हर साल 27 जनवरी को नरसंहार से पीड़ितों की याद में अंतर्राष्ट्रीय स्मरण दिवस मनाया जाता है। यह नरसंहार के पीड़ितों को याद करने और यहूदी-विरोधी खतरों पर विचार करने का दिन है।
यह दिन नरसंहार के पीड़ितों की याद में श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है और यहूदी-विरोधी, नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों का मुकाबला करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है जो समूह को निशाना बनाकर हिंसा को जन्म देते हैं।
नरसंहार क्या था?
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 1933 से लेकर 1945 तक यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में नाजी शासन और उसके सहयोगियों ने संगठित तौर पर नरसंहार कर 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतारा था। 1945 में युद्ध के समापन तक, जर्मनों ने अपने साथियों के साथ मिलकर लगभग दो-तिहाई यूरोपीय यहूदियों की हत्या कर दी थी।
'नरसंहार' या 'होलोकॉस्ट' शब्द प्राचीन ग्रीक भाषा से आया है और इसका अर्थ है 'जला हुआ बलिदान'। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, इस शब्द का इस्तेमाल कभी-कभी बड़ी संख्या में लोगों की मौत के लिए किया जाता था, लेकिन 1945 के बाद, यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोपीय यहूदियों के विनाश का पर्याय बन गया है। यही कारण है कि हम इसे 'होलोकॉस्ट' कहते हैं। यहूदी इसे 'शोह' भी कहते हैं, जो एक हिब्रू शब्द है जिसका अर्थ है 'तबाही'।
इस दिन के इतिहास की बात करें तो 27 जनवरी, 1945 वह दिन था जब ऑशविट्ज-बिरकेनौ यातना शिविर को मुक्त किया गया था। नरसंहार या होलोकॉस्ट के दौरान दस लाख से अधिक लोगों को गैस चैंबर में भेजा गया और वहीं उनकी मौत हो गई।
यह तारीख 27 जनवरी, 1945 को सोवियत सैनिकों द्वारा ऑशविट्ज बिरकेनौ जर्मन नाजी यातना और विनाश शिविर की मुक्ति की सालगिरह को दर्शाती है।
साल 2005 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा के होलोकॉस्ट स्मरण प्रस्ताव (60/7) द्वारा 27 जनवरी को नरसंहार के पीड़ितों की याद में अंतर्राष्ट्रीय स्मरण दिवस के रूप में नामित किया गया।
यह दिन उन सभी लोगों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने नाजी शासन द्वारा मारे गए लाखों यहूदी महिलाओं, पुरुषों और बच्चों और अन्य सभी पीड़ितों के साथ-साथ कष्ट सहे। पूरे यूरोप और दुनिया भर में कई समारोहों में उनके नाम लिए जाएंगे, उनके जीवन को याद किया जाएगा।
यह दिन नरसंहार के बारे में उनकी गवाही और शिक्षा भविष्य की पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिन नरसंहार के बारे में शिक्षा को बढ़ावा देता है ताकि इनकार, विकृति और अतीत के सबक को भूलने से रोका जा सके।