स्वास्थ्य

कोरोना ने बढ़ाई एड्स पीड़ितों की मुश्किलें, नहीं हो सकेगा हासिल 2020 का लक्ष्य

Lalit Maurya

पिछले दिन एड्स पर जारी यूनाइटेड नेशंस रिपोर्ट से पता चला है कि 2020 के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था उसे हासिल नहीं किया जा सकेगा| रिपोर्ट ने इसके लिए कोविड -19 को जिम्मेवार माना है| जिसकी वजह से एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी, दवाओं और सेवाओं के वितरण और पहुंच में दिक्कतें आ रही है| ‘सैजिंग द मूमेंट’ नामक यह रिपोर्ट यूएनएड्स द्वारा प्रकाशित की गई है|

हालांकि यूएनएड्स और डब्लूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2000 से 2019 के बीच नए एचआईवी संक्रमणों में करीब 39 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि इसी अवधि में एचआईवी संबंधित मौतों में भी 51 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है| जिसमें एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी, दवाओं का बहुत बड़ा योगदान है।

रिपोर्ट के अनुसार एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी के उपयोग से लगभग 1.5 करोड़ लोगों की जान बचाई जा सकी है। पर जिस तरह से कोरोनावायरस और उसके कारण हुए लॉकडाउन ने सब कुछ रोक दिया है, उससे जरूरतमंदों तक यह दवाएं और सेवाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष करीब 3.8 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त थे, जबकि उनमें से करीब 1.26 करोड़ लोगों तक जरुरी दवा नहीं पहुंच पाई थी, जिसकी वजह से करीब 690,000 मरीजों की मौत हो गई थी|  

यूरोप और मध्य एशिया में तेजी से बढ़ रहे हैं एड्स के मरीज

रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया नए एचआईवी संक्रमणों को रोकने के लक्ष्य से काफी पीछे है| 2019 में करीब 17 लाख नए मामले सामने आये थे| जोकि वैश्विक लक्ष्य से करीब तीन गुना ज्यादा हैं| हालांकि इनमें 2010 से करीब 23 फीसदी की कमी आई है| इसके बावजूद यह 75 फीसदी की कमी लाने के लक्ष्य से काफी दूर है|

जहां पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में इस दिशा में प्रगति हुई है, वहां 2010 के बाद से संक्रमण के नए मामलों में 38 फीसदी की गिरावट आई है| जबकि पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में 2010 के बाद से एचआईवी के नए मामलों में 72 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। जबकि मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका में नए संक्रमणों में 22 फीसदी की वृद्धि हुई है| वहीं दक्षिण अमेरिका में 21फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है|

रिपोर्ट के अनुसार 14 देशों ने एचआईवी उपचार के 90-90-90 लक्ष्य को हासिल कर लिए है| इसके लक्ष्य के अनुसार एड्स से ग्रस्त 90 फीसदी लोगों को पता हो कि वो अपनी एचआईवी स्थिति को जानते हैं| इनमें से 90 फीसदी को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) मिल रही है| जबकि 90 फीसदी को दवाओं से फायदा मिला है|

अफ्रीका में महिलाओं और बच्चियों में सामने आए हैं 59 फीसदी नए मामले

उप-सहारा अफ्रीका में एड्स ने महिलाओं और बच्चियों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जिनमें यहां 2019 के दौरान सामने आए नए संक्रमण के कुल मामलों में से 59 फीसदी महिलाओं और बच्चियों में ही सामने आए हैं। अनुमान है कि हर सप्ताह करीब 4500 युवा महिलाएं (15 से 24 साल) एचआईवी से संक्रमित हो रही हैं। उप-सहारा अफ्रीका में युवा महिलाओं की आबादी कुल जनसंख्या का 10 फीसदी है। इसके बावजूद 2019 में इस क्षेत्र में मिले एचआईवी संक्रमण के 24 फीसदी नए मामले युवा महिलाओं में ही पाए गए हैं।

कोरोनावायरस और लॉकडाउन का पड़ेगा व्यापक असर

रिपोर्ट के अनुसार कोविड -19 ने एड्स को रोकने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है| अनुमान है कि यदि लॉकडाउन के कारण  अगले छह महीनों तक यदि एचआईवी रोकथाम में बाधा आती है, तो उसके चलते अगले साल (2020-2021) में अकेले उप-सहारा अफ्रीका में अतिरिक्त 500,000 लोगों की मौत हो सकती है। जिससे मृत्युदर के मामले में यह क्षेत्र वापस 2008 के स्तर पर पहुंच जाएगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, 73 देशों को अंदेशा है कि कोरोना महामारी के चलते उनका एंटीरेट्रोवायरल दवाओं (एआरटी) का स्टॉक जल्द ख़त्म हो जाएगा। जबकि 24 देशों ने माना है कि इस महामारी के चलते उनके एआरवी के स्टॉक में कमी आ जाएगी और जीवन-रक्षक दवाओं की आपूर्ति में बाधा पहुंचेगी| 

हालांकि, जिन देशों में इसकी रोकथाम पर काम किया जा रहा है वहां इसके प्रसार में कमी आई है| यही वजह है कि अफ्रीकी देश इस्वातिनी, लेसोथो और दक्षिण अफ्रीका में इसके मामले तेजी से कम हुए हैं| यहां युवा महिलाओं के लिए सामाजिक और आर्थिक सहयोग देने के साथ-साथ इलाज में भी सुधार किया गया है| आज उन लोगों तक भी दवाएं पहुंच रही हैं जिन तक पहले इनकी पहुंच नहीं थी| जिसके कारण असमानता में कमी आई है| साथ ही एड्स के नए मामलों में भी कमी आई है|