमपॉक्स के भारी खतरे वाले लोगों में स्वास्थ्य और देखभाल कर्मी, संक्रमित व्यक्ति के घर या निकट में रहने वाले लोग, एक से अधिक यौन साथी वाले लोग और यौन कर्मी शामिल हैं।

यूकेएचएसए के अनुसार, लक्षणों को तेजी से पहचानने वाले चिकित्सकों और विशेषज्ञ प्रयोगशाला के काम की बदौलत इस नए मामले का पता लगाया गया है। छठे मामले के बाद ब्रिटेन की आबादी के लिए खतरा कम है और निकट संपर्कों का पता लगाने और किसी भी संभावित प्रसार के खतरे को कम करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है।

हाल के महीनों में, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन और अमेरिका सहित कई देशों में क्लेड आईबी एमपॉक्स का पता चला है। इस संक्रामक बीमारी के बारे में जागरूक होना इसके फैलने को रोकने के लिए जरूरी है।

भारत के कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु शहर में कल, यानी 22 जनवरी की देर रात एमपॉक्स का संदिग्ध मामला सामने आया। यह इस साल राज्य में पहला मामला है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुबई की यात्रा करने वाले 40 वर्षीय व्यक्ति को विक्टोरिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसका इलाज चल रहा है। आगे बताया गया है कि संदिग्ध मामले के अन्य विवरणों की पुष्टि के लिए आगे की जांच चल रही है।

पिछले साल एमपॉक्स ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी थी, जब कुछ अफ्रीकी देशों में मामले बढ़े तथा पाकिस्तान और थाईलैंड सहित अन्य देशों में भी मामले सामने आने लगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी अगस्त 2024 में इसे 'अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी)' घोषित किया

भारत में एमपॉक्स का पहला मामला सितंबर 2024 में सामने आया था। पिछले महीने केरल में एमपॉक्स के दो मामले सामने आए थे।

एमपॉक्स एक संक्रामक रोग है जो मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) के कारण होता है। इस वायरस के दो अलग-अलग क्लेड हैं, पहले क्लेड-वन (उपक्लेड एलए और एलबी के साथ) और क्लेड टू (उपक्लेड एलएलए और एलएलबी के साथ)।

एमपॉक्स से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। संपर्क में त्वचा से त्वचा का संपर्क जैसे स्पर्श या सेक्स, मुंह से मुंह का संपर्क जैसे चुंबन या आमने-सामने का संपर्क जैसे बात करना, बगल में बैठना और पास में सांस लेना शामिल है।

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, किसी व्यक्ति के एमपॉक्स दाने या पपड़ी, लार, ऊपरी श्वसन स्राव और गुदा, मलाशय या योनि के आसपास शारीरिक तरल पदार्थ या घावों के संपर्क में आने से यह फैल सकता है।

गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को या जन्म के दौरान या बाद में नवजात शिशु में भी वायरस जा सकता है। पशु से मनुष्य में भी संक्रमण के आसार होते हैं।

एमपॉक्स के लक्षण आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं, लेकिन संपर्क के एक से 21 दिन बाद शुरू हो सकते हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में लक्षण दो से चार सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं।

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की मानें तो मंकीपॉक्स वायरस के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। उपचार में चकत्ते की देखभाल, दर्द को नियंत्रित करने और आगे की जटिलताओं को रोकने पर गौर किया जाता है।