नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, मेटल स्टेंट के दाम 7,260 रुपये और ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट तथा बायोरिजॉर्बेबल वस्क्युलर स्काफोल्ड (BVS) या बायोडिग्रेडेबल स्टेंट के दाम 29,600 रुपये से अधिक नहीं वसूले जा सकेंगे।
स्टेंट जालीदार छल्ले के आकार का होता है, जिसका इस्तेमाल बंद या तंग धमनी को खोलकर ह्रदय में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में किया जाता है। स्टेंट की ऊंची कीमतों को लेकर काफी समय से चिंंताएं जताई जा रही थीं। इस फैसले से कोरोनरी एंजियोप्लास्टी के खर्च में कमी आने की उम्मीद है।
19 जुलाई, 2016 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्टेंट को आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया था। इससे पहले स्टेंट के महंगी कीमत को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से जरूरी कदम उठाने को कहा था। अधिवक्ता बीरेंद्र सांगवान की ओर से दायर इस जनहित याचिका में स्टेंट की कीमतों पर अंकुश लगाने की मांग की गई थी।
दवा कंपनियों की ओर से एनपीपीए को दिए गए आंकड़ों के अनुसार, घरेलू कंपनियों के लिए ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट की औसत कीमत 8 हजार रुपये के आसपास है, लेकिन मरीजों को यह 24 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये में बेचा जाता है। इस प्रकार स्टेंट के लिए मरीजों से 10-15 गुना अधिक दाम वसूला जा रहा है जिसमें अस्पताल 654 प्रतिशत तक मुनाफा कमाते हैं।
गौरतलब है कि राज्य सभा की एक समिति ने एनपीपीए को कार्डिएक स्टेंट की ऊंची कीमतों का अध्ययन करने के लिए अधिकृत किया था। अपनी रिपोर्ट में एनपीपीए ने माना है कि देश में अधिकांश स्टेंट इंपोर्ट किये जाते हैं। दाम पर कोई अंकुश न होने की वजह से इसकी कई गुना अधिक कीमत वसूली जा रही है।