स्वास्थ्य

भारत में कोविड के सब वेरिएंट जेएन.1 के 21 मामले सामने आए, विश्व स्वास्थ्य संगठन हुआ गंभीर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का कहना है कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है

Seema Prasad

कोविड-19 के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। इसके चलते सरकार हरकत में आ गई हैं। कोविड-19 के नए सब वेरिएंट जेएन.1 के अब तक 21 मामले सामने आ चुके हैं। गोवा में सबसे अधिक 19 मामले पता चले हैं, जबकि केरल और महाराष्ट्र में एक-एक केस मिला है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा, "संक्रमित लोगों में से लगभग 91 से 92 प्रतिशत लोग घर में ही इलाज का विकल्प चुन रहे हैं।"

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने 20 दिसंबर को राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि राज्यों को हर तीन महीने में एक मॉक ड्रिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। अस्पताल की तैयारियों की मॉक ड्रिल, निगरानी बढ़ाना और लोगों को जागरूक करते रहना होगा। 

कोविड ​​-19 डेटा विश्लेषक एनसी कृष्ण प्रसाद ने पहले डाउन टू अर्थ को बताया था कि कोविड-19  की वजह से भारत में दिसंबर में 19 मौतें हो चुकी हैं। जबकि मीडिया ने इस महीने अब तक 16 मौतों की खबर दी है।

19 दिसंबर को कोविड-19 के 614 नए मामले सामने आए। यह 20 मई के बाद से दैनिक मामलों की सबसे अधिक संख्या है। 

प्रसाद ने बताया कि केरल में सबसे अधिक 2,041 मामले रिकॉर्ड किए गए, जो 24 मई के बाद से लेकर अब तक राज्य में सबसे अधिक है। यहां सक्रिय मामलों की संख्या 2,311 पहुंच गई है। जो 11 जून के बाद से सबसे अधिक संख्या है। केरल में मामलों में वृद्धि का श्रेय राज्य के अंदर एक मजबूत रिपोर्टिंग प्रणाली को दिया गया है।

वहीं कोविड-19 के मामलों में आए उछाल को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन नए सब वेरिएंट जेएन.1 की बारीकी से निगरानी कर रहा है और इसे वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) के रूप में वर्गीकृत किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा, “उपलब्ध जानकारी के आधार पर जेएन.1 को अभी जोखिम की दृष्टि से 'कम' के रूप में मूल्यांकन किया गया है। बावजूद इसके  उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों की शुरुआत के चलते जेएन.1 कई देशों में श्वसन संक्रमण का बोझ बढ़ सकता है।”

इसे पहले बीए.2.86 सब वेरिएंट को भी वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया गया था। 

वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट क्या है?

जेएन.1 के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्तमान में चार अन्य वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट पर नजर रख रहा है। इनके नाम एक्सबीबी.1.5, एक्सबीबी.1.16, ईजी.5, और बीए.2.86 है। ये सभी ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट के वंशज हैं।

इंडियन सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के प्रमुख एनके अरोड़ा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट का मतलब है, देशों को तीन चीजों पर कड़ी नजर रखनी होगी। एक- जीनोमिक निगरानी, दूसरा- ​​महामारी विज्ञान (वेरिएंट कैसे फैलता है) और तीसरा वेरिएंट का दिनोंदिन का ​​व्यवहार (इसकी गंभीरता और अस्पताल में भर्ती होने में वृद्धि)। INSACOG पूरे भारत में जीनोमिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2023 में वेरिएंट आफ कंसर्न (वीओसी), वीओआई और वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग की परिभाषा बनाई थी।

परिभाषा के अनुसार, एक वीओआई वेरिएंट को सार्स-कॉव-2 वेरिएंट माना जाता है जिसमें आनुवंशिक परिवर्तन होते हैं, जो वायरस की विशेषताओं जैसे प्रसार क्षमता, विषाणु, एंटीबॉडी क्षमता, इलाज के प्रति संवेदनशीलता और पता लगाने की क्षमता की जानकारी देते हैं। 

किसी वेरिएंट को संभावित वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित करने के लिए डब्ल्यूएचओ को वैश्विक महामारी विज्ञान की समीक्षा करनी होती है। साथ ही दुनिया भर में वेरिएंट के प्रसार की निगरानी भी की जाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन सदस्य देशों को सतर्क करने के बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटाबेस जैसे कि ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी), इन्फ्लूएंजा वायरस का जीनोमिक डेटाबेस के लिए प्रोत्साहित करता है। जीआईएसएआईडी में भारत तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि 16 दिसंबर 2023 तक 41 देशों से जेएन.1 के 7,344 मामले जीआईएसएआईडी को प्रस्तुत किए गए थे।