राजकाज

आरटीआई संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी

Bhagirath

सूचना के अधिकार (आरटीआई) संशोधन विधेयक 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी। इसी के साथ सूचना आयुक्तों के कार्यकाल और उनकी सेवा शर्तों का निर्धारण सरकार के हाथों में आ गया है। आरटीआई कार्यकर्ता इसे सूचना के अधिकार पर हमला बता रहे हैं। नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टु इन्फॉर्मेशन (एनसीपीआरआई) की सह संयोजक अंजलि भारद्वाज ने इसे लोकतंत्र का काला दिन बताया है। उनका कहना है कि आरटीआई बचाने के लिए लाखों लोगों की अपील को दरकिनार कर दिया गया है। यह विधेयक सूचना के मौलिक अधिकार पर हमला है।

आरटीआई कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। इसी सिलसिले में एक अगस्त को बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रपति से विधेयक पर हस्ताक्षर न करने की अपील करने राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। उम्मीद की बड़ी वजह यह थी कि 2004 में जब आरटीआई विधेयक संसद की स्टैंडिंग कमिटी के पास पहुंचा था तब कोविंद उस समिति के सदस्य थे। कमिटी ने सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता की जोरदार पैरवी की थी। तब कमिटी ने कहा था “सूचना के अधिकार के तहत बनने वाले सूचना आयोग महत्वपूर्ण हैं जो कानून का पालन कराएंगे, इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि वे स्वतंत्र और स्वायत्त तरीके से काम कर सकें। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का दर्जा मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त के बराबर हो।”

अब राष्ट्रपति द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर करने से आरटीआई कार्यकर्ता निराश हैं। उधर, संशोधनों के खिलाफ एनसीपीआरआई ने “यूज आरटीआई टु सेव आरटीआई” आंदोलन शुरू कर दिया है। एनसीपीआरआई का कहना है कि 1 अगस्त को जब लोग राष्ट्रपति भवन ज्ञापन देने जा रहे थे, तब लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उन्हें मंदिर मार्ग थाने लेकर चली गई। बाद में केवल तीन लोगों को राष्ट्रपति भवन जाकर ज्ञापन देने की इजाजत दी गई। अंजलि भारद्वाज ने पुलिस की इस कार्रवाई को लोकतंत्र और बोलने की स्वतंत्रता पर गंभीर हमला बताया है।

एनसीपीआरआई ने बताया कि आंदोलन के तहत हर महीने की पहली तारीख को देश भर में बड़ी संख्या में आरटीआई आवेदन दाखिल कर जनहित से जुड़ी सूचनाएं मांगी जाएंगी। अंजलि भारद्वाज का कहना है कि यह आंदोलन ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र और केरल में शुरू कर दिया गया है। आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में भी इसे शुरू किया जाएगा। 

एनसीपीआरआई ने कुछ दिन पहले बयान जारी कर कहा है था कि आरटीआई में संशोधन से सूचना आयोग कमजोर होगा और वह स्वतंत्र तरीके से काम नहीं कर पाएगा। एनसीपीआरआई के मुताबिक, आरटीआई के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बहुत से मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत थी, मसलन सूचना आयोग में रिक्त पड़े पदों को भरना, आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं रोकने का प्रयास करना, विसिल ब्लोअर एक्ट को लागू करना और कानून की धारा 4 के कमजोर क्रियान्वयन को मजबूत करना आदि। लेकिन सरकार ने इन पर ध्यान देने के बजाय सूचना आयोगों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर हमला कर दिया।