स्वास्थ्य

एक अनोखी मैरिज किट से थमा बाल विवाह का चलन

DTE Staff

एक “मैरिज किट” ओडिशा के आदिवासी इलाके में बाल विवाह रोकने में कामयाब रही है। यह किट गूंज संस्था द्वारा आदिवासियों को दी जा रही है। इसका प्रयोग ऐसे इलाके में किया गया है, जहां यह माना जाता है कि लड़कियों की महावारी शुरू होते ही उनकी शादी कर देनी  चाहिए।

इस गांव का नाम गुडगुडी है। यहां कुई जनजाति के लोग रहते हैं, जिनकी जीविका का बड़ा साधन खेती और मजदूरी है। इस समुदाय के अपने रीति-रिवाज हैं। यहां के लोग अपने बच्चों की शादी छोटी उम्र में ही कर देते हैं। जब गूंज टीम ने इस क्षेत्र का दौरा किया तो पता चला कि यह प्रथा इसी तरह से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। गांव वालों के अनुसार, लड़कियों की माहवारी शुरू होते ही उन्हें लगता है कि अब वे शादी के लिए तैयार हैं। गूंज ने लोगों के इस मिथक को तोड़ने का फैसला किया और उन्हें इसके लिए जागरूक करने की ठानी। अब सवाल यह था कि आखिर कैसे उनकी इस मानसिकता को बदला जाए। 

इसके लिए गूंज ने  “मैरिज किट” को एक बेहतर टूल के रुप में इस्तेमाल किया। टीम ने गांव वालों से चर्चा की और उन्हें बताया कि हम उन्हें शादी के कपड़े और जरूरी सामान मुहैया कराएंगे, लेकिन उन्हें एक शर्त माननी होगी। शर्त ये है कि लड़के और लड़की विवाह के दौरान बालिग हों और उनके बालिग होने की पुष्टि कोई और नहीं, बल्कि ग्राम प्रधान करेंगे। गांव वालों ने इस शर्त को सुनने के बाद मुस्कुराते हुए हामी भर दी ।

उसके कुछ दिन बाद एक बालिग जोड़े के परिवार को मैरिज किट दी गई। किट मिलने के बाद उन्होंने कहा- “हम गरीबी के चलते शादी का सामान नहीं खरीद पाते थे , लेकिन “मैरिज किट” मिलने के बाद अब हम अपने बच्चों की शादी धूमधाम से कर सकते हैं। क्योंकि,  मैरिज किट में शादी से जुड़ा हर एक सामान होता है, जैसे - दूल्हा-दुल्हन के कपड़े, लड़की के लिए गहने (आर्टिफिशियल), जूते व सैंडिल, बर्तन, गद्दे, कंबल और बाकी श्रृंगार की दूसरी चीजें, और हाँ ये मैरिज किट हमें तभी मिली है जब, हम अपने बच्चों की शादी बालिग होने पर कर रहे हैं”।

इस किट को बनाने का तरीका भी बड़ा अनोखा है । नवरात्र के दौरान गूंज शहरों से  “माता की चुनरी“ प्राप्त कर इनसे शादी के लहंगे व चुनरी बनाता है । इसके साथ ही लोग भी अपनी शादियों के परिधान गूंज को देते हैं, जिन्हें हुनरमंद महिलाओं की टीम के द्वारा “मैरिज किट” का रूप दिया जाता है। इस किट में दूल्हा दुल्हन के लिए कपड़े से लेकर गहने (आर्टिफिशियल) बर्तन (नये) कम्बल चादर के अलावा कई जरूरी सामान होते हैं, जिसे एक किट में रखा जाता है। “मैरिज किट” भारत के अति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में, जरूरतमंद लोगों को दी जाती है। इस तरह एक माता की चुनरी से समाज में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है। इनपुट : अर्चना शर्मा