राजकाज

जान गंवाते सड़क पार करने वाले

DTE Staff

राहुल सजवान

 “हमें इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को एक इकोनॉमिक स्टिम्‍युलेंट (उत्‍तेजना) के तौर पर सोचना बंद करना होगा और इसके बारे में एक रणनीति के तौर पर सोचना होगा। आर्थिक उत्‍तेजना पुल बनाने का काम नहीं करती, जबकि इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में रणनीतिक इन्‍वेस्‍टमेंट लॉन्‍ग टर्म ग्रोथ के लिए फाउंडेशन का काम करता है।” अमेरिकी व्यवसायी रॉजर मैकनेमी के इस वाक्‍य को इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 के इंडस्‍ट्री और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर चैप्‍टर के शीर्ष पर लिखा गया है। लेकिन क्या सरकार वाकई इससे कोई सबक ले रही है? ऐसा दिख नहीं रहा है। साल 2019 में चुनाव होने हैं, इसलिए आनन-फानन में सरकार ने सड़कें बनाने का काम बेहद तेज कर दिया है, लेकिन इस तेजी का परिणाम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। 

इसकी एक बानगी दिल्ली-आगरा राजमार्ग नंबर दो पर देख सकते हैं। दिल्ली-मथुरा रोड को सिक्स लेन किया जा रहा है। दिल्ली से पलवल तक काफी हद तक काम हो चुका है। जैसे-जैसे सड़क बनती जा रही है, उसे वाहनों के लिए खोला जा रहा है। शहर के बीच से गुजर रहे राजमार्ग पर 5 स्थानों पर फ्लाईओवर बनाए गए हैं, ताकि दिल्ली से आगरा जाने वाले वाहनों को लाल बत्तियों का सामना न करना पड़े, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते राजमार्ग और फ्लाइओवर खोल दिए गए, लेकिन रेलिंग लगाने का काम बाद में किया गया, तब तक पैदल चलने वालों की जान जोखिम में रही।

हरियाणा यातायात पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी से 30 सितम्बर 2018 के दौरान दिल्ली, बदरपुर बॉर्डर से लेकर सीकरी, बल्लभगढ़ के मात्र 26 किमी के बीच 71 पैदल यात्रियों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई। मरने वालों में ज्यादातर स्थानीय नागरिक थे, जो शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने के लिए सड़क पार कर रहे थे। वे तेज रफ्तार से आती गाड़ियों की चपेट में आ गए। लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं के कारण लोगों की नाराजगी से बचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने दोनों ओर लोहे की रेलिंग लगाने का काम तेज कर दिया, लेकिन पैदल चलने वाले लोग सड़क कैसे पार करेंगे, इस बारे में फिलहाल कोई जवाब प्राधिकरण अधिकारियों के पास नहीं है। वे बस इतना ही कहते हैं कि बदरपुर बॉर्डर से लेकर सीकरी के बीच 5 फुटओवर ब्रिज बनने हैं, लेकिन अलग-अलग कारणों से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि जहां फुटओवर ब्रिज बनाए जाने हैं, उसके ऊपर से बिजली की तारें गुजर रही हैं। बिजली विभाग से तारों को हटाने के लिए कहा गया है। तारें हटने के बाद ओवर ब्रिज बनाए जाएंगे। यानी कि तब तक सड़क पार करने के लिए लोगों को न केवल जान से खेलना होगा,बल्कि रेलिंग भी पार करनी होगी। 

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा संकलित ‘सड़क दुर्घटना रिपोर्ट 2017’ के अनुसार पिछले साल देश में 65,562 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आए। इनमें से 30.4 प्रतिशत दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं। इन दुर्घटनाओं में 53,181 लोगों की मौत हुई। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में होने वाली कुल दुर्घटनाओं में से लगभग 10 फीसदी दुर्घटनाएं सड़क पार करते समय हो रही हैं।