नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच ने हैरानी जताई है कि तीन महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद भी अधिकारियों ने रिज की सुरक्षा के लिए उठाए कदमों पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
यह देरी तब हुई है जब करीब चार साल पहले 15 जनवरी, 2021 को एक कार्यान्वयन के मामले में आदेश जारी किया गया था।
इस मामले में 17 जनवरी, 2025 को अदालत ने अधिकारियों से तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने का एक आखिरी मौका दिया है। पांचों प्रतिवादियों में से प्रत्येक को 5,000 रुपए का जुर्माना भरना होगा, जिसे 13 फरवरी, 2025 तक न्यायाधिकरण के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करना होगा।
गौरतलब है कि एनजीटी के 15 जनवरी, 2021 के आदेश को लागू करने की मांग करते हुए एक निष्पादन आवेदन दायर किया गया था। इस आदेश में आरक्षित वनों के लिए वन अधिनियम की धारा 20 के तहत अधिसूचना को अंतिम रूप देने और रिज की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया गया था।
इस निर्देश के मुताबिक स्पष्ट स्थिति वाली जमीन को तुरंत अधिसूचना में शामिल किया जाना चाहिए, जबकि बाकी पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए। 2021 के आदेश में यह भी कहा गया है कि रिज क्षेत्र में किसी भी गैर-वन गतिविधियों की अनुमति नहीं है।
आवेदक ने दावा किया है कि अदालत के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया गया और उसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है। रिज क्षेत्र में नए निर्माण हो रहे हैं, जिनमें अतिक्रमणकारियों को बिजली और पानी के कनेक्शन जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं, जो आदेश के पालन के बजाय उल्लंघन को दर्शाता है।
कार्यान्वयन के आवेदन पर अंतिम बार 24 सितंबर, 2024 को विचार किया गया था और उस दौरान अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनसे अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया था। हालांकि, तीन महीने बीत जाने के बाद भी किसी भी प्रतिवादी ने जवाब नहीं दिया है। केवल दक्षिण जिला, हौज खास के पुलिस उपायुक्त ने ही जवाब दाखिल किया है।
एम्स के पास डंप कचरे के उचित प्रबंधन के लिए उठाए जाएंगे कदम, एमसीडी ने रिपोर्ट में दी जानकारी
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वे एम्स के निकट ढलाव में कचरे के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगे। यह रिपोर्ट 16 जनवरी, 2025 को एनजीटी में सबमिट की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक साउथ एक्सटेंशन पार्ट-1 में रिंग रोड के पास यह ढलाव पिछले 30 वर्षों से भी ज्यादा समय से है। इसका उपयोग आस-पास के भीड़-भाड़ वाले रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों से कूड़ा एकत्र करने के लिए किया जाता है।
कचरे का यह डंप एम्स के गेट नंबर 6 से करीब 180 मीटर की दूरी पर, साउथ एक्सटेंशन-1 में रिंग रोड की दूसरी ओर है।
कचरे के इस डंप में हर दिन करीब 12 से 14 मीट्रिक टन कचरा इकट्ठा होता है। एमटीएस वाहन जरूरत के मुताबिक रोजाना दो से तीन चक्कर लगाकर एकत्र किए इस कचरे को हटाते हैं। इस डंप से निकटतम फिक्स्ड कॉम्पैक्टर ट्रांसफर स्टेशन (एफसीटीएस) करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है, लेकिन रास्ते पर भारी यातायात के चलते कचरा वहां नहीं भेजा जा सकता है, क्योंकि इससे भीड़भाड़ हो सकती है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि एफसीटीएस साइट पर पहले ही कचरा एकत्र करने का भारी बोझ है। आठ अक्टूबर, 2024 को डीपीसीसी ने इस डंप का निरीक्षण किया था। इस दौरान विभिन्न कमियां पाई गई। ऐसे में एमसीडी को इस बारे में कार्रवाई करने को कहा गया है।
इसके लिए जो उपाय सुझाए गए हैं, उनमें डंप में अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए उचित गेट लगाना, बारिश से बचाव के लिए छत और डंपसाइट पर गीले कचरे को डंप करने के बजाय, इसे खाद में बदलना आदि उपाय शामिल हैं।
गौरतलब है कि आवेदक ने नई दिल्ली में एम्स के गेट संख्या 6 के करीब स्थित कचरे के डंप को हटाने के संबंध में शिकायत दर्ज की थी। उनके मुताबिक यह डंप वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है।
आगरा के तालाब अतिक्रमण मामले में एनजीटी ने एक महीने में कार्रवाई के दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आगरा के जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टर से सदर के अंगूठी गांव में एक तालाब पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए एक महीने के भीतर कार्रवाई करने को कहा है। 17 जनवरी, 2025 को दिया यह निर्देश उत्तर प्रदेश में आगरा की सदर तहसील के अंगूठी गांव में एक तालाब पर हुए अतिक्रमण से जुड़ा है।
इसके साथ ही उनसे इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है इस बारे में एक रिपोर्ट भी एनजीटी के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि आगरा के जिला मजिस्ट्रेट को इस मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि तालाब की स्थिति उसके आकार और प्रकृति के अनुसार बनी रहे।
अदालत ने कहा है कि गांव के राजस्व रिकॉर्ड में तालाब के रूप में दर्ज भूमि को उसी रूप में बनाए रखा जाना चाहिए। तालाब के रखरखाव और सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करना कलेक्टर जैसे स्थानीय राजस्व अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
गौरतलब है कि अंगूठी गांव के निवासी भूरी सिंह ने तालाब पर अतिक्रमण की शिकायत करते हुए आवेदन दायर किया था।
हालांकि राजस्व अधिकारियों से की गई शिकायतों के बावजूद संबंधित अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण को हटाने और तालाब को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी पत्र भेजा गया था।