उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें नसों में खून का प्रवाह बहुत अधिक हो जाता है। हमारे शरीर में खून के प्रवाह की एक निश्चित गति होती है। स्वास्थ्य निर्देशों के मुताबिक आदर्श रूप में शरीर में रक्त का दबाव 120/80 एमएमएचजी से अधिक नहीं होना चाहिए। अधिक होने पर यह हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
हाल ही में भारत में उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के बोझ पर किए गए एक राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन से पता चला है कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित 70 प्रतिशत से अधिक लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के अध्ययन में पाया गया कि 28.5 प्रतिशत वयस्क भारतीय उच्च रक्तचाप से ग्रस्ति हैं।
अध्ययन में 10,593 वयस्कों को शामिल किया गया। उनमें से 3,017 अथवा 28.5 फीसदी में उच्च रक्तचाप पाया गया। जबकि 840 या 27.9 फीसदी जानते थे कि वे उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, 72.1 फीसदी इससे अनजान पाए गए। जागरूक लोगों में सिर्फ 438 यानी 14.5 फीसदी का इलाज चल रहा था।
उच्च रक्तचाप के निष्कर्ष तब महत्वपूर्ण हो जाते हैं जब हृदय रोगों (सीवीडी), विशेष रूप से इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक के लिए सबसे अधिक खतरनाक कारणों में से एक हो जाते हैं। वर्तमान में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में सभी मौतों में से 28.1 फीसदी हृदय रोग (सीवीडी) के कारण होती यहीं, बहुत अधिक सिस्टोलिक रक्तचाप (एसबीपी) विकलांगता आदि के लिए सबसे अधिक 8.5 फीसदी जिम्मेवार था।
राष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक उच्च रक्तचाप का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में 25.7 फीसदी की तुलना में शहरी क्षेत्रों 34 फीसदी अधिक पाया गया।
ईलाज करने वालों में 99.6 फीसदी एलोपैथिक दवाएं ले रहे थे। सार्वजनिक सुविधाओं में केवल 20 फीसदी का इलाज किया जा रहा था जबकि 80 फीसदी निजी क्षेत्र की ओर रुख कर रहे थे, जहां उपचार का अनुपालन कम देखा गया।
बदलने वाले जोखिम कारकों के संबंध में स्वास्थ्य शिक्षा में 10 फीसदी जितनी कमी पाई गई। ग्रामीण निवासियों में उपचार का पालन 59.2 फीसदी और शहरी निवासियों में 83.2 फीसदी पाया गया। आईसीएमआर-एनसीडीआईआर के निदेशक और अध्ययनकर्ता डॉ प्रशांत माथुर ने कहा हमने पाया कि महिलाओं और ग्रामीण निवासियों में रक्तचाप नियंत्रण की दर बेहतर थी।
उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप के जांच के बीच कम जागरूकता और इलाज न करने वालों की उच्च दर को देखते हुए, इसके उपचार और नियंत्रण के लिए उच्च रक्तचाप की देखभाल की निरंतरता के लिए बेहतर योजना बनाने की आवश्यकता है।
अध्ययनकर्ताओं का निष्कर्ष है कि स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणालियों के सभी स्तरों के माध्यम से उच्च रक्तचाप जांच और जागरूकता रणनीतियों को मजबूत करने से जनसंख्या स्तर पर बेहतर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।
अध्ययन में पाया गया कि 50 से 69 आयु वर्ग के लोगों में अन्य लोगों की तुलना में उच्च रक्तचाप के इलाज होने की संभावना अधिक थी। सर्वेक्षण किए गए वयस्कों में, 47.6 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी भी उच्च रक्तचाप का परीक्षण नहीं किया था।
यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में काफी अधिक था। अध्ययन में आगे पाया गया कि उत्तरी और दक्षिणी भारत में वयस्कों को उनके मध्य भारतीय समकक्षों की तुलना में उच्च रक्तचाप होने का खतरा अधिक पाया गया। यह अध्ययन जर्नल ऑफ ह्यूमन हाइपरटेंशन में प्रकाशित हुआ है।