स्वास्थ्य

भारत में 2020 के दौरान सामने आए टीबी के 25 फीसदी कम मामले, क्या कोरोना था उसकी वजह?

जहां देश में 2019 के दौरान टीबी के 21.6 लाख मामले नए और दोबारा सामने आए थे, वो 2020 में घटकर 16.2 लाख रह गए थे

Lalit Maurya

2019 की तुलना में 2020 के दौरान भारत में टीबी के 25 फीसदी कम मामले सामने आए थे| जिसके लिए विश्व स्वास्थ संगठन कोरोना महामारी को वजह मान रहा है| विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार जहां 2019 में टीबी के 21.6 लाख मामले नए और दोबारा सामने आए थे वो 2020 के दौरान घटकर 16.2 लाख रह गए थे| जिसका मतलब है कि इन 25 फीसदी लोगों तक इस बीमारी के लिए जरुरी मदद और सहायता नहीं पहुंच पाई थी|

वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो कोरोना के चलते 2020 में करीब 14 लाख लोगों को जरुरी सहायता और इलाज नहीं मिल पाया था| वहीं अनुमान है कि इसके कारण टीबी से मरने वालों की संख्या में 5 लाख का इजाफा हो सकता है| यह जानकारी 21 मार्च 2021 को विश्व स्वास्थ संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आई है|

यदि औसत रूप से देखें तो दुनिया में 21 फीसदी कम मामले सामने आए हैं| जहां वैश्विक स्तर पर 2019 में टीबी के 63 लाख मामले सामने आए थे वहीं 2020 में कोरोना महामारी और उसके कारण किए लॉकडाउन के चलते सिर्फ 49 लाख मामले ही रिकॉर्ड किए गए थे| 80 से भी ज्यादा देशों के लिए जारी इन आंकड़ों के अनुसार 2019 की तुलना में 2020 के दौरान इंडोनेशिया में करीब 42 फीसदी लोगों को जरुरी इलाज और देखभाल नहीं मिल पाई थी| इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में 41 फीसदी, फिलीपींस में 37 फीसदी और भारत में 25 फीसदी मरीजों को जरुरी सहायता नहीं मिल पाई थी|

हाल ही में एक अन्य स्वयंसेवी संस्था स्टॉप टीबी पार्टनरशिप किए विश्लेषण के अनुसार टीबी के उच्च प्रसार वाले नौ देशों भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, म्यांमार, पाकिस्तान, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, ताजिकिस्तान और यूक्रेन में टीबी की पहचान और निदान के मामले में करीब 23 फीसदी की गिरावट आई है|

कोरोना ने स्वास्थ्य जैसी जरुरी सेवाओं पर डाला है व्यापक असर

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस के अनुसार कोविड-19 ने जिस तरह से दुनिया पर असर डाला है वो उससे पीड़ित और मरने वालों की संख्या से कहीं अधिक है| इसने न केवल आर्थिक बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी व्यापक असर डाला है| जिसके चलते जरुरत मंद लोगों तक जरुरी सेवाएं भी नहीं पहुंच पा रही हैं| टीबी से ग्रस्त लोग इसका एक ज्वलंत उदाहरण है कि किस तरह से इस महामारी ने दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब और जरूरतमंद तबके पर सबसे ज्यादा असर डाला है| यह आंकड़ें इस बात की ओर भी इशारा करते है कि दुनिया भर में स्वास्थ्य पर प्रमुखता से ध्यान देने की जरुरत है|

ऐसे में एक ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण अत्यंत जरुरी हो जाता है जिसमें हर कोई जिसे आवश्यकता है, इन सेवाओं का उपयोग कर सके| कुछ देशों ने इस दिशा में सकारात्मक कदम भी उठाए हैं| उन्होंने संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए जरुरी सेवाओं को शुरू करने के लिए डिजिटल सेवाओं का भी सहारा लिया है| जिसमें लोगों को उनके डिजिटल तकनीकों की मदद से घरों पर ही टीबी की रोकथाम और देखभाल के लिए जरुरी सलाह और सहायता देना शामिल है|

डब्ल्यूएचओ ने भी टीबी रोगियों के लिए उनके घर पर ही इस बीमारी रोकथाम और देखभाल की सिफारिश की है जिससे कोविड-19 वायरस के फैलने की सम्भावना को कम से कम किया जा सके।